सट्टेबाजी एप के जाल में फंसता देश

punjabkesari.in Tuesday, Feb 07, 2023 - 05:11 AM (IST)

देश के इलैक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मिले इनपुट और चीनी कनैक्शन सामने आने के बाद गृह मंत्रालय ने 232 मोबाइल एप को प्रतिबंधित किया है। इसमें 138 ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले और 14 अनधिकृत रूप से ऋण देने वाले एप शामिल हैं। 

ये एप कहीं न कहीं भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुक्सान पहुंचाने की साजिश कर रहे थे। साथ ही यह आई.टी. एक्ट की धारा- 61 के तहत एक तरह का अपराध भी है। दरअसल देश में सरकारी व्यवस्थाओं की नाक के नीचे काफी लम्बे समय से सट्टे का एक ऑनलाइन कारोबार चल रहा है जिससे हर साल सरकारी खजाने को 3.50 लाख करोड़ रुपए का नुक्सान हो रहा है। देश के रेल, शिक्षा, और स्वास्थ्य बजट को जोड़ लें, तो भी ये 3.50 लाख करोड़ रुपए से कम बैठता है। ऐसी कई ऑनलाइन गेम्स अथवा खेल हैं, जिसमें  आप अपनी पसंदीदा टीमें बनाते हैं। 

मैच में खिलाडिय़ों के प्रदर्शन के आधार पर आपको प्वाइंट्स अथवा अंक दिए जाते हैं, और इन्हीं प्वाइंट्स के आधार पर आप जीतते या हारते हैं। लेकिन देश में ऑनलाइन गेम्स अथवा खेलों के नाम पर सट्टा खिलवाने वाली विदेशी कम्पनियां चोरी-छिपे घुस चुकी हैं और वैबसाइट और सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर लोगों को ये बता रही हैं कि खेल में सट्टेबाजी वैध है अथवा लीगल है, और ये गेम ऑफ़ स्किल है। जबकि हमारे देश में सट्टा खेलना और खिलवाना गैर कानूनी है। 

देश में कोई भी खेल वैध है या अवैध है, ये दो पैमानों पर तय किया जाता है। पहला है, गेम ऑफ स्किल यानी कि ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट दिखता हो। दूसरा पैमाना है गेम ऑफ  चांस यानी कि ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट नहीं बल्कि आपकी किस्मत खेलती है और आपकी हार और जीत किस्मत पर टिकी होती है। 

गेम ऑफ स्किल को देश में वैध माना जाता है, और गेम ऑफ चांस को देश में अवैध माना गया है। यानी कि जिस खेल में आपको मेहनत करनी पड़ती है वो खेल वैध है, अब चाहे उसमें आपने दिमाग लगाया हो या फिर शारीरिक मेहनत की हो। ठीक इसी तरह से हर वो खेल अवैध है, जिसमें आपने कुछ नहीं किया बस आपकी किस्मत पर आपकी जीत या हार तय होती है। मोबाइल फोन में हम कई तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। इन गेम्स को देश में गेम ऑफ स्किल के तौर पर जाना जाता है। इस तरीके से ये वैध हैं। 

उदाहरण के तौर पर अगर हम वैध ऑनलाइन गेम्स एप में क्रिकेट को ही ले लें, तो इसमें किसी भी मैच से पहले आप मोबाइल गेम में अपनी एक टीम बनाते हैं फिर उस टीम में आप जो खिलाड़ी चुनते हैं उसका सारा रिकॉर्ड आपको मालूम होता है। आपको पता होता है कि वो खिलाड़ी फॉर्म में है या नहीं, और इस जानकारी को आपका टैलेंट माना जाता है। मैच में उतरने से पहले आप मोबाइल गेम के वॉलेट में कुछ रुपए डालते हैं और इन रुपयों की मदद से आप मोबाइल गेम खेलते हैं। अब अगर आपका चुना हुआ खिलाड़ी अच्छा परफॉर्म करता है, या आपकी बनाई टीम जीत जाती है तो इस आधार पर आपको प्वाइंट्स मिलते हैं और फिर इन प्वाइंट्स के आधार पर आपकी जीत या हार तय होती है जिसमें आपको रैंकिंग के आधार पर रुपए मिलते हैं। इस फॉर्मेट अथवा प्रारूप को वैध माना गया है। 

सट्टेबाजी करवाने वाली कम्पनियां यूजर्स को ऑनलाइन गेम्स के जरिए फंसाती हैं, फिर उन्हें सट्टेबाजी की तरफ लेकर जाती हैं और ये अपने आप में बहुत गंभीर विषय है। खेलों में सट्टेबाजी करवाने वाली इन विदेशी कम्पनियों का प्रचार प्रसार इंटरनैट और स्मार्टफोन की वजह से तेजी से बढ़ रहा है। उदाहरण के तौर पर सट्टेबाजी खिलवाने वाली विदेशी कम्पनियां क्रिकेट, फुटबाल और टैनिस जैसे खेल खिलवाने का लालच देती हैं, और जैसे ही आप कम्पनियों के मोबाइल गेम एप्लीकेशन पर जाते हैं, तो ये मैच खिलवाने के लिए आपसे टीम बनाने या प्लानिंग के बारे में नहीं कहते बल्कि सीधे रुपए मांगते हैं। फिर आप से लाइव चल रहे मैच की भविष्यवाणी करने के लिए कहते हैं। अगर आपका तुक्का सही साबित हुआ तो आप जीतते हैं, नहीं तो आप हार जाते हैं। 

इस तरह के खेल में आपकी स्किल टैलेंट या मेहनत नहीं लगती है, बस आपकी किस्मत होती है। आप बस चांस लेते हैं और अगर चांस सही साबित हुआ तो जीत होती है नहीं तो आप हार जाते हैं। इस तरह खेल खिलवाने वाले ऑनलाइन गेम्स को सरकार गेम ऑफचांस मानती है, और यही वजह है कि ये देश में अवैध हैं। जितनी भी भारतीय कंपनियां आपको ऑनलाइन गेम्स खिलवाती हैं, वे अपनी कमाई में से सरकार को कम से कम 18 प्रतिशत जी.एस.टी. देती हैं। 

ये टैक्स भारत सरकार के खाते में जाता है। लेकिन जो विदेशी कम्पनियां ऑनलाइन गेम्स के नाम पर सट्टा खिला रही हैं, वे किसी भी प्रकार का टैक्स सरकार को नहीं देती हैं, और ऐसी ज्यादातर कम्पनियां उन देशों से आप्रेटर होती हैं, जिन्हें ‘टैक्स हैवन’ कहा जाता है जिनमें माल्टा, एवं साइप्रस जैसे देश प्रमुख हैं। सट्टा खिलवाने वाली कंपनियों को ये मालूम है कि भारत में सट्टेबाजी अवैध है। इस लालच की वजह से देश के खजाने को और कुछ समय बाद आपको भी नुक्सान उठाना पड़ सकता है।-ऋषभ मिश्रा
 


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