गांधी को समझना हो तो ‘संघ की शाखा’ में आइए

Friday, Oct 02, 2020 - 04:10 AM (IST)

गांधी का अर्थ उनके जीवन संदेश की हिन्दू धर्म में गहरी जड़ों और उनके बारे में विश्वव्यापी समझ से आत्मसात किया जा सकता है। विडम्बना यह रही कि महात्मा गांधी को भारत विभाजन की त्रासदी और उसके परिणामस्वरूप लाखों हिन्दुओं की मर्मान्तक पीड़ा से जोड़ कर देखने के कारण अनेक भारतीयों के मन में गांधी बहुत नीचे चले गए और उनको लगा कि गांधी को अंग्रेजों तथा कांग्रेस के प्रचार तंत्र ने आवश्यकता से अधिक तूल दे दिया। 

ऐसे अनेक असंख्य सामान्य भारतीय रहे जिन्होंने अपरिमित बलिदान दिए। लेकिन सत्य यह है कि महापुरुषों, महान कार्र्य करने वाले व्यक्तियों की आपस में तुलना नहीं करनी चाहिए।  हर व्यक्ति अपने सामथ्र्य और विचार के अधीन कार्य करता है। एक से ध्येय के लिए अनेक व्यक्ति अनेक मार्गों से कार्य करते हुए उस दीए की प्राप्ति का मार्ग सुगम बना देते हैं। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए सुविचारित तौर पर गांधी को प्रात:स्मरणीय माना  और अपने प्रात: स्मरण में गांधी को सम्मानजनक स्थान दिया। 

आद्य सरसंघचालक डा. हेडगेवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया, कांग्रेस के नेता के रूप में भी कार्य किया, गांधी के विचारों और कार्यों की अनुपालना की, गौसेवा और गौरक्षा हेतु आंदोलन किए और प्रखर राष्ट्रभक्ति के अधिष्ठान पर हिंदू जीवन मूल्यों के प्रति अविचल निष्ठा के साथ उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए अहिंसक लोकतांत्रिक अनुशासित जनसंगठन तैयार किया जो आज विश्व भर में अपनी विशिष्टता के लिए जाना जा रहा है। यह है भारतीय जीवन मूल्यों की महान  विजय गाथा जिसमें पूर्णत: गांधी प्रतिबिंबित होते हैं।

गांधी जी ने भारत को नवीन पहचान और सम्मानजनक स्वीकार्यता दी। आज जहां भी विश्व में हम जाते हैं वहां गांधी के देश से आए हुए कह कर हमारा परिचय होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भगवा ध्वज के प्रति अविचल निष्ठा रखते हुए उन सभी जीवन मूल्यों के प्रति आस्थावान रहते हैं जिनको गांधी ने अपने जीवन में जिया। संघ के अधिकारियों और प्रचारकों ने अपनी जीवन शैली के उदाहरण से ही लाखों-करोड़ों हिन्दुओं का जीवन और उनकी जीवन दृष्टि बदली है। पुस्तकों का स्थान बाद में आता है। 

शाखा पद्धति गांधी के खादी और चरखे  की तरह जीवन शैली और विचार परिवर्तन का सामान्यतम नागरिक को स्पर्श करने वाला आंदोलन है। गांधी और उनके अनुयायियों की एक विशिष्ट वेशभूषा थी, जिनसे ही वे पहचान में आ जाते थे। संघ के स्वयंसेवकों की भी एक विशिष्ट वेशभूषा, गणवेश और व्यवहार शैली है जिससे वे सबसे अलग अपनी विशिष्टताओं से पहचान में आ जाते हैं। गौ, स्वदेशी, संयमित आरोग्य वर्धक जीवन शैली , राष्ट्रीय विषयों पर हिमालय सामान दृढ़ता, शब्द संयम, सभी मतावलम्बियों के साथ भारत भक्ति के मूल अधिस्थान पर मैत्री और सहयोग का भाव, स्वदेशी मूल्यों पर आधारित शिक्षा का विश्व में सबसे बड़ा विद्या भारती उपक्रम, अस्पृश्यता के दंश से आक्रांत अनुसूचित जातियों के मध्य समरसता का अभियान। 

गांधी स्वराज और स्वदेशी  के पक्षधर थे, स्वयंसेवक भी स्वदेशी और ग्रामीण भारत के सतरंगी भारतीय जीवन पक्ष के समर्थक और उन्नायक हैं। गौ  के प्रति श्रद्धा और गोवंश की रक्षा के लिए सन्नद्ध और सक्रिय रहता है। गांधी को तथाकथित गांधीवादियों के पाखंड से दूर रखकर देखने की जरूरत है। गांधी का सर्वाधिक मजाक उन लोगों ने उड़ाया जो खुद को गांधीवादी कहते रहे, खादी के नीचे पॉलीस्टर का भ्रष्ट  विचार पालते रहे। 

गांधी को आज के समय में समझना  हो तो संघ के स्वयंसेवक के साथ सेवा बस्तियों में जाइए, शाखा में देशभक्ति के गीत गाइए, संघ प्रेरित गौशालाओं में गौ सेवा करिए, विद्या भारती के विद्यालयों में राष्ट्रभक्ति के उपक्रम देखिए, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकत्र्ताओं के साथ नागालैंड, अरुणाचल, छत्तीसगढ़, राजस्थान के जनजाति क्षेत्रों में नवीन कुशल कुशाग्र वीर हिन्दू जनजातियों के उत्साह और विक्रम को समझाएं, तब गांधी समझ में आ जाएंगे। हिन्दू जीवन मूल्यों के लिए असंख्य लोगों ने अपनी-अपनी समझ  और शक्ति  के बल पर कार्य किया। गांधी उनमें से एक, और हमारे समय के सर्वाधिक लोकप्रिय, वैश्विक स्वीकार्यता वाले महापुरुष थे। उनको शत-शत नमन? जी हां गांधी को समझना हो तो संघ की शाखा में आइए।-तरुण विजय
 

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