गहलोत के तीखे तेवरों से बढ़ा कांग्रेस का संकट

Wednesday, Nov 30, 2022 - 05:35 AM (IST)

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भाजपा सहित दूसरे विपक्षी दलों पर प्रभाव पड़े या नहीं, किन्तु राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस में मचे घमासान से यात्रा के उद्देश्य पर पानी फिर गया है। इस यात्रा के जरिए भाजपा सहित क्षेत्रीय दलों को निशाना बनाने वाले राहुल गांधी कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण खुद निशाने पर आ गए हैं। राजस्थान में सत्ता को लेकर मचे घमासान से कांग्रेस की जगहंसाई हो रही है। विपक्षी दल यात्रा को लेकर राहुल पर तंज कस रहे हैं कि देश को जोडऩे की बात को भूल कर राहुल गांधी को पहले कांग्रेस को जोडऩा चाहिए। 

कभी सारे देश पर राज करने वाली कांग्रेस सत्ता को लेकर होने वाली ऐसी अंदरूनी कलहों और नीतियों में अस्पष्टता के कारण सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमट कर रह गई है। कांग्रेस में गड़बड़ी के ज्वालामुखी आने के संकेत तो तभी मिल गए थे, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गांधी परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया था। कांग्रेस में नया बखेड़ा गहलोत के उस बयान के बाद खड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट को गद्दार बताते हुए किसी भी हालत में मुख्यमंत्री नहीं बनने देने की घोषणा कर डाली। गहलोत का यह बयान उस वक्त आया जब सचिन पायलट मध्यप्रदेश के खंडवा में राहुल गांधी की पद यात्रा में शामिल थे। 

इसी साल उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतिन शिविर में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें ‘एक नेता एक पद’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसी वजह से गांधी परिवार ने गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनने की सूरत में मुख्यमंत्री बने रहने की स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। गहलोत यह नहीं चाहते थे कि अध्यक्ष पद के कारण मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बनाया जाए। इससे गहलोत की राजस्थान की राजनीति पर सीधा असर पड़ता, उनके समर्थकों को किनारे किए जाने का खतरा मंडरा रहा था। गहलोत ने यह खतरा उठाना मंजूर नहीं किया। 

दरअसल गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान की कमजोर नस पकड़ ली है। उन्हें अच्छी तरह पता है कि सरेआम सचिन पायलट का विरोध करने के बावजूद आलाकमान में इतनी हिम्मत नहीं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दे या कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। यह तस्वीर काफी हद तक तभी स्पष्ट हो गई थी, जब अध्यक्ष पद पर चुनाव लडऩे के संबंध में सोनिया गांधी से मिलने गए गहलोत के समर्थन में उन्हीं के दो मंत्रियों के सरकारी आवास पर एकत्रित हुए विधायकों ने उनके प्रति समर्थन जताया था। अंतरिम अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने इसे अवज्ञा मानते हुए खरगे और ललित माकन को राजस्थान भेज कर रिपोर्ट तलब की थी। इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर ललित माकन ने राजस्थान प्रभारी पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी। 

माना यही जा रहा था कि समय के साथ यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाएगा और कांग्रेस इस समस्या का जैसे-तैसे समाधान कर लेगी, किन्तु अशोक गहलोत के पायलट को गद्दार बताने वाले बयान से मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया। गहलोत का आरोप था कि ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है  जिसने भारतीय जनता पार्टी की मिलीभगत से राजस्थान की कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करने का प्रयास किया था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर पायलट ने भाजपा से मिलकर बहुमत हासिल करने का विफल प्रयास किया था। 

पार्टी का अध्यक्ष पद संभालते ही इस राजनीतिक संकट से जूझना खरगे के लिए आसान नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने से पार्टी कतरा रही है। यह भय इसलिए भी है कि कहीं गहलोत सीधे चुनौती देने पर न उतर आएं। गौरतलब है कि राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए हाईकमान और राहुल गांधी का प्रयास यही है कि किसी भी तरह इस मुद्दे पर कठोर कार्रवाई से बचा जाए। कांग्रेस के समक्ष मुश्किल यह है कि यदि कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई तो इस झमेले में कहीं राजस्थान भी हाथ से न चला जाए और कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलेगा। 

वैसे कांग्रेस में मची जंग की हालत का क्लाइमैक्स विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के दौरान देखने को मिलेगा। गहलोत कभी नहीं चाहेंगे कि पायलट समर्थकों या आलाकमान के चहेतों को टिकट मिले। उनका प्रयास यही रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा टिकट उनके चहेतों को ही मिलें, ताकि उनके फिर से मुख्यमंत्री बनने में कोई चुनौती पेश नहीं कर सके। इतना अवश्य है कि कांग्रेस के मतदाताओं के सामने कांग्रेस कोई आदर्श प्रस्तुत करने की हालत में नहीं है। कांग्रेस को आगे की लंबी राजनीतिक पारी खेलनी है तो अनुशासन की कोई न कोई रेखा अवश्य खींचनी होगी, अन्यथा नेताओं की महत्वाकांक्षा की बलिवेदी पर चढऩे से बचना कांग्रेस के लिए दुष्कर साबित होगा।-योगेन्द्र योगी

Advertising