योगी को सी.एम. बनाकर मोदी ने कोई ‘गलती’ नहीं की

Sunday, Apr 02, 2017 - 11:39 PM (IST)

जिस दिन आदित्यनाथ योगी जी की शपथ हुई उस दिन व्हाट्सएप पर एक मजाक चला जिसमें दिखाया गया कि अडवानी जी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कंधे पर हाथ रखकर कह रहे हैं कि आज तूने वही गलती कर दी जो मैंने तुझे गुजरात का मुख्यमंत्री बनाकर की थी। यह एक भद्दा मजाक था। 

यह उस शैतानी दिमाग की उपज है जो भारत में सनातनधर्मी मजबूत नेतृत्व को उभरते और सफल होते नहीं देखना चाहता, जबकि सच्चाई यह है कि मोदी जी ने योगी जी को उ.प्र.की बागडोर सौंपकर तुरुप का पत्ता फैंका है। देश की जनता तभी सुखी हो सकती है जब प्रदेश की सरकार का नेतृत्व चरित्रवान और योग्य लोग करें क्योंकि केन्द्र की सरकार तो नीति बनाने और साधन मुहैया करने का काम करती है। योजनाओं का क्रियान्वयन तो प्रदेश की नौकरशाही करती है। अगर वे कोताही बरतें तो जनता तक नीतियों का लाभ नहीं पहुंचता जिससे जनाक्रोश पनपता है। 

आज के दौर में जब राजनीतिज्ञों को सफल होने के लिए चाहे-अनचाहे तमाम भ्रष्ट तरीके अपनाने पड़ते हैं, ऐसे में किसी नेता से ये उम्मीद करना कि वह रातों-रात रामराज्य स्थापित कर देगा, काल्पनिक बात है। जैसा कि हमने पहले भी लिखा है कि साधन संपन्न तपस्वी योगी के भ्रष्ट होने का कोई कारण नहीं है। इसलिए वह ईमानदार रह भी सकता है और ईमानदारी को शासन पर कड़ाई से लागू भी कर सकता है। उ.प्र. की जो हालत पिछले 2 दशकों से रही है उसमें जनता को शासन से अपेक्षा के अनुरूप व्यवहार नहीं मिला। ऐसे में उ.प्र. को योगी जी जैसेे मुख्यमंत्री का इंतजार था। 

मोदी जी के इस कदम से उ.प्र. की हालत सुधरने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं लेकिन यह काम 5 साल में भी पूरा होने नहीं जा रहा और जब तक उ.प्र. उत्तम प्रदेश नहीं बनेगा तब तक योगी जी परीक्षा में पास नहीं होंगे। ऐसे में उन्हें कम से कम अगले 10 साल उत्तर प्रदेश को तेज विकास के रास्ते से ले जाना होगा। उ.प्र. की नौकरशाही का तौर-तरीका बदलना होगा। उसमें जनता के प्रति सेवा का भाव लाना होगा। यह काम एक-दो दिन का नहीं है। आज योगी जी की आयु मात्र 45 वर्ष है। 10 वर्ष बाद वह मात्र 55 वर्ष के होंगे, जबकि मोदी जी 75 वर्ष के हो जाएंगे तब वह समय आएगा जब योगी जी राष्ट्रीय भूमिका के लिए उपलब्ध हो सकेंगे। इस तरह मोदी जी ने आम जनता के मन में जो प्रश्न था कि उनके बाद कौन, उसे भी इस कदम से दूर कर दिया है क्योंकि यह सवाल उठना स्वाभाविक था कि मोदी के बाद भारत को सशक्त नेतृत्व कौन देगा। अब उस प्रश्न का उत्तर मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। 

वैसे भी राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करने से पहले मोदी जी ने 15 वर्ष गुजरात की सेवा की। आज उन्होंने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि बना ली है जबकि योगी जी के लिए सरकार चलाने का यह पहला अनुभव है। अभी उन्हें बहुत कुछ देखना और समझना है। इसलिए इस तरह के बेतुके मजाक करना सिर्फ  मानसिक दिवालियापन का परिचय देता है। वर्ना न तो मोदी को योगी से खतरा है और न योगी को मोदी से खतरा है। अगर खतरा होता तो अमित शाह जैसे मंझे हुए शतरंज के खिलाड़ी यह मोहरा बिछाते ही नहीं। 1000 साल का मध्य युग,  200 साल का औपनिवेशक शासन और फिर 70 साल आजादी के बाद भारत की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी ने अपमान के घूंट पीकर गुजारे हैं। 

हमारी आस्था के तीनों केन्द्र मथुरा, काशी और अयोध्या, आज भी हमें उस अपमान की लगातार याद दिलाते हैं। हमारी गौवंश आधारित  कृषि, आयुर्वेद व गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की उपेक्षा करके, जो कुछ हम पर थोपा गया, उससे भारतीय समाज शारीरिक, मानसिक और नैतिक रूप से दुर्बल हुआ है। भौतिकतावाद की इस चकाचौंध में अब तो हमसे शुद्ध  अन्न, जल, फल व वायु तक छीन ली गई है। हमारे उद्यमी और कर्मठ युवाओं को थोथी डिग्री के प्रमाण पत्र पकड़ाकर, नाकारा बेरोजगारों की लंबी कतारों में खड़ा कर दिया गया है। न तो वे गांव के काम के लायक रहे और न शहर के। इन सारी समस्याओं का हल हमारी शुद्ध सनातन संस्कृति में था और आज भी है। जरूरत है उसे आत्मविश्वास के साथ अपनाने की। 

जब तक प्रदेशों और राष्ट्र स्तर पर भारत के सनातन धर्म में आस्था रखने वाला राष्ट्रवादी नेतृत्व पदासीन नहीं होगा, तब तक भारत अपना खोया हुआ वैभव पुन: प्राप्त नहीं कर पाएगा। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि अगर कर्नाटक के खान माफिया रेड्डी बंधुओं या मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले जैसे कांड होंगे तो फिर सत्ता में कोई भी हो, कोई अंतर नहीं पड़ेगा इसलिए जहां एक तरफ  हर राष्ट्रप्रेमी भारत को एक सबल राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है, वहीं इस बात की सत्तारूढ़ दल की जिम्मेदारी है कि परीक्षा की घड़ी में सच्चाई से आंख न चुराए और अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश न करे। 

मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जब आतंकवाद और भ्रष्टाचार के विरुद्ध 1993 में मैंने हवाला कांड खोलकर अपनी जान हथेली पर रखकर  पूरी राजनीतिक व्यवस्था से वर्षों अकेले संघर्ष किया था तब राष्ट्रप्रेमी शक्तियों ने केवल इसलिए चुप्पी साध ली थी क्योंकि हवाला कांड में लाल कृष्ण अडवानी जी भी आरोपित थे। जबकि कांग्रेस और दूसरे दलों के 53 से अधिक नेता अरोपित हुए थे। फिर भी मुझे कुछ लोगों ने हिन्दू विरोधी कहकर बदनाम करने की नाकाम कोशिश की जबकि मैं भारतीय संस्कृति और हिन्दू  धर्म के लिए हमेशा सीना तानकर खड़ा रहा हूं।

यही वजह है कि नरेन्द्र भाई के प्रधानमंत्री बनने के 5 वर्ष पहले से ही मैं उनके नेतृत्व का कायल था और उन्हें भारत की गद्दी पर देखना चाहता था। इसलिए हमेशा उनके पक्ष में लिखा और बोला। भारत की वैदिक परंपरा है कि अपने शुभचिंतकों की आलोचना को भगवत्प्रसाद मानकर स्वीकार किया जाए और चाटुकारों की फौज से बचा जाए। अगर मोदी जी और योगी जी इस सिद्धांत का पालन करेंगे तो उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

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