‘भारतीय प्रबंधन क्षमताओं का एक सख्त परीक्षण था कोविड-19’

punjabkesari.in Thursday, Mar 11, 2021 - 03:32 AM (IST)

पिछला वर्ष कोविड-19 के लिए भारतीय प्रबंधन क्षमताओं का एक सख्त परीक्षण था। विशेषज्ञ हमारे जैसे घनी आबादी वाले देश में इससे प्रभावित लोगों की गिनती से आशंकित थे। भारत में विश्वास, विचार और अच्छी तरह से कड़े कदम उठाए गए। इससे निपटने के लिए एक अच्छी तरह से समन्वित रणनीति तैयार की गई। 11 मार्च 2020 को डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा कोरोना वायरस को एक महामारी घोषित करने के बाद भारत सरकार ने देशव्यापी लाकडाऊन का निर्णय किया। 

इस प्रारंभिक कार्रवाई ने देशभर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए प्रयास किए। डरा देने वाली भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए सभी राज्यों में हमारे अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धाओं ने खतरनाक रूप से कोरोना वायरस को चुनौती दी। इस चुनौती को ढेर करने के लिए सख्ती भी की गई। 

इस घातक वायरस के खिलाफ युद्ध छेडऩे के इस विशाल प्रयास में डाक्टरों, पैरामैडीकल स्टाफ, स्वास्थ्य, सैनेटरी श्रमिकों सहित हमारी चिकित्सा बिरादरी, हमारे बहादुर पुलिसकर्मी, गांवों में आशा कार्यकत्र्ताओं, हमारे वैज्ञानिकों, उद्यमियों, शोधकत्र्ताओं और वैक्सीन निर्माताओं ने अनमोल जीवन को बचाने के लिए अथक परिश्रम किया। मैं कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उनके अनिश्चित प्रयासों के लिए सभी अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं को सलाम करता हूं। मैं इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने के लिए अपने वैज्ञानिकों और वैक्सीन निर्माताओं के लिए अपनी सर्वोच्च प्रशंसा और कृतज्ञता को दर्ज करवाना चाहता हूं। 

वैश्विक स्तर पर कुछ ही घंटों में वायरस एक देश से दूसरे देश तक फैल गया। प्रत्येक जगह हर राष्ट्र को इससे निपटने की तैयारियों की चुनौती थी। इस वायरस ने दीन और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से कुछ को अपने घुटनों पर ला दिया। कोरोना वायरस जिसने लाखों लोगों को संक्रमित किया और विश्व स्तर पर लाखों लोगों की जान ले ली, ने पिछले साल इस समय के दौरान भारत को पूरी गंभीरता के साथ प्रभावित किया। 

कोरोना वायरस हमले को झेलने के लिए टीम इंडिया ने राष्ट्र को एक बड़ा योगदान दिया। इसी भावना के चलते सभी राज्यों ने कोविड-19 के खिलाफ युद्ध लडऩे के लिए एक-दूसरे का हाथ थामा। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने लोगों की सेवा करने के लिए अपने सभी मतभेदों को भुला कर स्वास्थ्य संकट के लिए कार्य किया। निर्माताओं ने जीवनरक्षक आपूॢत को पूरा करने के लिए सैनेटाइजर, फेशियल मास्क, पी.पी.ई. किटों तथा सर्जीकल दस्तानों से लेकर वैंटिलेटर और वैक्सीन तैयार की। यह अभूतपूर्व राष्ट्रीय प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की भावना को ध्यान में रखते हुए किया गया था। आत्मनिर्भर प्रयास का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है। 

भारतीय मीडिया ने हम सभी को कोरोना वायरस से संबंधित विषयों के बारे में शिक्षित, सूचित और ज्ञान देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मीडिया के लोगों ने सभी बाधाओं को तोड़ते हुए अग्रिम पंक्ति पर खड़े होकर उत्कृष्ट कार्य किया। वह भी उस समय जब महामारी अपनी चरम सीमा पर थी। देश को पल-पल की जानकारी से अवगत करवाने के लिए मीडिया ने सातों दिन 24 घंटे कार्य किया। कोरोना वायरस महामारी ने विश्व स्तर पर कहर बरपाया और दुनिया के सबसे अमीर देशों की अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया। इसने किसी को भी नहीं बख्शा। अनिवार्य रूप से इसने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी लम्बी छाया डाली। कोविड-19 से प्रेरित लॉकडाऊन के प्रभाव से हरेक क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित था लेकिन भारत का किसान डट कर खड़ा था। 

देश के कृषि क्षेत्र ने विपरीत परिस्थितियों के सामने अपना लचीलापन साबित किया। 2020-21 के दौरान भारत की कृषि और इससे  संबंधित गतिविधियों ने 3.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाया। 2019-20 के लिए 2096.65 मिलियन टन का रिकार्ड उत्पादन हुआ जो पिछले वर्ष 285.21 मिलियन टन था। वर्तमान में जैसा कि विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने बताया है कि सबसे खराब दिन अब हमारे पीछे दिखाई देते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर वापस आ गई है। 

कोरोना वायरस ने महामारी प्रबंधन को लेकर हमें बहुमूल्य सबक दिए हैं। डाक्टर सलाह देते रहे हैं कि हमें शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए। जिनके पास एक गतिहीन जीवनशैली है उन्हें नियमित शारीरिक व्यायाम के लिए समय निकालना चाहिए। हमें उच्च तनाव के स्तर को कम करने के लिए योग और ध्यान की कोशिश करनी चाहिए। 

विशेषज्ञों ने यह भी सिफारिश की है कि हमें एक पौष्टिक, संतुलित आहार की ओर बढऩा चाहिए जो हमारी प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे घरों में प्राकृतिक प्रकाश व्यवस्था और वैंटिलेशन हो क्योंकि विश्व में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि संकट अभी टला नहीं और महामारी अभी भी एक सच्चाई है जो एक कठिन आकार ले सकती है यदि हम समय पर उचित उपायों का पालन नहीं करेंगे।-एम. वेंकैया नायडूमाननीय उपराष्ट्रपति


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