कांग्रेस को पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में भीतरघात की आशंका

punjabkesari.in Tuesday, Sep 19, 2023 - 04:58 AM (IST)

हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) की सप्ताहांत बैठक के बाद कांग्रेसी नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं। वे चुनावी मोड में उतरने के लिए तैयार हैं। सी.डब्ल्यू.सी. जोकि पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था है, ने कई विवादास्पद और संवेदनशील विषयों पर सहमति व्यक्त की और अपने भविष्य की योजना बनाई। 

मल्लिकार्जुन खरगे के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद यह पहली बैठक थी। बैठक में सोनिया, राहुल और प्रियंका के शामिल होने से गांधी परिवार की मजबूत उपस्थिति रही। I.N.D.I.A. विपक्षी गठबंधन की तीन सार्थक बैठकों के बाद सी.डब्ल्यू.सी. सदस्यों ने राहुल गांधी के नेतृत्व और भारत जोड़ो यात्रा को आगे बढ़ाने के इरादे का समर्थन किया। सदस्यों में इसके प्रति आश्वासन और सकारात्मकता का भाव था। 

विभाजित तेलंगाना की राजधानी के रूप में हैदराबाद का चयन महत्वपूर्ण है क्योंकि 3 महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 2014 के बाद से कांग्रेस ने दोनों विभाजित राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को खो दिया है। राजनीतिक,आर्थिक और सुरक्षा स्थितियों पर विचार करने के बाद सी.डब्ल्यू.सी. ने जोरदार ढंग से घोषणा की कि यह आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कांग्रेस ने I.N.D.I.A. गठबंधन के समर्थन से खुद को भाजपा के विकल्प के तौर पर पेश किया है। 

कांग्रेसी नेता I.N.D.I.A. को लेकर आशावादी हैं। गठबंधन में ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस प्राथमिक भूमिका निभाना चाहती है और उसमें सभी मोर्चों पर खासकर मणिपुर और कश्मीर में मोदी सरकार की विफलता की आलोचना की है। 14 प्रस्तावों में से एक में कहा गया है, ‘‘सी.डब्ल्यू.सी. I.N.D.I.A. पहल को वैचारिक और चुनावी सफलता बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के संकल्प को दोहराती है ताकि हमारा देश विभाजनकारी और धु्रवीकरण की राजनीति से मुक्त हो। सामाजिक समानता और न्याय की ताकतें मजबूत हों और लोक एक ऐसी केंद्र सरकार प्राप्त करें जो जिम्मेवार, संवेदनशील, पारदर्शी, जवाबदेह और उत्तरदायी हो। संक्षेप में चुनाव अभियान पर जोर होगा। यह संदेश अपने गठबंधन सहयोगियों के प्रति पार्टी की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि के रूप में कार्य करता है। नेताओं के बीच अंतर्निहित विरोधाभासों के कारण इसे लेकर संदेह बना हुआ है। पार्टी ने तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाई।

कांग्रेस के समक्ष चुनौतियों में गठबंधन बनाने और I.N.D.I.A. के कुछ सदस्यों के साथ सीटों के समायोजन पर केंद्रीय नेतृत्व और विशिष्ट राज्य इकाइयों के बीच अलग-अलग विचार शामिल हैं। आंतरिक आकलन के अनुसार कांग्रेस को पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में अपने भीतर से परेशानी की आशंका है। पंजाब और दिल्ली में पार्टी नेता प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं। पश्चिम बंगाल में राज्य नेतृत्व का सीधा मुकाबला तृणमूल कांग्रेस से है। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा सत्ता के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। आंतरिक सर्वेक्षणों के आधार पर कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में थोड़ा फायदा है और मध्य प्रदेश में उसकी स्थिति मजबूत है। पार्टी के अंदरूनी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि तेलंगाना में अब कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो रही है। पार्टी ने 17 सितम्बर को ‘हैदराबाद दिवस’ मनाने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जो 1948 में शहर के भारत में शामिल होने का प्रतीक है। 

संसद में विधायी कार्य के बारे में संकल्प मुख्य रूप से संविधान की समीक्षा के प्रस्तावों को अस्वीकार करने पर केंद्रित थे। पार्टी ने एक-तिहाई महिला आरक्षण विधेयक और एस.सी./एस.टी. तथा ओ.बी.सी. के बीच आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग की। इन उपायों का उद्देश्य विभिन्न मतदाता समूहों पर जीत हासिल करना है। सी.डब्ल्यू.सी. ने मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 चुनाव आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयक का भी  विरोध किया। यह तर्क दिया गया कि विधेयक चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को नुक्सान पहुंचा सकता है। 

सी.डब्ल्यू.सी. ने भाजपा के ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया। एक प्रस्ताव में भाजपा की हृदयहीनता की आलोचना की गई। जम्मू-कश्मीर में संकट के दौरान मोदी की जी-20 उपलब्धियों का जश्न मनाने  और सुरक्षा कर्मियों के बलिदान का  अनादर करने के लिए भाजपा की आलोचना की गई। इस बीच कांग्रेस  का यह कहना है कि वह विवादास्पद विषयों से बच रही है और सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत में विश्वास करती है। सी.डब्ल्यू.सी. के बाद सार्वजनिक रैली में सोनिया गांधी ने आगामी तेलंगाना चुनावों के लिए 6 वायदे किए। सोनिया ने कई अन्य लाभों की भी घोषणा की। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपनी नई कहानी का खुलासा नहीं किया है जबकि स्पष्ट है कि विचारधारा केंद्रीय मुद्दा है। कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। पार्टी की सफलता, सीट सांझाकरण, उम्मीदवार चयन, गठबंधन, संसाधन और कार्यकत्र्ता समर्थन सहित कई कारकों पर निर्भर करेगी।-कल्याणी शंकर


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