मुनाफे के लिए आम नागरिकों के मकान तोड़ती चीन सरकार

punjabkesari.in Saturday, Nov 12, 2022 - 05:14 AM (IST)

चीन सरकार की आर्थिक दशा अंदर से कितनी खराब हो चुकी है, इसका एक उदाहरण हमें तब देखने को मिला, जब चीन सरकार ने बरसों पुराने मकानों को तोडऩा शुरू किया। ये वे मकान थे जो सरकार ने करीब एक-डेढ़ दशक पहले लोगों को रहने के लिए बेचे थे। इसके पीछे कारण सिर्फ यह है कि इन जमीनों की कीमत बढ़ चुकी है और यहां पर व्यावसायिक इमारतें बनाकर बेचने से सरकार को जबरदस्त मुनाफा होगा। सरकार द्वारा गिराए जाने वाले घरों में सिर्फ बड़े शहरों के पास बसाए गए नए गांव ही नहीं, बल्कि इनर मंगोलिया, लियानिंग, चिलिन, कानसू जैसे प्रांत भी शामिल हैं, जहां पर आबादी बहुत विरल है। 

इसके अलावा दक्षिण चीन के यून्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग शहर के बाहरी हिस्सों, पेइचिंग और शंघाई शहर के बाहरी हिस्सों में भी लोगों के मकानों को गिराया जा रहा है, जहां पर आबादी बहुत सघन है और समय के साथ इन जगहों की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। चीन सरकार की इस गुंडागर्दी के कारण सैंकड़ों लोगों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है, ऊपर से चीन में पडऩे वाली हाड़ जमा देने वाली सर्दी में इनके सिर से छत छीनी जा रही है। 

चीन में घरों को धराशायी करने के पीछे वहां प्रापर्टी स्कैम भी सामने आ रहा है। इसमें हिस्सेदारी स्थानीय सरकार और प्रांतीय सरकार की भी होती है, जिन्होंने टैक्स इक_ा करने की जिम्मेदारी के साथ अपना खर्चा भी निकालना होता है। इस मामले में पहले गांव, कस्बे और शहरों के बाहरी इलाकों के मकानों की निशानदेही की जाती है, जिसके बाद उन्हें जबरदस्ती गिराकर वह जगह प्राइवेट बिल्डरों को बेची जाती है। इन प्राइवेट बिल्डर कंपनियों के ऊपर यहां ऊंची-ऊंची रिहायशी और व्यावसायिक इमारतें बनाने की जिम्मेदारी होती है, जिसके लिए वे स्टील और सीमैंट सरकार से खरीदते हैं। जब बड़ी इमारतें बन जाती हैं और इनके बाजार भाव बढ़ जाते हैं तब लोग इन्हें खरीदते हैं। इनके द्वारा दिए गए पैसों का एक-तिहाई सरकार अपने पास रख लेती है, जिससे वह अपने कर्मचारियों का वेतन, कार्यालय का खर्च और नई जगह पर इमारतें बनाने का काम शुरू करती है। 

पेइचिंग की सुईकुन काऊंटी के शियांगतांग सांस्कृतिक नवीन गांव में हर तरह के कलाकार रहते थे, जिनमें पेंटर, कैलिग्राफर, संगीतकार, मूर्तिकार, गायक जैसे तमाम लोग शामिल थे। इन लोगों ने वर्ष 2006 में पेइचिंग में अपना मकान बेचकर शहर से दूर इस गांव को अपना आवास बनाया था। वे यहां पर अपना सेवानिवृत्त जीवन बिताने आए थे। यह गांव इतना सुंदर और आदर्श बन गया कि पेइचिंग के सबसे सुंदर गांव का पुरस्कार भी मिला था। अगले ही वर्ष 2008 में पेइचिंग ओलिम्पिक्स के लिए इस गांव को पर्यटन केंद्र भी बनाया गया था। इस गांव में उस समय 3800 परिवार सुखपूर्वक अपना जीवन बिता रहे थे। लेकिन कुछ वर्ष पूर्व यानी वर्ष 2019 के अक्तूबर महीने में जबरन गिरा दिया गया। 

चीन में जमीन की खरीद-फरोख्त हजारों वर्षों से चली आ रही थी, जिसमें जमीन का मालिक अपने बेटे और फिर उसके बेटे को मालिकाना हक देता था, लेकिन वर्ष 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अस्तित्व में आने के बाद चीन सरकार ने वर्ष 1968 में भूमि सुधार कानून बनाया, जिसके तहत खेती की भूमि को गांव के किसानों की सम्मिलित भूमि घोषित कर दिया। लेकिन सामूहिक मालिकाना हक के दायरे में व्यक्तिगत किसान की निजी भूमि भी होती थी, जिस पर सिर्फ उसका मालिकाना हक होता था, जो सरकार की नहीं होती थी।

वहीं शहरी इलाकों में लोगों द्वारा खरीदे गए मकान उनके अपने होते थे और उस पर सरकार या प्रशासन का अधिकार नहीं होता था। लेकिन वर्ष 1978 में थंग श्याओ फिंग की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जन कांग्रेस ने देश के संविधान में संशोधन कर यह घोषणा कर दी कि देश की जमीन पर सरकार का अधिकार है और यह किसी  व्यक्ति विशेष की नहीं हो सकती। इसके बाद सी.पी.सी. ने खुलेआम गुंडागर्दी कर लोगों की जमीन जबरन लेनी शुरू कर दी और उन्हें मुआवजे में फूटी कौड़ी भी नहीं दी। 

चीन के शहरी इलाकों में सरकार ने जो भूमि सुधार कानून बनाया था उसके अनुसार लोग अपने घरों को खरीदकर उसके मालिक बन सकते थे और उस जमीन का इस्तेमाल कर सकते थे जिस पर उनके मकान बनाए गए थे, लेकिन वे लोग उस जमीन के मालिक नहीं हैं। ऐसे में सरकार मकान गिराकर उस जमीन पर कुछ भी बनाकर उसे नए सिरे से बेच सकती थी। असलियत में कई मामलों में सरकार ने 70 वर्ष की अवधि का भी सम्मान नहीं किया और जहां पर भी सरकार को लगा कि जमीन के भाव बढ़ गए हैं, वह उस जमीन पर बने मकानों को अपनी मर्जी से कभी भी गिराकर उस पर व्यावसायिक और रिहायशी इमारतें बनाकर एक नए सिरे से बेच देती थी। यह क्रम आज भी जारी है।


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