कोरोना : हमें सावधानी बरतनी ही पड़ेगी

punjabkesari.in Monday, Nov 29, 2021 - 03:58 AM (IST)

यूरोप में कोरोना फिर कहर ढा रहा है। जैसे-जैसे कोरोना के संक्रमण के दोबारा फैलने की खबरें आ रही हैं, वैसे-वैसे आम जनता में इसे लेकर ङ्क्षचता बढ़ती जा रही है। यह बात सही है कि भारत में कोरोना महामारी की स्थिति पहले से बेहतर हुई है लेकिन जब तक यह बीमारी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाती, हम सबको सावधानी बरतनी ही पड़ेगी। हमें इस बीमारी के साथ अभी और रहने की आदत डाल लेनी चाहिए। कोरोना के चलते दुनिया भर में हुए लॉकडाऊन ने हमें एक बार फिर अपनी जीवन पद्धति को समझने, सोचने और सुधारने पर मजबूर किया है। 

लेकिन पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से लोग बेपरवाह होकर खुलेआम घूम रहे हैं और सामाजिक दूरी भी नहीं बना रहे, उससे संक्रमण फिर से फैलने की खबरें आने लग गई हैं। विशेषज्ञों की मानें तो संक्रमण के मामलों में गिरावट का श्रेय टीकाकरण अभियान को जाता है। साथ ही इसका श्रेय इस साल आई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में पनपी हाइब्रिड इम्युनिटी को भी दिया जा सकता है। 

परंतु जिन्होंने इस बीमारी की भयावहता को भोगा है वे प्रत्येक को पूरी सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं, जबकि जो लोग मामूली बुखार, खांसी झेल कर या बिना लक्षणों के ही कोविड पॉजिटिव से कोविड नैगेटिव हो गए वे यह कहते नहीं थकते कि कोरोना आम फ्लू की तरह एक मौसमी बीमारी है और इससे डरने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन ऐसा सही नहीं है। 

पिछले हफ्ते दक्षिण भारत के एक अंग्रेज़ी अख़बार में एक लेख छपा, जिसके अनुसार यूरोप के अनुभव को देखते हुए ऐसा लगता है कि केवल वैक्सीन से ही कोरोना संक्रमण की शृंखला को नहीं तोड़ा जा सकता और न ही इस महामारी का अन्त किया जा सकता है। यूरोप में पिछले वर्ष मार्च के पश्चात दूसरी बार कोरोना संक्रमण के नए मामलों और मौतों में तेज गति से वृद्धि हो रही है, जो आज पुन: कोरोना महामारी का मुख्य केन्द्र बन गया है। 

इस वर्ष अक्तूबर के प्रारम्भ से ही संक्रमण के मामलों में रोजाना वृद्धि होनी शुरू हो गई थी। यह वृद्धि प्रारम्भ में 3 देशों तक ही सीमित थी, किन्तु बाद में यूरोप के सभी देशों में फैल गई, जिसकी मुख्य वजह डेल्टा वेरिएंट है। पिछले सप्ताह यूरोप में 20 लाख नए मामले सामने आए, जो महामारी की शुरूआत होने के बाद से सर्वाधिक हैं। कोरोना से पूरे विश्व में जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से आधी से ज्यादा इस महीने यूरोप में हुई हैं।ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड्स, जर्मनी, डेनमार्क तथा नॉर्वे में प्रतिदिन संक्रमण के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। रोमानिया तथा यूक्रेन में भी कुछ दिन पहले सर्वाधिक मामले आए। पूरे यूरोप में अस्पताल बैड्स तेज गति से भर रहे हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अगले वर्ष मार्च तक यूरोप के अनेक देशों में अस्पताल, उनमें बैड्स और आई.सी.यू. पर भारी दबाव बना रहेगा। इसने दुनिया भर के देशों को कोविड के खतरे के खिलाफ अलर्ट रहने को कहा और जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं। 

अधिकांश पश्चिमी यूरोपीय देशों में टीकाकरण की दर बहुत ऊंची है। आयरलैंड में 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को इस वर्ष सितम्बर तक दोनों टीके लग चुके हैं। फ्रांस में बिना टीका लगे लोगों की उन्मुक्त आवाजाही तथा कार्यालय जाने को मुश्किल बना दिया गया है। अगले वर्ष फरवरी से आस्ट्रिया में टीकाकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा। आस्ट्रिया में इस वर्ष 22 नवम्बर से 3 सप्ताह का राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन भी लगाया गया है, जहां 65 प्रतिशत लोगों को दोनों टीके लगे हुए हैं फिर भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। 

गौरतलब है कि यूरोप में संक्रमण के अधिकांश नए मामले उन लोगों के हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, जिन्हें ब्रेकथू्र इन्फैक्शन है तथा दोनों टीके लगे हुए लोग भी भारी संख्या में अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। यह सब देखते हुए भारत जैसे देश में भी कुछ कठोर कदम उठाने की जरूरत है, वरना कोरोना की तीसरी ही नहीं चौथी-पांचवीं लहर भी आ सकती है। 

सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिनसे जनता खुद ही आगे आकर टीका लगवाए। इससे कोरोना महामारी से कुछ तो राहत मिलेगी। साथ ही हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम जितनी सावधानी बरतेंगे उतनी ही जल्दी इस बीमारी से छुटकारा पा और बच सकेंगे। किसी ने शायद ये ठीक ही कहा है ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’। इसलिए जितना हो सके खुद को इस बीमारी से बचाने की जरूरत है। 

उधर जिस तरह चीन में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को यह दोबारा हो रहा है, इससे कोरोना के खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। जहां तक सम्भव हो घर से बाहर न निकलें। किसी भी सतह को स्पर्श करने से बचें। साबुन से हाथ लगातार धोते रहें। घर के बाहर नाक-मुंह को ढक कर रखें तो काफी हद तक अपनी व औरों की सुरक्षा की जा सकती है। जब तक कोरोना का कोई माकूल इलाज सामने नहीं आता, तब तक सावधानी बरतना और भागवत कृपा के आसरे ही जीना होगा।-विनीत नारायण             
 


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