डार्लिंग, आज मैंने कुछ नहीं किया...!

punjabkesari.in Tuesday, Jul 10, 2018 - 04:17 AM (IST)

मेरा एक युवा मित्र, जो शादी करने की योजना बना रहा है, एक शाम मेरे साथ बैठा और इस बात पर चर्चा की कि वह किस तरह की पत्नी चाहता है। ‘‘वह एक नौकरी करने वाली महिला होनी चाहिए,’’ उसने निश्चिततापूर्वक कहा। ‘‘क्यों?’’ मैंने पूछा। ‘‘उसकी खातिर,’’ उसने कहा। ‘‘वह कैसे?’’ ‘‘मैं नहीं चाहता कि वह घर पर कोई काम न करते हुए ऊब महसूस करे।’’ ओ मेरे प्यारे मित्र, तुम्हें मैं एक सुनी हुई कहानी सुनाता हूं। 

एक व्यक्ति काम से घर लौटा तो उसने देखा कि उसके तीनों बच्चे बाहर थे जिन्होंने अभी भी पजामे पहन रखे थे और कीचड़़ में खाने के खाली डिब्बों व अन्य सामान से खेल रहे थे, जो घर के सामने हर कहीं बिखरा हुआ था। पत्नी की कार का दरवाजा खुला हुआ था, घर का सामने का दरवाजा भी और वहां उनके कुत्ते का कोई नामोनिशान नहीं था। प्रवेश द्वार की ओर बढ़ते हुए उसने एक और भी बड़ा गड़बड़झाला देखा। एक बल्ब टूटा पड़ा था और रजाई दीवार के पास पड़ी थी। सामने वाले कमरे में टी.वी. पर ऊंची आवाज में कार्टून चैनल चल रहा था और बैठक में खिलौने तथा सभी तरह के कपड़े बिखरे हुए थे। 

रसोई में, सिंक में बर्तन भरे हुए थे और नाश्ते का सामान शैल्फ पर बिखरा हुआ था, फ्रिज का दरवाजा पूरा खुला था, कुत्ते का खाना फर्श पर बिखरा हुआ था, टूटा हुआ एक गिलास मेज के नीचे पड़ा था तथा पिछले दरवाजे के पास मिट्टी का एक छोटा सा ढेर पड़ा हुआ था। अपनी पत्नी की तलाश में वह खिलौनों तथा कपड़ों के ढेर पर पांव धरते हुए तेजी से सीढिय़ों की ओर लपका। यह सोचकर उसे चिंता होने लगी कि कहीं वह बीमार तो नहीं या फिर कुछ गम्भीर घटना तो नहीं हो गई। जैसे ही वह बाथरूम के दरवाजे की ओर बढ़ा उसने पानी टपकने की आवाज सुनी। भीतर झांकने पर उसने देखा कि फर्श पर गीला तौलिया तथा गला हुआ साबुन पड़ा था और वहां भी कुछ और खिलौने फैंके हुए थे। मीलों लम्बे टायलैट पेपर का ढेर लगा हुआ था तथा दर्पण व दीवारों पर हर जगह टूथपेस्ट मला हुआ था। 

जैसे ही वह बैडरूम में पहुंचा तो उसने पाया कि उसकी पत्नी अभी भी अपना पजामा पहनकर बिस्तर में उकड़ूं बैठकर एक उपन्यास पढ़ रही थी। उसने अपने पति की तरफ देखा, मुस्कुराई और पूछा कि उसका दिन कैसा रहा।  पति ने आंखें फाड़ कर उसे देखा और पूछा, ‘‘आज यहां क्या हुआ?’’ वह फिर मुस्कुराई और बोली, ‘‘आपको पता है कि जब भी आप दफ्तर से घर आते हैं तो मुझसे पूछते हैं कि ‘आज दुनिया में तुमने क्या किया’?’’ ‘‘हां,’’ उसने संदेहपूर्ण स्वर में उत्तर दिया। तब वह बोली, ‘‘तो डार्लिंग, आज मैंने कुछ नहीं किया!’’ 

हम पुरुष कितने मूर्ख हैं जो यह सोचते हैं कि जब हम बाहर काम पर जाते हैं तो पीछे हमारा घर अपने आप व्यवस्थित रहता है-बिस्तर ठीक से लग जाते हैं, कपड़े धुल जाते हैं, बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है तथा किसी जादुई छड़ी के द्वारा सब साफ-सफाई हो जाती है। सम्भवत: हम भी किसी दिन घर आएं तो उसे (पत्नी) बिस्तर पर एक पुस्तक के साथ उकड़ूं  बैठी पाएं, जो मुस्कुराते हुए हमसे कहे, ‘‘डार्लिंग, आज मैंने कुछ नहीं किया...!’’-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News