स्वच्छ व सस्ती सौर ऊर्जा आज की आवश्यकता

punjabkesari.in Wednesday, Nov 16, 2022 - 04:45 AM (IST)

विश्व भर में ऊर्जा को लेकर संकट गहरा रहा है। भारत की बढ़ती जनसंख्या की ऊर्जा जरूरतें पूरी करना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारत की लगभग 80-90 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें आयात से पूरी होती हैं, जिससे भारी व्यय होता है। भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 8,99,312 करोड़ रुपए और 2020-21 में 4,59,779 करोड़ रुपए का तेल आयात किया। भारत के औद्योगिक विकास और कृषि कार्यों हेतु शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। इसलिए अब बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए भारत को न्यूनतम लागत के साथ विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में सौर ऊर्जा एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में मौजूद है। भारत ने वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है। साल 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का प्रयत्न है, जिसमें खासतौर पर सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वर्ष 2022 के अंत तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा हासिल करने का लक्ष्य है। 

सूर्य कभी अस्त नहीं होता, उसकी रोशनी दुनिया के किसी न किसी कोने में हर समय पहुंचती रहती है। विश्व के कई ऐसे देश हैं, जहां सूर्य का प्रकाश भरपूर मात्रा में पहुंचता है, लेकिन प्रौद्योगिकी और संसाधनों की कमी के कारण वहां सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं हो पा रहा। उन्नत तकनीक की उपलब्धता, आर्थिक संसाधन, कीमतों में कमी, स्टोरेज टैक्नोलॉजी का विकास, बड़े पैमाने पर निर्माण और इनोवेशन जैसे सभी जरूरी संसाधन सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बहुत आवश्यक हैं। 

पूरे विश्व में सौर ऊर्जा की आपूर्ति करने वाला एक ट्रांस-नैशनल बिजली ग्रिड विकसित करने के उद्देश्य को लेकर दुनियाभर के सभी देशों को एक साथ लाने का प्रयास ‘वन सन, वन वल्र्ड, वन ग्रिड’ प्रोजैक्ट के माध्यम से किया जा रहा है, जिसकी अवधारणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में दी थी। यह एक संधि-आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों को सस्ती दरों पर सोलर टैक्नोलॉजी का प्रबंध कराना व इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है। 

अब तक 110 देश आई.एस. के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और 90 देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर पुष्टि की है। भारत सरकार, ब्रिटेन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ने विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप-26 के दौरान वैश्विक ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव वन सन, वन वल्र्ड, वन ग्रिड का शुभारंभ किया था। इस परियोजना के तीन चरण हैं, जिनमें से पहले चरण में मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच हरित ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर ऊर्जा को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे चरण में एशिया में जोड़े हुए ग्रिडों को अफ्रीका से जोड़ा जाएगा और तीसरे चरण में वैश्विक स्तर पर विद्युत ग्रिडों को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। 

सौर ऊर्जा स्वच्छ होने के साथ-साथ सबसे सस्ती है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजैंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरे विश्व में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी मुहैया करा रही है। नवीकरणीय ऊर्जा और रोजगार वार्षिक समीक्षा 2022 नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष करीब 1.27 करोड़ लोगों को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। 

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी हैं। जैसे इसके कार्यान्वयन के लिए बड़ी चुनौतियों में से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में स्थित ग्रिड बनाए रखना होगा। बिजली ग्रिड दुर्घटनाओं, साइबर हमलों और मौसम की चपेट में आ सकता है। इसके सदस्य देशों में अमीर और गरीब दोनों देश शामिल हैं, जिससे लागत सांझाकरण का तंत्र भी चुनौतीपूर्ण होगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती वित्त को लेकर है, क्योंकि अफ्रीका एवं एशिया इत्यादि के कई देशों के पास सौर ऊर्जा से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वित्त का अभाव है। जब तक एक विशेषकृत एजैंसी द्वारा इसकी व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक यह योजना फलीभूत नहीं हो पाएगी।-रंजना मिश्रा 
 


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