‘कोरोना योद्धाओं को वेतन व अन्य सुविधाएं जल्द मिलें’

Saturday, Jun 27, 2020 - 03:25 AM (IST)

देश में कोरोना वायरस बड़ी तेज गति से विस्तृत रूप से फैल रहा है और ऐसे समय में सरकार स्वास्थ्य कर्मियों तथा पुलिस योद्धाओं के लिए कुछ कड़े पग उठाने की सोच रही है। 6 माह से ज्यादा हो चुके हैं जबकि स्वास्थ्य सेवा तथा पुलिस मानसिक तथा शारीरिक रूप से थक चुकी है। कोरोना योद्धाओं का जीवन असुरक्षित हो चला है क्योंकि उन्होंने अपने देश तथा इसके नागरिकों की दिन-रात सेवा कर अपनी तथा अपने पारिवारिक सदस्यों की जान जोखिम में डाली है।  यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारा जीवन बचाने वाले लोग आज के इस दबाव भरे दौर में अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। वे इस पल के इंतजार में हैं कि सरकार उन्हें वह प्रदान करे जिसके वे हकदार हैं। 

निजी तौर पर मेरा मानना है कि उन्हें नि:शुल्क लाइफ इंश्योरैंस दी जानी चाहिए। आखिरकार उन्होंने मानवता के लिए एक अच्छा कार्य किया है इसलिए वे इसके हकदार भी हैं। उनका मासिक वेतन उन्हें समय पर मिलना चाहिए और इसे बढ़ाया भी जाना चाहिए। मैंने सुन रखा है कि नर्सों तथा डाक्टरों को पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिल पाया। यह हमारे लिए बेहद शर्मनाक बात है। यह लोग हमारे लिए ही अपना जीवन कुर्बान करने पर लगे हुए हैं। यहां पर कुछ ऐसे भी अस्पताल हैं जिनके पास न पी.पी.ई. किटें और न ही सैनेटाइजिंग मैटीरियल तथा दवाएं उपलब्ध हैं। यह हमारे बचाने वाले लोगों का हाल है जो दिन-रात अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। पुलिस दूसरा वर्ग है जो अनथक तरीके से राष्ट्र के लोगों का ध्यान रख रही है। संकट के समय में निगरानी रखने के लिए उनके पास संयंत्रों की सहूलियतों की कमी है। ऐसे समय में जबकि हम अपने घरों में आराम से बैठे हैं ये लोग कड़ी मेहनत कर रहे हैं फिर भी हम में से बहुत सारे लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। 

कइयों ने तो अपना जीवन खो दिया है। उनके परिवारों को यहां तक कि मुआवजा भी नहीं दिया गया है। यह कितनी शर्मनाक बात है। दूसरी बात यह है कि जैसा कि हम संकट की इस घड़ी में भुगत रहे हैं। हम समय पर टेस्टिंग  लैब तक भी नहीं पहुंच पा रहे। वहां पर लम्बी-लम्बी कतारें लगी हैं और नतीजे लेने के लिए लम्बा इंतजार किया जाता है। हम लोगों को मानसिक प्रताडऩा झेलनी पड़ रही है। 

अस्पतालों में मृत लोगों के शवों की बहुत दुर्दशा हो रही है। इन्हें देख कर कोई भी व्यक्ति ऐसी कामना नहीं कर सकता कि उसे यह दिन देखना पड़ जाए। अभी तक हमारे पास कोरोना महामारी से लडऩे के लिए कोई वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं है। सभी लोग दबाव को झेल रहे हैं कि आखिर पता नहीं कब कोरोना की वैक्सीन भारत तक पहुंचेगी। हमारे देश में उच्च श्रेणी के डाक्टर तथा वैज्ञानिक हैं जो अपने प्रयोग में सफल हो रहे हैं। मेरा सरकार से निवेदन है कि सभी पी.एम.केयर फंडों को दूसरे फंडों के साथ बेहतर हैल्थ केयर पर लगाया जाए ताकि हम अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के हिसाब से इस महामारी का कोई हल ढूंढ सकें। 

ऐसे फंडों को डाक्टर, पुलिस, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों तथा स्टाफ पर खर्च किया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर सुविधाएं, सुरक्षा तथा इंश्योरैंस पा सकें। हमारा उनको सलाम है क्योंकि संकट की इस घड़ी में वह हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। जब कभी भी देश पर कोई संकट आन पड़ा है तब हम एक साथ खड़े हुए हैं। हमारा एक समर्पित राष्ट्र है। मेरा राज्य सरकारों से भी निवेदन है कि कृपया फंडों को टेस्टिंग किटों पर खर्च किया जाए और दूर-दराज के क्षेत्रों से कोरोना वायरस के टैस्ट किए जाएं। ऐसे क्षेत्रों में कार्य करने की जरूरत है जहां पर लोग अभी भी अशिक्षित हैं। हमें ऐसे लोगों को चिकित्सा मुहैया करवानी चाहिए और उनको बनती मदद देनी चाहिए। 

प्रत्येक व्यक्ति आज असुरक्षित है क्योंकि न तो लोगों के पास रोजगार है और न ही कोई आय। लोगों को स्वास्थ्य के प्रति असुरक्षा सता रही है। उनके पास स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी है। सभी राजनीतिक दलों को ऐसे समय में पार्टी हितों को छोड़ कर एक साथ खड़ा होना चाहिए। मीडिया ने लोगों को शिक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट भूमिका निभाई है। उन्होंने डिबेट के दौरान विश्वव्यापी वैज्ञानिकों तथा डाक्टरों को लोगों को समझाने के लिए उनका सही ढंग से इस्तेमाल किया है। इस महामारी ने केवल हमें ही नहीं पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। 

मैं दुआ करती हूं कि जल्द ही इसकी वैक्सीन या मैडीकेशन उपलब्ध हो और जीवन सामान्य हो जाए। लोगों के व्यवसाय फिर से प्रफुल्लित हों और रोजगार फिर से लौट आए। शीर्ष पर बैठे प्रधानमंत्री अपना कार्य बाखूबी निभा रहे हैं मगर राज्य सरकारों तथा अन्य विभागों को भी अपनी योग्यता के अनुरूप स्थिति को नियंत्रित करना होगा। इस महामारी के दौरान कई अपवाद हैं मगर मुझे भरोसा है कि उनसे भी पार पा लिया जाएगा। दिल्ली में पुलिस तथा स्वास्थ्य कर्मी जोकि रिकवर होकर आए हैं वे भी अस्पतालों में कोविड मरीजों की मदद करने में जुट गए हैं। वे अपना खून प्लाकमा थैरेपी के लिए दे रहे हैं। हमें उन पर गर्व है।-देवी एम. चेरियन
 

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