पावन तीर्थ स्थलों में सुविधाओं की चरमराती व्यवस्थाएं
punjabkesari.in Monday, Jul 10, 2023 - 05:19 AM (IST)

भारत वर्ष मूलत: एक धार्मिक आस्थाओं से परिपूर्ण राष्ट्र है जहां भिन्न- भिन्न धर्मों, जातियों के व्यक्ति अपनी-अपनी आस्थाओं के वशीभूत अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं की भरपूर श्रद्धा से उपासना करते हैं। तीर्थ स्थलों का सामान्यत: व उत्सवों में विशेषतया भ्र्रमण करके स्वयं को धन्य समझते हैं। सरकार एवं प्रशासन भी भरपूर प्रयत्न करते हैं कि यात्रियों को सुख, सुरक्षा, सविधाओं में कोई कमी न रहे जो दूर-दराज के प्रदेशों व विदेशों तक से भी श्रद्धालु आते हैं उन्हें कोई परेशानी न हो उनके प्रयास व उद्देश्य प्रशंसनीय हैं परन्तु फिर भी अक्सर देखा गया है कि विशेष उत्सव के दिनों में सभी व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं जिनमें यात्रियों को परेशानी व हानि उठानी पड़ जाती है ।
हिमाचल के तीर्थ स्थल चाहे वे शक्ति पीठ हो, शिव धाम हो या पौनाहारी एवं गुरु-पीरों के स्थान हों मेलों के दिनों में सभी घोषित व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। सुरक्षा एवं सुविधाओं के नाम पर यात्रियों को कटु अनुुभव से दो चार होना पड़ता है फिर भी आस्था से गहराई से जुड़े श्रद्धालु तीर्थ यात्रा कर अपने ईष्ट के दर्शनों के सुखद एहसास के साथ मन ही मन में अव्यवस्थित हालातों का कटु अनुभव लेकर अपने घरों को लौट जाते हैं।
विशेषत: यह परेशानियां बुजुर्गों, बच्चों, औरतों, बीमारों व दिव्यांगों को ज्यादा पेश आती हैं। रोज समाचार पत्रों में ऐसी खबरें देखने, पढऩे को मिलती हैं जो प्रशासन सरकार व मंदिर प्रबंधकों के दावों को झुठलाती हैं। हर वर्ष व्यवस्थाएं चरमराती रहती हैं प्रशासन लीपापोती करके इतिश्री कर लेता है। केवल देवभूमि हिमाचल व उत्तराखंड में ऐसा हो यह जरूरी नहीं। इन प्रदेशों में तो प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप भी बना रहता है। अन्य राज्यों के तीर्थ स्थलों में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।
यद्यपि तीर्थ स्थानों की सुरक्षा हेतु कड़े कदम आवश्यक हैं, सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के उपराले किए जा रहे हैं तथापि व्यवस्थाओं की नीतियां बनाना ही काफी नहीं है उनकी पालना भी उतनी ही जरूरी है। सरकार व प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि तीर्थ स्थानों से होती अकूत कमाई के नाम पर रस्मी लीपापोती न हो लिखित सूचना मात्र से इतिश्री न हो, नियमों का सख्ती से पालन करवाया जाए, उल्लघंन करने वालों पर जुर्माना ठोक उनका पंजीकरण रद्द किया जाए, खच्चर, पिठू, हाथ गाडिय़ां पालकी, होटलों सभी का रेट निश्चित किया जाए ताकि श्रद्धालुओं का शोषण न हो सके।
बच्चों, बुजुर्गों, स्त्रियों, दिव्यांगों, अस्वस्थ व्यक्तियों को विशेष सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। प्रशासन द्वारा नियमों का सही पालन सुनिश्चित किया जाए औचक निरीक्षण करके यात्रा के पूरे रास्तों पर सी. सी. टी. वी. कैमरों द्वारा नजर रखी जाए, भवन व मंदिरों में बैठ भरपूर कमाई करने वाले पंडितों के व्यवहार व आचरण पर बारीकी से निगाह रखी जाए। श्रद्धालुओं के जान, माल, पैसा, स्वास्थ्य, सुरक्षा को हर पहलू से सुनिश्चित किया जाए। व्यवस्थाओं का भरपूर ख्याल रखा जाए। त्यौहारों, उत्सवों, मेलों के दिनों में सुरक्षा व्यवस्थाएं ज्यादा कड़ी की जाएं तभी तीर्थ स्थलों की मान्यता भी बढ़ेगी, यात्रियों व श्रद्धालुओं की आवक भी बढेग़ी सरकार व मंदिर प्रबंधकों की कमाई भी बढेग़ी अन्यथा भक्तों की भक्ति-भावना स्वयं में सीमित होकर सुप्त हो जाएगी।-जे.पी. शर्मा