सिखों की घर वापसी में रोड़ा है ईसायत की ‘दौलत की दीवार’
punjabkesari.in Friday, Sep 02, 2022 - 05:45 AM (IST)
पंजाब के माझा क्षेत्र एवं भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांवों एवं कस्बों में तेजी के साथ हुए धर्मांतरण (ईसाईकरण) ने सिखों एवं ङ्क्षहदुओं दोनों के लिए गंभीर मसला पैदा कर दिया है। ज्यादातर धर्म परिवर्तन सिख और हिंदू समाज से जुड़े निचले तबके के लोग कर रहे हैं, जो छोटी-छोटी जरूरतों एवं लालच में पड़ कर फंसे जा रहे हैं। कुछ गांवों में तो पूरे परिवार ही सिख धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना चुके हैं।
कहते हैं कि पंजाब में चल रही मिशनरियां गरीब लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर तथा गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन करवा रही हैं। बच्चों की पढ़ाई, आर्थिक मदद, विदेश भेजने जैसे लालच देकर ईसाई धर्म कबूल करवाया जा रहा है। दो दिन पहले तरनतारन जिले में गिरजाघर में हुई तोडफ़ोड़ एवं आगजनी की घटना बेहद ङ्क्षनदनीय है, लेकिन इसके पीछे धर्मांतरण बड़ी वजह मानी जा रही है। वैसे इसके लिए कुछ हद तक धार्मिक संगठन जिम्मेदार हैं जो अपने लोगों के बीच जाना छोड़ चुके हैं।
पंजाब के अमृतसर में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) का मुख्यालय है। एस.जी.पी.सी. का काम ही धर्म का प्रचार-प्रसार और अपने लोगों को जोड़े रखना है। लेकिन, इधर कुछ सालों से एस.जी.पी.सी. के हुए राजनीतिकरण के चलते वह अपने मुख्य मकसद से कहीं न कहीं भटक गई है। यही कारण है कि उसके गढ़ में सबसे ज्यादा सिखों का ईसाईकरण हुआ है। एस.जी.पी.सी. की कमजोर कड़ी को देखते हुए दिल्ली की चुनी हुई सिख संस्था डी.एस.जी.एम.सी. (दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने ईसाईकरण का फैलाव रोकने के लिए अपने स्वयंसेवक पंजाब में तैनात किए हैं। दिल्ली कमेटी के महज कुछ दिन के अभियान से ही बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
कमेटी ने पंजाब में ‘धर्म जागरूकता लहर शुरू की है। इस लहर के चलते ईसाई धर्म अपना चुके 12 सिख परिवारों ने पुन: सिख धर्म में वापसी की है। ये सभी सिख परिवार हैं जो ईसाई धर्म अपना चुके थे पुन: सिख धर्म में लौट आए। डी.एस.जी.एम.सी. जल्द ही इन परिवारों को अमृतपान करवा कर सिख कौम में इनकी धार्मिक मर्यादा अनुसार वापसी करवाएगी। दिल्ली कमेटी ने इस अभियान के लिए अमृतसर में बाकायदा अपना कार्यालय खोला है। दिल्ली कमेटी की धर्म जागरूकता लहर पंजाब के गांव-गांव में कड़ी मेहनत कर रही है व सिखी के प्रचार-प्रसार में पूरी तरह से जुटी है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कई और परिवारों की सिख धर्म में घर वापसी करवाई जाएगी। हिंदू संगठन भी अब धीरे-धीरे घर वापसी की तैयारी में लग रहे हैं।
विदेश भेजने तक का दिया जाता है लालच: दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका कहते हैं कि उनकी टीमें गांवों में डेरा जमाए हुए हैं। पहले चरण में जो 12 सिख परिवार गांव कालेवाल (लोपोके), अमृतसर से संबंध रखते हैं इन्हें भी लालच दिया गया था कि यदि वह ईसाई धर्म कबूल करते हैं तो उन्हें स्वास्थ्य लाभ सहित आॢथक लाभ दिया जाएगा जिसके चलते इन परिवारों ने मिशनरियों के चक्कर में फंसकर अपना धर्म छोड़ दूसरा धर्म अपनाया था। लेकिन जब इन्हें अहसास हुआ कि असली ताकत तो उस अकाल पुरख की है, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की है, जिसकी गुरबाणी से जुड़कर बड़े से बड़ा रोग भी खत्म हो जाता है तो इन्होंने भूल सुधार करते हुए वापस सिख धर्म में आने का निर्णय लिया। इन परिवारों को सिख धर्म में पुन: वापसी कराते हुए सम्मानित भी किया गया।
गुरबाणी के गुटकों के जरिए हो रही है बेअदबी : डी.एस.जी.एम.सी. की धर्म प्रचार कमेटी ने उन प्रिंटर-प्रकाशकों की नकेल कसने की तैयारी की है जो अनजाने में या मात्र चंद मुनाफा कमाने के लिए गुरबाणी के गुटकों पर लोगों की तस्वीरें छाप कर बेअदबी कर रहे हैं। गुरबाणी के गुटके छापने का अधिकार सिर्फ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी. और डी.एस.जी.एम.सी.) को ही है। इसलिए संगत को अगर कोई गुटका साहिब किसी को भेंट करना है तो इन्हीं संस्थानों में छपे गुटके लें।
धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन जसप्रीत सिंह कर्मसर के मुताबिक कुछ प्रकाशकों द्वारा अवैध तरीके से छापे गए गुटका साहिब में कई तरह की त्रृटियां शामिल हैं जिससे बेअदबी हो रही है। कुछ पंथ प्रेमियों ने इस बात पर चिंता जताई है। सिख धर्म और मर्यादा की जानकारी की कमी की वजह से कुछ प्रिंटर्स द्वारा बिना कोई पूछताछ किए ही गुरबाणी के गुटकों के कवर पेज के अंदर-बाहर कहीं भी कोई फोटो छाप दी जाती है जोकि बेअदबी है। इसके लिए धर्म प्रचार कमेटी लोगों को सिख धर्म की रहत मर्यादा की जानकारी देगी। इसके अलावा दिल्ली के ऐतिहासिक और अन्य सिंह सभा गुरुद्वारों के बाहर लगने वाले स्टालों जहां गुरबाणी के गुटके बेचे जाते हैं, उनसे अपील की है कि वे ऐसा कोई भी गुटका बेचने से गुरेज करें।
और अंत में... 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली, कानपुर के बाद झारखंड के बोकारो एवं चास में भी लगभग 60 परिवारों के सिख लोगों की नृशंस हत्याएं हुईं। इसमें आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कुलदीप सिंह भोगल की अगुवाई में अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी प्रयास कर रही है, लेकिन अब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी कूद गई है। इसको लेकर दोनों संगठनों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पीड़ितों को न्याय मिलेगा या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन दिल्ली के दोनों संगठन आपस में एक-दूसरे के खिलाफ जरूर भिड़ गए हैं...।-दिल्ली की सिख सियासत सुनील पांडेय