कोरोना : अब ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’ की सोच सता रही

Wednesday, Mar 18, 2020 - 01:20 AM (IST)

असाधारण कोरोना वायरस के फूटने के असर की सही पिक्चर अभी उभर कर आनी बाकी है। 2 सप्ताह पहले यह वायरस मात्र एक न्यूज स्टोरी था मगर अब इसने प्रत्येक नागरिक के जीवन को छू लिया है। काम करने से लेकर रात्रि भोज तक साधारण आदमी के जीवन का प्रत्येक पहलू इससे प्रभावित हुआ है। रोजमर्रा की जीवनचर्या इसने बदल कर रख दी है। अब ज्यादातर लोग अपने घरों से ही अपना काम निपटा रहे हैं। न तो वे रेस्तरां जा रहे हैं और न ही सिनेमा। सोशल लाइफ जैसे कट कर रह गई है। इसके नतीजे में अब सभी का ध्यान अपने स्वास्थ्य को हाईजीन करने पर केन्द्रित है। लोगों को अब ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’ की सोच सता रही है। हालात बदतर होते जा रहे हैं। 

इसका मतलब यह नहीं कि हम सब पैनिक हो जाएं। सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार ने इसे एक राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है। केन्द्र तथा राज्य सरकारें मिल कर इस वायरस पर अंकुश लगाने में जुटी हुई हैं। इस वायरस ने  रोजाना के जीवन पर  असर डाला है। स्कूल बंद, शैक्षिक संस्थान बंद, बिजनैस बंद, सिनेमा हाल बंद तथा स्टॉक मार्कीट में बेचैनी व्याप्त है। अस्पताल रोगियों से भरे पड़े हैं तथा मूवी इंडस्ट्री भी नई फिल्मों को रिलीज नहीं कर पा रही। इसके चलते सिनेमाघर बंद होते जा रहे हैं। इस आपदा से उभरने में हमारे देश को लम्बा वक्त लगेगा। 

भगवान भी इससे अछूते नहीं रहे
हाल ही की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भगवान भी इससे अछूते नहीं रहे। ऐसा माना जा रहा है कि वे भी श्रद्धालुओं के कारण कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश में तो एक प्रसिद्ध मंदिर के पुजारियों ने देवी-देवताओं पर मुखौटे चढ़ा दिए हैं तथा श्रद्धालुओं को कहा है कि मूॢतयों को छूने से पूर्व सैनीटाइजर से अपने हाथ स्वच्छ करें। स्वामी नारायण मंदिर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। पहली मर्तबा सदियों पुराने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् ने प्रमुख सेवाओं को निलम्बित कर दिया है। 

वायरस ने सभी ज्वलंत मुद्दों को लगभग पीछे धकेल दिया है
दिलचस्प बात यह है कि कोरोना वायरस ने सभी ज्वलंत मुद्दों को लगभग पीछे धकेल दिया है। राजनीतिक मुद्दे जैसे अर्थव्यवस्था, सी.ए.ए. विरोधी प्रदर्शन इत्यादि ठंडे बस्ते में पड़ गए हैं। यही नहीं, संसद में भी सी.ए.ए. प्रदर्शन विरोधी बहस इतनी ज्यादा गर्म नहीं थी जैसी कि आशा की गई थी। सरकार भी ऐसे हमलों से मौन है। हालांकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी निरंतर ही आॢथक मंदी को लेकर मोदी सरकार पर अपने वार करते नजर आ रहे हैं। 

आर्थिक गतिविधियों पर पूरे विश्व भर में कोरोना वायरस का प्रभाव पड़ा है। पूरी सप्लाई चेन प्रभावित हुई है और प्रमुख वैश्विक समारोह या तो रद्द हो चुके हैं या फिर स्थगित हो गए हैं। सरकार की आशा के अनुरूप अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ा है। भारतीय अर्थशास्त्री चिंतित हैं कि वर्तमान जनवरी-मार्च तिमाही में कोरोना वायरस के कारण वृद्धि दर कम हो सकती है और इसका असर अगले वित्तीय वर्ष पर भी पड़ सकता है। सरकार ने 2019-20 के वित्तीय वर्ष में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर की आशा की थी। अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने 6-6.5 प्रतिशत वृद्धि दर आंकी थी। विनिर्माण उद्योग, रियल एस्टेट, शिक्षा, पर्यटन, मनोरंजन, खेल तथा अर्थव्यवस्था का प्रत्येक पहलू वायरस से प्रभावित हुआ है। 

यदि हम शिक्षा क्षेत्र की बात करें तो ज्यादातर स्कूल, कालेज तथा यूनीवर्सिटियां बंद हो चुकी हैं। जो छात्र होस्टलों में ठहरे थे उन्हें अपना बिस्तरा बांध घर जाने को कहा गया है। लाखों-करोड़ों की हास्पिटैलिटी इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही है। लोग यात्रा करने से डर रहे हैं। सरकार द्वारा यात्रा पर अंकुश लगाने से पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है। एयरलाइन टिकटें तथा होटल बुकिंग की कीमतें भी आधी हो चुकी हैं। 46 बिलियन डॉलर वाली ग्लोबल क्रूज इंडस्ट्री भी कोरोना वायरस के फूटने से प्रभावित हुई है। यदि इस वायरस के फैलने पर जल्द ही नियंत्रण न हुआ तो इसका असर एडवर्टाइजिंग तथा मार्कीटिंग ब्रांडों पर भी पड़ेगा। 

कोरोना वायरस महामारी सार्स से भी ज्यादा बड़ी है
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में चेताया था कि फार्मा तथा इलैक्ट्रोनिक विनिर्माण क्षेत्र पर भी वायरस का असर पड़ेगा तथा जी.डी.पी. वृद्धि दर और कम हो जाएगी। आर.बी.आई. गवर्नर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी सार्स से भी ज्यादा बड़ी है। इस समय चीन का विश्व जी.डी.पी. तथा वल्र्ड ट्रेड में हिस्सा ज्यादा है। भारतीय आई.टी. कम्पनियां शंघाई तथा पेइङ्क्षचग पर निर्भर हैं। इसके चलते कई चालू परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकेंगी। भारत की अग्रणी ऑटो कम्पनियां जैसे महिन्द्रा, टाटा मोटर्स तथा हीरो मोटो कार्प ने माना है कि कोरोना वायरस ने उनके उत्पादन पर असर डाला है तथा स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। ऑटो सैक्टर में पिछली अप्रैल से लेकर इस वर्ष जनवरी तक की अवधि में बिक्री में 15 प्रतिशत की कमी देखी गई है। 

अपरिचित का खौफ ज्यादा शक्तिशाली है तथा वायरस अभी भी अनजान बना हुआ है। यह महामारी कहां तक फैलेगी, इस पर भी अनिश्चितता बनी हुई है। पूर्व में सार्स महामारी ने खत्म होने में 6 माह का वक्त लिया था। ये सब कुछ पब्लिक हैल्थ उपायों से संभव हुआ था। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश होने के नाते भारत इससे चिंतित है मगर फिर भी हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं। ले-देकर भारत की प्रतिक्रिया तथा निगरानी काफी मजबूत है और इसे उस समय तक बेपरवाह होने की जरूरत नहीं जब तक कि इस महामारी का खतरा खत्म नहीं हो जाता। भारतीय नागरिकों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है कि वे स्वास्थ्य पाबंदियों की पालना करें।-कल्याणी शंकर
  

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