कृषि का संपूर्ण मशीनीकरण : चुनौतियों से पार पाने का प्रयास

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2024 - 05:25 AM (IST)

कृषि, पशुपालन एवं फूड प्रोसैसिंग से संबंधित पार्लियामैंटरी स्टैंडिंग कमेटी ने देश के छोटे एवं सीमांत किसानों की खेती के लिए मशीनीकरण बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। कमेटी की हालिया रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली बहुमुखी चुनौतियों से पार पाने के लिए संपूर्ण मशीनीकरण इसलिए जरूरी है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में  इस सैक्टर का बहुत बड़ा योगदान है। 

भले ही भारत के पास दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 2.4 प्रतिशत व जल संसाधनों का सिर्फ 4 प्रतिशत है, बावजूद इसके यहां का कृषि सैक्टर विश्व की 17 प्रतिशत आबादी व 15 प्रतिशत पशुधन का भरण-पोषण करता है। देश की जी.डी.पी. में 20 प्रतिशत योगदान दे रहा कृषि एवं संबंधित क्षेत्र 65 प्रतिशत आबादी के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है, इसलिए कम मशीनीकरण वाले इलाकों में भी छोटे किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए उन्हें खेती की पारंपरिक प्रथाओं से आगे उन्नत मशीनीकरण की ओर बढ़ने की जरूरत है। 

मशीनीकरण की स्थिति : हमारे देश में कृषि का मशीनीकरण 40 प्रतिशत से नीचे है जबकि चीन जैसे विकासशील देश में यह 60 प्रतिशत व ब्राजील में 75 प्रतिशत है। गौरतलब है कि हरित क्रांति की अगुवाई करने वाले कृषि प्रधान राज्यों पंजाब व हरियाणा में भी कृषि का मशीनीकरण लगभग 40 प्रतिशत है, जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों में यह न के बराबर है। 

पार्लियामैंटरी स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में देश के 86 प्रतिशत छोटे किसानों के कृषि मशीनीकरण के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि ऐसे किसानों को महंगी मशीनरी खरीदने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जब तक छोटी जोत के लिए उपयुक्त मशीनें उपलब्ध नहीं कराई जातीं या छोटे किसानों की सांझेदारी में मशीनीकरण को बढ़ावा नहीं दिया जाता, तब तक देश में कृषि मशीनीकरण का स्तर 75 प्रतिशत तक पहुंचने में अभी 25 साल और लगने की उम्मीद है। 

लागत घटाने में मददगार : संसाधनों के कुशल उपयोग से खेती की लागत को कम करने व उत्पादकता बढ़ाने में कृषि मशीनीकरण की भूमिका महत्वपूर्ण है। कृषि वैज्ञानिकों व संसदीय समितियों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारत में कृषि मशीनीकरण की मदद से बीजों व फर्टिलाइजर की खपत में 15 से 20 प्रतिशत की बचत होती है। बीजों के अंकुरण में 7 से 25 प्रतिशत का सुधार, समय की 20-30 प्रतिशत बचत व खरपतवार 20 से 40 प्रतिशत घटाए जा सकते हैं। लेबर खर्च 20 से 30 प्रतिशत कम करके फसलों की गहनता में 5 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की गुंजाइश है, जबकि उपज में 13 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकती है। कुल मिलाकर मशीनीकरण से पानी, मिट्टी के पोषक तत्व जैसे प्राकृतिक संसाधानों की संभाल में आसानी होती है। 

कृषि मशीनीकरण के क्षेत्र में संभावनाएं : कृषि एवं संबंधित क्षेत्र, जैसे पशुपालन व मुर्गीपालन में लगातार आधुनिकीकरण की जरूरत है। खेती में विविधता चाहे बड़े पैमाने पर हो या छोटे पैमाने पर, खेती श्रमिकों की बढ़ती कमी के कारण कृषि उपकरणों की उपयोगिता बढ़ रही है। बुनियादी ट्रैक्टरों से लेकर अति आधुनिक कंबाइन हार्वेस्टर, लेजर लेवलर, ड्रोन, रिमोट सैंसिंग और पोल्ट्री व डेयरी फार्म के आधुनिकीकरण का श्रेय कृषि मशीनीकरण को जाता है, जिसकी वजह से भारत में यह कारोबार साल 2024 में लगभग 17 लाख करोड़ व 2029 तक 21 लाख करोड़ रुपए तक होने की संभावना है। 

कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के पांच चरण 
कृषि इंजीनियरिंग निदेशालय की स्थापना : पार्लियामैंट्री कमेटी ने कृषि नीति की प्रभावी एवं कुशलता से निगरानी और इसे कारगर ढंग से लागू करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक कृषि इंजीनियरिंग निदेशालय स्थापित करने की सिफारिश की है। वर्तमान में ऐसे निदेशालय स्थापित करने की पहल केवल मध्य प्रदेश व तमिलनाडु ने की है। प्रत्येक राज्य में यह निदेशालय स्थापित करने की दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर.) काम कर रही है। किसानों के खेतों तक जाकर उन्हें अत्याधुनिक मशीनों के प्रदर्शन, ट्रेनिंग, मुरम्मत व उनके रख-रखाव में मदद के लिए जिला स्तर पर कृषि मशीनरी इंजीनियर नहीं हैं। 

कृषि मशीनरी बैंक : महंगी कृषि मशीनरी खरीदने में छोटे किसान समर्थ नहीं हैं। इस मसले का हल करने के लिए सरकार ने लगभग सभी राज्यों में ‘कस्टम हायरिंग सैंटर’ व फार्म मशीनरी बैंक शुरू किए हैं, जहां किसान किराए की मशीन सांझा कर सकते हैं लेकिन इन स्कीमों का लाभ गांव पंचायत स्तर पर नहीं हो सका। 

पूर्ण स्कीम का अभाव : सितम्बर 2022 में कृषि मशीनरी सबमिशन का विलय राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में कर दिया गया, जिससे यह मिशन कमजोर पड़ गया। इस मिशन को तेज करने के लिए एक पूर्ण कृषि तंत्र योजना लागू करने की जरूरत है। 

आर. एंड डी. के लिए फंड में कटौती : कृषि मशीनीकरण की रिसर्च एंड डिवैल्पमैंट के लिए बजट में पिछले चार वर्ष से लगातार कटौती की जा रही है। वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक इसे 30 प्रतिशत घटाया गया है। 
टैक्स प्रोत्साहन : छोटे किसानों द्वारा एवं बागवानी में उपयोग होने वाले कम हॉर्सपावर के छोटे ट्रैक्टरों व इनके पुर्जों पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगता है, जबकि जुलाई 2017 में जी.एस.टी. लागू होने से पहले तमाम कृषि मशीनरी टैक्स मुक्त थी। जी.एस.टी. लागू होने से 5 से 7 लाख रुपए कीमत वाले छोटे ट्रैक्टर पर किसान को 60 हजार से लेकर 84 हजार रुपए जी.एस.टी. देना पड़ रहा है। इसे किफायती बनाने के लिए जी.एस.टी. हटाए जाने की पार्लियामैंटरी कमेटी की सिफारिश पर सरकार विचार करे, साथ ही कम मशीनीकरण वाले इलाकों में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए मशीन निर्माताओं को भी टैक्स प्रोत्साहन की दरकार है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन, ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टी.एम.ए.) के प्रैसीडैंट भी हैं।)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)


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