‘कांग्रेस मुक्त भारत’ एक मृग तृष्णा

punjabkesari.in Sunday, Sep 25, 2022 - 06:22 AM (IST)

कांग्रेस पार्टी के अंदरुनी पार्टी के चुनाव में एक असामान्य रुचि नजर आती है। 2 वर्ष पूर्व भाजपा सहित भारत में किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि जे.पी. नड्डा भाजपा के अध्यक्ष चुने जाएंगे। यह बात न ही किसी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिमाग में थी। किसी ने भी ऐसी बातों के बारे में चिंता नहीं की थी। न तो किसी को रिटर्निंग ऑफिसर के बारे में पता था और न ही यह पता था कि नड्डा ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं।

हालांकि भाजपा सत्ताधारी पार्टी थी जिसके पास विश्व में किसी भी राजनीतिक दल से ज्यादा सदस्य थे। नड्डा का चुनाव एक गैर घटना मानी गई।कांग्रेस पार्टी के चुनावों को लेकर भाजपा तथा मीडिया में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई जा रही है जो दो तथ्यों को उजागर करती है। एक तो ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ एक कल्पना और मृग तृष्णा जैसी बात है जो कभी भी पूरी होने वाली नहीं है। दूसरा यह कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने भाजपा को हिला कर रखा है।

पार्टी तथा गांधी 
कांग्रेस पार्टी अपना अगला अध्यक्ष अक्तूबर महीने में चुनेगी। यह कौन होगा? इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। यदि हम रैंक और रिकार्ड की बात करें तो निश्चित तौर पर सभी की राय है कि राहुल गांधी इस कार्यालय को संभालें जिससे उन्होंने जुलाई 2019 को इस्तीफा दिया था। यह उनका अधिकार है। हालांकि राहुल ने यह स्पष्ट तौर पर साफ कर दिया है कि उनकी फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष पद को पाने की कोई लालसा नहीं है।पार्टी नेता एक अंतिम प्रयास करेंगे ताकि राहुल गांधी को अपना मन बदलने के लिए मनाया जा सके। यदि वह यह बात नहीं मानते तो हमें उनकी आशाओं का आदर करना चाहिए और हमें आगे बढऩा चाहिए।

अंतरिम अध्यक्ष पर पर्दा गिराने के बाद हमें एक नए व्यक्ति को अध्यक्ष चुनना चाहिए। मेरे हिसाब से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर एक गैर-गांधी के चुनाव का मतलब यह नहीं कि पार्टी ने गांधियों को नकार दिया है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास के पास बहुमूल्य सबक हैं। भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर महात्मा गांधी के आगमन के बाद गांधी कांग्रेस पार्टी के स्वीकृति प्राप्त नेता रहे हैं। ऊंचे कद के नेताओं में से गांधी सर्वोपरि थे। 1921-1948 की अवधि के दौरान कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पर 14 विभिन्न व्यक्ति विराजमान हुए। उनमें सी.आर. दास, सरोजनी नायडू, एस. श्रीनिवास अयंगर, एम.ए. अंसारी, मोती लाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस, अबुल कलाम आजाद तथा आचार्य कृपलानी जैसे दिग्गज शामिल थे।

सबसे अलग बात यह थी कि महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के नेता थे तथा अन्य लोग कांग्रेस के अध्यक्ष। एक ऑफिस या व्यक्ति को अन्यों पर हावी होने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुछ इसी तरह की व्यवस्था 1948 तथा 1964 के मध्य देखी गई। पंडित जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस के एक स्वीकृति प्राप्त नेता थे जबकि 7 अन्य व्यक्तियों ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कुर्सी को संभाला। 1965 से लेकर 1984 की अवधि भी कुछ अलग न थी। इंदिरा गांधी कांग्रेसी नेता थीं जबकि 8 अन्य व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष थे। एक विशाल देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की व्यवस्था एक प्रख्यात भावना को प्रकट करती है। एक नेता का कार्य लोगों को नेतृत्व प्रदान करने का होता है। इसके साथ-साथ वह एक दृष्टिकोण उनके साथ सांझा करता है तथा पार्टी के लिए मतदान करने हेतु उन्हें प्रेरित भी करता है।

अध्यक्ष का मुख्य कार्य संगठन की सभी चीजों को व्यवस्थित करना है। वह इसे अच्छे ढंग से स्थापित करता है तथा एक जुझारू चुनावी मशीन का निर्माण करता है। दोनों ही कार्य प्रशंसनीय हैं। यदि एक पार्टी एक व्यक्ति को दोनों ही कार्यों को पूरा करने के लिए खोजती है तब एक पार्टी अपने आपको खुशकिस्मत समझती है। यदि यह दो व्यक्तियों के बीच कत्र्तव्यों को बांटती है तब पार्टी व्यावहारिक तथा ईमानदार होती है।

प्रेरणा और पुन: निर्माण
जैसा कि मैंने कहा है कि एक नेता को दूसरे लोगों को प्रेरित करना चाहिए। महात्मा गांधी ने ऐसा ही अङ्क्षहसा, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा अंतत: भारत छोड़ो आंदोलन के राजनीतिक निबंध के माध्यम से किया। पं. जवाहर लाल नेहरू ने गुटनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद के ऊंचे विचारों के द्वारा  लोगों की सोच को बदला।इंदिरा गांधी ने राष्ट्र को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया और सबके लिए घर तथा बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसे बड़े उपायों को राष्ट्र के लिए आगे बढ़ाया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी स्वॢणम चतुर्भुज जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के द्वारा राष्ट्र की सोच को ऊंचा किया। ‘भाग्य के साथ प्रयास करना’ और उत्तेजक नारे ‘गरीबी हटाओ’ या फिर एक नए दृष्टिकोण ‘इंसानियत, जम्हूरियत तथा कश्मीरियत’ जैसे प्रेरक नारे सुनने के लिए मिले। ऐसे नारे नेताओं को बुलंदियों पर ले जा सकते हैं। इसके विपरीत एक पार्टी अध्यक्ष को जमीन से जुड़े होना चाहिए तथा झुंड को अपने साथ ले जाना चाहिए। इसके साथ-साथ उसे कड़े निर्णय भी लेने चाहिएं। आज कांग्रेस पार्टी की मशीनरी एक गंभीर खराबी को झेल रही है तथा इसे तत्काल ही ठीक करने की जरूरत है। इसके लिए सड़क पर बिताए जाने वाले लम्बे-लम्बे घंटों के माध्यम से पार्टी कार्यकत्र्ताओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

पार्टी अध्यक्ष को ब्लाक स्तर से लेकर जिला और जिला से लेकर राज्य तक पार्टी के प्रत्येक यूनिट पर करीबी दृष्टि रखनी चाहिए। पार्टी अध्यक्ष को लोगों से लाड-प्यार करने के अलावा कार्यकत्र्ताओं को दंड भी देने की जरूरत है।  पार्टी अध्यक्ष को पार्टी की मशीनरी को पुराने ढंग के या फिर नुक्स वाले हिस्सों को बदलने का हक भी होना चाहिए। अध्यक्ष के जन्मदिन को छोड़ कर यह कार्य 364 दिन में सातों दिन 24 घंटे का होना चाहिए। बहुदलीय लोकतंत्र तथा एक कार्यकारी संसद की कुंजी कांग्रेस के पास है। कांग्रेस की अनुपस्थिति में हमारे पास देश में एक पार्टी ही होगी। इस तरह हम लोकतंत्र की कल्पना ही कर सकते हैं।-पी. चिदम्बरम


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