चीन के आग्रह के बावजूद अमरीका चीनी आयात से नहीं हटा रहा टैरिफ

punjabkesari.in Wednesday, Oct 04, 2023 - 05:08 AM (IST)

अमरीका में भले ही सत्ता रिपब्लिकन से डैमोक्रेट्स के हाथों में आ गई है और डोनाल्ड ट्रम्प की जगह जो बाइडेन अमरीकी राष्ट्रपति बन गए हैं, लेकिन अमरीकी हितों को नुक्सान नहीं होने दिया जा रहा है। चीन को लेकर दोनों की नीतियों में कोई खास बदलाव नहीं आया है। जो बाइडेन चीन के उत्पादों पर लगे अतिरिक्त टैरिफ को नहीं हटाना चाहते, हालांकि चीन ने अमरीका से आग्रह किया है कि वह चीन के उत्पादों पर अमरीका में बढ़े हुए टैरिफ को घटा दे लेकिन अमरीका ऐसा नहीं करने जा रहा है।

अमरीकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोन्डो, जो अमरीकी वाणिज्य प्रतिनिधि भी हैं, ने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन से आयातित वस्तुओं पर सैक्शन-301 टैरिफ लगाए जाने पर 4 वर्षों तक समीक्षा भी की है, ने कहा कि टैरिफ को रणनीतिक होना चाहिए था, इन्हें लगाने का कोई मतलब भी नहीं है लेकिन बाइडेन प्रशासन इनमें कोई ढील नहीं देने जा रहा है, जब तक कि इनकी समीक्षा पूरी नहीं हो जाती। रायमोन्डो ने इशारों में यह बात कह दी कि चीन को अमरीका से जल्दी राहत नहीं मिलने वाली। 

वहीं अमरीकी उप वाणिज्य मंत्री सारा बियांसी ने इस वर्ष मई में कहा था चीन को लेकर अमरीकी सैक्शन 301 की समीक्षा का काम इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इस काम में जितनी देर हो रही है, उससे चीन उतना ज्यादा परेशान हो रहा है क्योंकि चीन को लगातार घाटा हो रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वंताओ ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री रायमोंडो से पेइचिंग में हुई एक बैठक में सैक्शन-301 पर चिंता जताते हुए कहा था कि चीन के खिलाफ यह सैक्शन पिछले 5 वर्षों से लागू है, इससे चीन को बहुत नुक्सान हो रहा है। इससे चीन और अमरीकी व्यापार बहुत धीमा होता जा रहा है और इससे  दोनों देशों को नुक्सान पहुंच रहा है। 

वर्ष 2018-19 में ट्रम्प प्रशासन ने चीन से अमरीका आयात होने वाली हजारों वस्तुओं पर टैरिफ लगा दिया था, जिनका मूल्य 370 अरब अमरीकी डालर था, इसके पीछे जो कारण बताए गए थे, वे चौंकाने वाले थे। दरअसल चीन अमरीकी कंपनियों के बौद्धिक सम्पदा कानून का उल्लंघन कर रहा था और बहुत सारी संवेदनशील जानकारियां ले रहा था, जिससे चीन के साथ व्यापार में अमरीका को बहुत नुक्सान हो रहा था। आमतौर पर चीन हर उस देश के साथ ऐसा करता है,जो तकनीकी जानकारी में चीन से आगे है। 

चीन उसकी संवेदनशील तकनीकी जानकारियां चुराने के लिए चीनी लोगों को उस देश में विद्यार्थी, शोधकत्र्ता, व्यापारी बनाकर भेजता है और उनकी उस देश के संबंधित विभाग में पहुंच बनाने में मदद भी करता है। लेकिन इस मामले में ट्रम्प प्रशासन ने एक झटके में चीन की सारी हेंकड़ी निकाल दी। अमरीका द्वारा सैक्शन-301 लागू करने से चीन को भारी आर्थिक नुक्सान होने लगा, इसके बाद चीन अमरीका के सामने सैक्शन-301 हटाने के लिए गिड़गिड़ाने लगा। आर्थिक लाभ के लिए चीन जहां साम दाम दंड भेद की नीतियों का इस्तेमाल कर अरबों डालर कमा रहा है, वहीं अपना नुक्सान होने पर चीन पैंतरे बदलने में भी देर नहीं लगाता, आक्रामक मुद्रा से सीधे याचक वाली मुद्रा में आ जाता है। 

3 सितम्बर को अमरीकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने अमरीकी मीडिया को बताया कि अमरीका हर वर्ष अरबों डालर के माइक्रोचिप्स चीन को बेचता है, लेकिन किसी भी कीमत पर अमरीका चीन को उच्चतम तकनीक से लैस माइक्रोचिप नहीं बेचेगा, जिसका इस्तेमाल चीन अपने सैन्य उपकरणों में करने वाला है। वहीं हुपे के एक हेनान ब्रॉडकासिं्टग सिस्टम के सोशल मीडिया अकाऊंट पर एक विश्लेषक ने लिखा कि रायमोंडो की बातों से पता चलता है कि अमरीका और चीन में बातचीत के लिए अब भी कुछ जगह बची हुई है लेकिन उस लेखक ने साथ में यह भी कहा है कि रायमोंडो के लिए अमरीका में चीन विरोधी राजनीतिज्ञों के प्रभाव से बचना मुश्किल है। चीन में छपे इस बयान से इतना साफ है कि चीन अब भी आशावान है कि अमरीका चीन से व्यापार के लिए सैक्शन-301 को हटा सकता है। 

इसके साथ ही अमरीका पर चीन के व्यापार के फैसले लेने में सापेक्षता के अभाव का आरोप लगाते हुए लेखक ने कहा कि लम्बे समय से जो अमरीकी अधिकारी व्यापारिक वार्ता के लिए चीन आते हैं, वे नियमों को लेकर एकदम सख्त हो जाते हैं। इसके लिए लेखक ने अमरीका में चीन विरोधी राजनीतिज्ञों पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा है कि यही वजह है कि अमरीका में चीन विरोधी जनभावनाएं फैलती जा रही हैं। तकनीकी हस्तांतरण और तकनीकी शोध और अनुसंधान को लेकर अमरीका और चीन के व्यापार में अभी और भी पेंच फंसे हुए हैं जिनका निपटारा जल्दी होगा, ऐसा नहीं लगता, क्योंकि चीन का ट्रैक रिकार्ड इतना खराब है कि अमरीका अपना हर अगला कदम फूंक-फूंक कर चल रहा है। 

चीन को इस समय सिर्फ अपने व्यापारिक घाटे की चिंता है लेकिन अमरीकी रक्षा मंत्री जैक सुलीवान ने हाल के बयान में कहा था कि अमरीका को चीन से व्यापार में सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा की ङ्क्षचता है और व्यापार को लेकर अमरीका चीन से संबंधों को खत्म नहीं करेगा। लेकिन चीन को यह बात मालूम है कि अमरीका चाहे जितने भी तर्क दे रहा है, चीन के साथ व्यापार में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर चीन के उत्पादों पर लगा टैरिफ जल्दी हटाने वाला नहीं।


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