जलवायु परिवर्तन गंभीर चिंता का विषय

punjabkesari.in Thursday, May 25, 2023 - 05:12 AM (IST)

जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की चीज नहीं या ऐसी कोई बात नहीं, जिसके बारे में केवल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में ही बात की जाए। हम जलवायु पैटर्न में बदलाव को करीब से देख रहे हैं और अनुभव कर रहे हैं। इस वर्ष जारी माह के दौरान असामान्य मौसम ही मौसम के मिजाज में भारी बदलाव का सूचक है। भले ही अब तक मौसम तुलनात्मक रूप से सुहावना रहा हो, मौसम विशेषज्ञों ने एक अभूतपूर्व गर्मी की लहर की चेतावनी दी है और सबसे गर्म पांच सालों की शुरूआत पृथ्वी ने लंबे समय में देखी है। 

जलवायु परिवर्तन के सबसे अधिक दिखाई देने वाले प्रभावों में से एक, समुद्र के स्तर में वृद्धि है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघलती हैं, जिससे महासागरों में पानी का अंतर्वाह होता है। इस घटना के परिणामस्वरूप पहले से ही तटीय आवासों का नुक्सान हुआ है, तटीय कटाव में वृद्धि हुई है और निचले इलाकों में लोगों का विस्थापन हुआ है। समुद्र का स्तर बढऩे पर भारत में मुंबई और चेन्नई सहित कई तटीय शहरों के हिस्से जलमग्न होने के खतरे में हैं। छोटे द्वीपीय राष्ट्र, जैसे मालदीव, इस खतरे के लिए विशेष रूप से संवेदनशील हैं, क्योंकि उनके सामनेे पूर्ण जलमग्न होने का जोखिम है। 

जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता को तेज करता है। हाल के वर्षों में हीटवेव, सूखा, तूफान और बाढ़ लगातार अधिक और तीव्र हो गए हैं। इन घटनाओं से जानमाल का नुक्सान, बुनियादी ढांचे का विनाश होता है और आर्थिक अस्थिरता होती है। 

जलवायु परिवर्तन वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। बारिश के बदलते पैटर्न, लंबे समय तक सूखा और कीटों और बीमारियों में वृद्धि कृषि उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। फसल की विफलता और कम पैदावार किसानों की आय को प्रभावित करती है, गरीबी और खाद्य असुरक्षा को बढ़ाती है। इसके अलावा, बढ़ते तापमान और मरुस्थलीकरण के कारण कृषि योग्य भूमि का क्षरण कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को और बढ़ा देता है। 

इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बढ़ता तापमान बैक्टर जनित रोगों जैसे मलेरिया, डेंगू बुखार और अन्य बीमारियों के प्रसार में योगदान देता है। हीटवेव हीटस्ट्रोक और गर्मी से संबंधित अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ाती है, खासकर कमजोर आबादी के बीच। और जलवायु परिवर्तन के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। जिम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा विकसित राष्ट्रों का है लेकिन विकासशील देशों ने भी पर्याप्त सबक नहीं सीखा। 

प्राथमिक कारणों में से एक जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाएं हैं, जो ग्रीनहाऊस गैसों को वातावरण में छोड़ती हैं, गर्मी को फंसाती हैं और ग्लोबल वाॄमग का कारण बनती हैं। वनों का नुक्सान जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है क्योंकि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड, एक प्रमुख ग्रीनहाऊस गैस, को अवशोषित करते हैं। 

इसी तरह पशुधन और चावल की खेती से मीथेन उत्सर्जन, साथ ही उर्वरक उपयोग से नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। सीमैंट, स्टील और रसायनों के उत्पादन सहित औद्योगिक गतिविधियां, ग्रीनहाऊस गैसें छोड़ती हैं, जिससे जलवायु संकट और बढ़ जाता है। एक अन्य अपराधी अनुचित अपशिष्ट निपटान है, विशेष रूप से लैंडफिल में जैविक कचरे का अपघटन, जो मीथेन, एक शक्तिशाली ग्रीनहाऊस गैस, का उत्पादन करता है। 

जलवायु परिवर्तन के गंभीर मुद्दे को संबोधित करने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन सहित कई स्तरों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। सरकारों और व्यवसायों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर, पवन, पनबिजली और भूतापीय ऊर्जा में निवेश करना चाहिए। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना में निवेश करना, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना और जीवाश्म ईंधन के लिए सबसिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना शामिल है। 

ऊर्जा दक्षता उपायों को बढ़ावा देने से ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है। इसमें इमारतों, उद्योगों, परिवहन और उपकरणों में ऊर्जा-कुशल तकनीकों और कार्यप्रणालियों को लागू करना शामिल है। मौजूदा वनों की रक्षा के लिए प्रयास किए जाने और वनीकरण को बढ़ावा देना चाहिए। स्थायी कृषि पद्धतियों को लागू करने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसमें जैविक खेती, कृषि वानिकी और सटीक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना शामिल है, जो रासायनिक आदानों को कम करते हैं, पानी का संरक्षण करते हैं और मिट्टी में कार्बन को अलग करते हैं। छोटे पैमाने के किसानों का समर्थन और जलवायु-लचीली फसल किस्मों तक पहुंच प्रदान करने से खाद्य सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन में वृद्धि हो सकती है। 

उठाए जाने वाले अन्य कदमों में सार्वजनिक परिवहन, साइकिल चलाने और चलने को बढ़ावा देकर निम्न-कार्बन परिवहन में परिवर्तन करना परिवहन क्षेत्र से होने वाले ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन को कम कर सकता है। स्कूल स्तर पर शिक्षा कार्यक्रमों सहित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, ताकि व्यक्ति भी स्थिति को सुधारने में योगदान दे सकें। जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी आवश्यक है। 

देशों को महत्वाकांक्षी उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को स्थापित करने, विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन प्रयासों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए सहयोग करना चाहिए। पैरिस समझौते जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का कार्यान्वयन और मजबूती वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह व्यक्तियों, समुदायों, सरकारों और व्यवसायों द्वारा संचालित सामूहिक प्रयासों के माध्यम से है कि हम जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से संबोधित करके भावी पीढिय़ों के लिए अपने ग्रह की रक्षा कर सकते हैं।-विपिन पब्बी      


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