राजनीति को किनारे रख सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए
punjabkesari.in Thursday, Jun 06, 2024 - 05:22 AM (IST)
लोकसभा चुनाव का शोर-शराबा खत्म हो गया है और अगले कुछ दिनों में नई सरकार आने वाली है, अब हर किसी के लिए शांत होने का समय आ गया है। रिकॉर्ड डेढ़ महीने तक चले व्यस्त चुनाव अभियान के दौरान उत्पन्न कड़वाहट को अब पारस्परिक रूप से सम्मानजनक और सकारात्मक भावनाओं का रास्ता देना चाहिए और हर किसी को राष्ट्र निर्माण के कार्य में लग जाना चाहिए।
उम्मीद है कि हिंदू-मुस्लिम कार्ड, जिसने चुनाव अभियान को प्रभावित किया, हमेशा के लिए दफन हो जाएगा और हम एक विकसित भारत की दिशा में काम करेंगे। सरकार और विपक्ष को अब एक-दूसरे के प्रति उचित सम्मान और आदर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। नई सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह सकारात्मक शुरूआत करे और चुनाव प्रचार के दौरान लगाए गए आरोपों या कहे गए कठोर शब्दों के लिए ‘हिसाब बराबर’ करने के लिए राजनीतिक प्रतिशोध में शामिल न हो।
दांव बहुत ऊंचे थे और इसलिए नेताओं ने तथ्यों की पुष्टि किए बिना या राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किए बिना ही एक-दूसरे के खिलाफ कदम बढ़ा दिए और एक-दूसरे पर आरोप लगाए। नई सरकार ने अपने लिए कार्य निर्धारित कर लिया है। हालांकि राष्ट्र ने प्रगति की है, विशेषकर बुनियादी ढांचे और कनैक्टिविटी के क्षेत्रों में। इसे अभी भी कुछ गंभीर समस्याओं से जूझना बाकी है। इसकी शुरूआत अच्छी खबर के साथ हो रही है कि वित्तीय वर्ष 2024 के लिए सकल घरेलू उत्पाद को इस साल फरवरी में जारी 7.6 प्रतिशत के दूसरे अग्रिम अनुमान से बढ़ाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया गया है।
इस बीच, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन.एस.ओ.) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक सकल मूल्यवर्धित (जी.वी.ए.)यह वित्त वर्ष 2024 में 7.2 प्रतिशत हो गया जो 2022-23 में 6.7 प्रतिशत था। कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.)ने प्रभावशाली 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की, जो दशकीय औसत 4.4 प्रतिशत से काफी नीचे 1.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी। हालांकि नई व्यवस्था के लिए असली चुनौती विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर उपाय करके विकास के स्तर को बनाए रखना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक विकास का लाभ व्यापक रूप से सबको मिले।
लेकिन सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रोजगार पैदा करना और युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना है। सैंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर मार्च 2024 में 7.4 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2024 में 8.1 प्रतिशत हो गई। शहरी भारत के साथ-साथ ग्रामीण भारत में भी बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी का तनाव मनरेगा नौकरियों की भारी मांग में परिलक्षित होता है।
भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि सी.एम.आई.ई. डाटा से पता चलता है कि युवा बेरोजगारी दर 45.4 प्रतिशत के खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इससे गहरा नुकसान हो रहा है। देश की खातिर हमें नारों के पीछे नहीं छिपना चाहिए बल्कि राजनीति को किनारे रख सुधारात्मक कदम उठाने चाहिएं।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने बताया है कि 45.4 प्रतिशत का यह आंकड़ा 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं से संबंधित है। लेकिन तथ्य यह है कि पिछले 10 वर्षों में बेरोजगारी वास्तव में बढ़ी है और लगभग कोई नई नौकरियां पैदा नहीं हुई हैं। युवा बेचैन हो रहे हैं और झपटमारी, डकैती और चोरी जैसे अपराधों में वृद्धि हो रही है। नई सरकार को मध्यम और लघु उद्यमों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो 10 मिलियन से अधिक नौकरियां प्रदान करते हैं और जिन्हें नोटबंदी, जी.एस.टी. की शुरूआत और अंतत: कोविड महामारी के कारण भारी झटका लगा है। प्रमुख ङ्क्षचता का दूसरा क्षेत्र कृषि क्षेत्र है। इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और कृषि को आधुनिक बनाने तथा सब्जियों, अनाजों और फलों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जाने चाहिएं।
जलवायु परिवर्तन और बिजली की कमी एक अन्य क्षेत्र है जिसके लिए सकारात्मक सरकारी नीतियों की आवश्यकता है। वर्तमान गर्मी की लहर और बिजली की मांग में तेज वृद्धि भविष्य की जरूरतों का संकेत है। अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार को स्कूलों और उच्च शिक्षा, और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं दोनों स्तरों पर शिक्षा के मानकों में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। देश अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए नई सरकार की ओर देख रहा है और दुनिया भारत की विकास गाथा देख रही है।-विपिन पब्बी