करोड़ों रुपए की देनदारी के ‘चक्रव्यूह’ में उलझी दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी

Friday, Oct 15, 2021 - 04:24 AM (IST)

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव होने के साथ ही दिल्ली के सिख संगठनों की सरगर्मी धीमी पड़ गई है लेकिन अदालत में चल रहे मामलों ने कमेटी की नींद जरूर उड़ा रखी है। कमेटी के शैक्षणिक संस्थानों एवं कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों ने विभिन्न अदालतों में 150 से अधिक केस डाल रखे हैं। इनमें से 40 से अधिक मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के शिक्षण संस्थानों और स्कूलों से जुड़े कई मामलों में आदेश सुरक्षित रख लिया गया है,जो कभी भी आ सकता है। संभावना जताई जा रही है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद कमेटी के स्कूलों को चलाने में मुसीबत खड़ी हो सकती है। कमेटी पर अपने स्टाफ को देने के लिए 150 करोड़ रुपए की देनदारी खड़ी हो चुकी है। 

इस बीच आशंका जताई जा रही है कि कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार कहीं स्कूलों को चलाने के लिए अपने प्रबंधन के अधीन न ले ले। दिल्ली हाईकोर्ट में बार-बार दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी दुहाई दे रही है कि उसके पास स्टाफ को उसका हक देने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं लेकिन दूसरी ओर कमेटी प्रबंधन के नेताओं द्वारा लखीमपुर खीरी में किसानों की शहादत का स्मारक बनाने, कश्मीर और शिलांग में सदस्यों को हवाई जहाज से ले जाने और सिख मसलों पर निभाई जा रही भूमिका सवालों के घेरे में आ जाती है।

हालांकि कमेटी के वर्तमान प्रबंधक अपने हर दौरे पर जाने से पहले ट्वीट करते हैं कि वह अपने पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के दिशा-निर्देश पर अमुक जगह जा रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि स्टाफ को उसका हक देने की बजाय कमेटी के खजाने से हवाई यात्राएं करना और उसका फायदा अपनी सियासी पार्टी को दिलवाना कहां तक न्यायोचित है? वर्तमान में दिल्ली कमेटी के अधीन 12 गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इसमें वर्तमान में 12 से 13 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं। 

लखीमपुर खीरी कांड में कोई प्रदर्शन नहीं, केंद्रीय मंत्री का विरोध भी नहीं : लखीमपुर खीरी कांड में दिल्ली की तीनों प्रमुख धार्मिक पार्टियां अपने हिसाब से मुद्दे को देख रही हैं। छोटे-छोटे मामलों में दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने वाली पाॢटयां इस मामले पर चुप रहीं। यहां तक कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र के आरोपी होने की वजह से कोई भी पार्टी अजय मिश्रा का इस्तीफा मांगती हुई नजर नहीं आई। हालांकि, कमेटी के महासचिव हरमीत सिंह कालका पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ किसानों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करने जरूर लखीमपुर खीरी गए थे। मारे गए किसानों की अंतिम अरदास के समय मनजिंदर सिंह सिरसा ने वहां पहुंच कर ऐलान किया कि वह घटनास्थल पर स्मारक बनाएंगे, ताकि किसानों की इस मौत के अध्याय को जिंदा रखा जा सके। शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) और जागो पार्टी के नेता लखीमपुर खीरी नहीं जा सके। 

कुलवंत सिंह बाठ ने बदली चौथी पार्टी : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्कालीन उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ अपनी निगम पार्षद पत्नी गुरजीत कौर बाठ के साथ दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। भाजपा के किसान मोर्चा से अपनी सियासत शुरू करने वाले बाठ शिरोमणि अकाली दल बादल के टिकट पर दो बार कमेटी सदस्य बने थे। लेकिन इस बार पार्टी बदल कर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली से लड़े और चुनाव हार गए। भाजपा के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष रहे बाठ की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तक अच्छी पहुंच थी लेकिन एकाएक सबको चौंकाते हुए बाठ ‘आप’ में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि वह अपनी पत्नी को भजनपुरा सीट पर पार्षदी लड़वाने के साथ ही पंजाब की रूपनगर विधानसभा पर भी दावेदारी कर सकते हैं। 

परमजीत सिंह राणा को फिर मिली चेयरमैनी : भाजपा के टिकट पर दिल्ली नगर निगम का चुनाव लडऩे वाले सिख नेता परमजीत सिंह राणा को एक बार फिर निगम की चेयरमैनी मिल गई है। शिरोमणि अकाली दल बादल ने अपनी पार्टी से उन्हें इस वजह से निकाला था कि कृषि बिलों के विरोध में जब केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दिया था, तब पार्टी के आदेश के बावजूद राणा ने निगम की चेयरमैनी पद से इस्तीफा नहीं दिया था। इसके बाद राणा ने शिरोमणि अकाली दल पंथक तथा जागो के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर ली। कहते हैं कि जागो पार्टी ने भी उन्हें दाखिला देने से मना कर दिया है। पार्टी के संविधान के अनुसार उसका कोई भी सदस्य राजनीतिक सरगर्मी नहीं रख सकता। निगम पार्षद होने के नाते राणा राजनीतिक सदस्य हैं लेकिन, एक बार फिर अपनी पार्षदी के अंतिम वर्ष में चुपचाप चेयरमैनी हासिल करने में कामयाब रहे। 

और अंत में... दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 25 अगस्त को हुए चुनाव के बाद अभी तक नई कमेटी का गठन नहीं हो पाया है। इसके चलते लाखों रुपए फूंक कर कमेटी सदस्य बने नेताओं के समक्ष अजीब स्थिति खड़ी हो गई है। फायदे में कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा एवं महासचिव हरमीत सिंह कालका हैं। वह पहले की तरह ही अध्यक्ष और महासचिव पर पदभार संभालते हुए कमेटी को संचालित कर रहे हैं। अदालत में भले ही तारीख पर तारीख लग रही हो, लेकिन वे रोजमर्रा के काम सहित हर फैसले खुद ले रहे हैं। उनके काम में किसी भी पदाधिकारी का दखल भी नहीं है। इसलिए नई कमेटी का कार्यकाल चाहे जितना आगे खिंच जाए, उनके लिए फायदा ही फायदा है!-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय

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