चीन अभी भी लॉकडाऊन के भंवर जाल में फंसा हुआ

punjabkesari.in Monday, Nov 14, 2022 - 05:41 AM (IST)

चीन अब भी शून्य कोविड नीति का पालन कर रहा है जबकि इससे उसके लोगों और अर्थव्यवस्था को  बहुत नुक्सान हो रहा है, एक तरफ दुनिया के दूसरे देशों ने कोविड महामारी के साथ जीना सीख लिया है और उसे एक सामान्य फ्लू जैसे देख रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चीन अभी तक 2 वर्ष पूर्व लॉकडाऊन के भंवर जाल में फंसा हुआ है। 

ताजा मामला दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत की राजधानी क्वानचौ शहर का है जहां पर 4 नवम्बर को हाईचौ जिले में कोविड के मामले पाए जाने के बाद वहां पर सख्ती से लॉकडाऊन लगा दिया गया है। महामारी से लडऩा और उस पर काबू पाना चीन में हर नागरिक का कत्र्तव्य बना दिया गया है। यहां के रहने वालों पर प्रशासन बहुत सख्ती बरत रहा है और हर नागरिक का न्यूक्लीइक टैस्ट करवाया जा रहा है। इससे लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन लोग मजबूर हैं और चीन में जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सरकार के खिलाफ बोलना मना है तो लोग चुप रहकर सरकार का हर आदेश मान रहे हैं। 

इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने गैर-जरूरी व्यापार, रेस्तरां और सार्वजनिक यातायात को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। जैसे ही हाईचौ जिला प्रशासन ने यह घोषणा की उसके तुरन्त बाद ही हजारों की संख्या में हाईचौ निवासी अपना शहर छोड़कर बाहर भागने लगे। हालत इतनी गंभीर हो गई कि रात को 11.30 बजे भी सड़कों पर गाडिय़ों की भारी संख्या के चलते जाम लग गया। लॉकडाऊन के दौरान लोग अपने घरों में कैद होने की जगह रातों-रात शहर छोड़कर भाग जाना चाहते थे। लोगों के मस्तिष्क में हाल ही में सम्पन्न हुई 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग की घोषणा कौंध गई जब शी ने कहा था कि चीन शून्य कोविड नीति का अनुसरण करता रहेगा। 

हाल ही में मध्य चीन के हुपे प्रांत की राजधानी वुहान शहर के चियांगआन जिले में 1 से 5 नवम्बर तक पांच दिनों के लॉकडाऊन की घोषणा की थी तब भी सारे स्थानीय लोगों ने पहले बाजार जाकर राशन से अपना घर भर लिया और 31 अक्तूबर की देर रात को अपना शहर छोड़ दिया था। ठीक इसी तरह अक्तूबर के अंत में चंगचऊ शहर में भी लॉकडाऊन की घोषणा होते ही फैक्टरियों से मजदूर भागने लगे थे क्योंकि लम्बे समय तक उन्होंने लॉकडाऊन की पीड़ा झेली थी अब वह इसे झेलने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थे। इस घटना से पहले भी जब चंगचऊ में लॉकडाऊन लगा था तब कई लोगों को क्वारंटीन में भेज दिया गया था। 

हजारों लोग अपने घरों में कैद हो गए थे, उनका सारा राशन खत्म हो गया था तो लोग भूखे रहने को मजबूर हो गए थे। इसलिए ये लोग ऐसी स्थिति में अब नहीं रहना चाहते थे तो लोगों को एक ही रास्ता दिखा कि शहर से भाग जाओ और लोग शहर से रातों-रात भागने लगे। इसके चलते चंगचऊ में फैक्टरियां वीरान हो गईं जिससे कामकाज ठप्प हो गया और व्यापारियों, उद्योगपतियों को भारी नुक्सान झेलना पड़ा। 

पूरी दुनिया के लोगों ने असरदार कोविड की वैक्सीन लगवाई और वह लोग समय के साथ आगे बढ़ गए, वहीं चीन अब भी लॉकडाऊन की उलझन से बाहर नहीं निकल पाया है। दुनिया भर में मॉडर्ना, फाइजर, एस्ट्राजेनिका समेत कई बड़ी कंपनियों ने 81 से 92 फीसदी की असरकार वैक्सीन बनाई लेकिन चीन ने पश्चिम से होड़ लगाने के चक्कर में अपनी सीनोवैक और सीनोफार्म नाम की वैक्सीन जल्द ही बना ली थी लेकिन उसकी असर करने की क्षमता मात्र 20 फीसदी थी जिसकी वजह से कोरोना चीन में बार-बार लौट रहा है। उससे बचने के लिए चीन के पास इस समय एक ही रास्ता है-और वह है लॉकडाऊन का। 

लॉकडाऊन से लोगों को जो परेशानी हो रही है उसका जिक्र सीना वेईबी पर शंघाई के एक निवासी ने किया, उसे कोविड पॉजीटिव होने पर क्वारन्टीन भेजा गया,15 दिनों बाद जब वह अपने घर लौटा तो उसने देखा दरवाजे को जबरन खोलने के निशाने थे, उसने अपना घर खोला तो देखा घर के अंदर पूरा सामान बिखरा पड़ा था, जब उसने प्रशासन से इसकी शिकायत की तो प्रशासनिक अधिकारियों ने कबूला कि वह उसके घर में घुसे थे जिसके बाद उन्होंने उसके घर के अंदर दवाई का छिड़काव किया और यह भी देखना चाहते थे कि कहीं कोई घर के अंदर तो मौजूद नहीं है। लोगों की निजता का जिस बेकद्री के साथ हनन किया जा रहा है उससे लोग अपनी सरकार से क्षुब्ध हैं। 

वर्तमान हालात को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि चीन के लोगों को उनके सख्त प्रशासन से कब छुटकारा मिलेगा, लेकिन चीन के शासक खुद के फैसलों को सही दिखाने के लिए सख्त लॉकडाऊन की नीति से बाहर नहीं दिखाई दे रहे हैं।


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