किसानों के लिए ‘अवसर’ में तबदील हुआ कोरोना काल

Monday, Jul 20, 2020 - 03:14 AM (IST)

कोरोना काल पूरी दुनिया के लिए संकट का काल है, लेकिन देश में कृषि क्षेत्र की उन्नति और किसानों की समृद्धि के लिए यह उषा काल साबित हुआ है क्योंकि भारत  सरकार ने अध्यादेशों के माध्यम से कई नीतिगत सुधारों को अमलीजामा पहनाया है जिनका इंतजार दशकों से किया जा रहा था। किसान अब बिना किसी रोक-टोक देशभर में कहीं भी अपनी उपज बेच सकते हैं। किसानों को अपनी-अपनी मर्जी से फसल बेचने की आजादी मिली और कृषि उत्पादों के लिए एक देश एक बाजार का सपना पूरा हुआ। 

महामारी के संकट के दौर में देश की करीब 1.30 अरब आबादी को खाने-पीने की चीजों समेत रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की अहमियत शिद्दत  से महसूस की गई।  यही वजह थी कि कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर जब देशव्यापी लॉकडाऊन किया गया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को इस दौरान भी छूट देने में देर नहीं की। फसलों  की कटाई, बुवाई समेत किसानों के तमाम कार्य निर्बाध चलते रहे। 

मगर लॉकडाऊन के शुरूआती दिनों में कई राज्यों में ए.पी.एम.सी. द्वारा संचालित जींस मंडियां बंद हो गई थीं जिससे किसानों को थोड़ी कठिनाई जरूर हुई। इस कठिनाई ने सरकार को किसानों के लिए सोचने का एक मौका दिया और इस संबंध में और सरकार ने और अधिक विलंब नहीं करते हुए कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में किसानों के हक में फैसले लेते हुए कृषि क्षेत्र में नए सुधारों पर मुहर लगा दी। मोदी सरकार ने कोरोना काल में कृषि क्षेत्र की उन्नति और किसानों की समृद्धि के लिए तीन अध्यादेश लाकर ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनकी मांग कई दशकों से हो रही थी, इन फैसलों से किसान और कारोबारी दोनों को फायदा मिला है क्योंकि नए कानून के लागू होनेे के बाद ए.पी.एम.सी. का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और ए.पी.एम.सी. मार्कीट यार्ड के बाहर किसी भी जींस की खरीद-बिक्री पर कोई शुल्क नहीं लगेगा जिससे बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। कृषि बाजार में स्पर्धा बढऩे से किसानों को उनकी फसलों को बेहतर व लाभकारी दाम मिलेगा। 

केंद्र सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव किया है जिससे खाद्यान्न दलहन, तिलहन व खाद्य तेल समेत आलू और प्याज जैसी सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल कर दिया है। इस फैसले से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को लाभ मिलेगा। अक्सर ऐसा देखा जाता था कि बरसात के दिनों में उत्पादक मंडियों में फसलों की कीमत कम होने से किसानों को फसल का भाव नहीं मिल पाता था जबकि शहरों की मंडियों में आवक कम होने से उपभोक्ताओं को ऊंचे भाव पर खाने-पीने की चीजें मिलती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि कारोबारियों को सरकार की ओर से स्टाक लिमिट जैसी कानूनी बाधाओं का डर नहीं होगा जिससे बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच समन्वय बना रहेगा। 

दूसरा सबसे अहम कानूनी बदलाव कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020  के माध्यम से हुआ है जिससे कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्र एक बाजार का सपना साकार हुआ है क्योंकि इससे पहले किसान ए.पी.एम.सी.के बाहर किसी को अपनी उपज नहीं बेच सकते थे। अगर कोई किसानों  से सीधे खरीदने की कोशिश करता भी था तो ए.पी.एम.सी. वाले उसके पीछे लगे रहते थे और उसे टैक्स देना होता था लेकिन अब ए.पी.एम.सी. के बाहर किसान किसी को भी अपनी मर्जी से फसल बेच सकते हैं। इस प्रकार कोरोना काल को भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए अवसर में बदलने की कोशिश की है जिसके नतीजे आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश के आर्थिक विकास की धुरी बनेगी।

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