इसराईल से चोरी-छिपे हथियार खरीद रहा चीन

Friday, Jan 21, 2022 - 07:34 AM (IST)

चीन भारत को घेरने के लिए इतना उतावला हुआ जा रहा है कि वह हर तरह के गलत-सही हथकंडे इस्तेमाल कर रहा है। चीन हर तरीके से इसराईल से हथियार खरीदने की जुगत में लंबे समय से लगा हुआ है लेकिन इसराईल ने एक भी हथियार चीन को नहीं बेचा। लेकिन इस बार इसराईल की 3 कंपनियों ने चीन को हथियार बेचे हैं, जो छोटे-मोटे हथियार नहीं, बल्कि क्रूज मिसाइलें हैं। इस तरह से चीन इसराईल की क्रूज मिसाइल की तकनीक पाने में कामयाब हो गया है। 

सवाल यह उठता है कि इसराईल, जो भारत का मित्र देश है और इस बात से भली-भांति परिचित है कि चीन भारत का शत्रु है, फिर भी चीन को क्रूज मिसाइल क्यों बेचे? दरअसल इसराईल की 3 कंपनियां और उनमें काम करने वाले 10 संदिग्ध लोग चीन को क्रूज मिसाइल निर्यात करने में संलिप्त पाए गए हैं। यहां पर आश्चर्य की बात यह है कि इन तीनों कंपनियों के पास मिसाइल निर्यात का कोई परमिट भी नहीं है। यह बात इसराईल के आर्थिक विभाग की जांच में सामने आई है। 

इसराईल के स्टेट अटॉर्नी ने इनके खिलाफ केस दर्ज किया है और कहा है कि इन कंपनियों और आरोपियों के खिलाफ देश की सुरक्षा के खिलाफ विद्रोह करने का मुकद्दमा चलाया जाएगा। इसके अलावा इन पर हथियारों के क्षेत्र में अपराध, देश के रक्षा निर्यात नियंत्रण कानून के तहत अपराध और धन से जुड़े अपराध के तहत मुकद्दमा चलाया जाएगा। 

इसराईल की ए राइम मिनाशे कंपनी, जो सोलर स्काई कंपनी का मालिकाना हक रखती है और क्रूज मिसाइल का निर्माण करती है, ने चीन की कंपनियों के साथ सौदा तय किया था, जो चीन की सेना को क्रूज मिसाइल सप्लाई करने का काम करती हैं। चीन को कोई भी हथियार बेचने का मतलब है कि वह अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ताक पर रख कर उस तकनीक के साथ रिवर्स इंजीनियरिंग कर उसके कई प्रतिरूप खुद बना लेता है। इसका अर्थ यह हुआ कि किसी देश ने एक तकनीक विकसित करने में 2 से 3 दशक तक मेहनत की और चीन उस तकनीक को चुरा लेता है फिर इस तकनीक पर आधारित उत्पादों को बहुत सस्ते दामों पर दुनिया के दूसरे देशों को बेचता है। 

मामला सिर्फ मिनाशे ग्रुप पर नहीं चलेगा, बल्कि उन लोगों पर भी चलेगा जिन्होंने इस पूरे सौदे में मध्यस्थता की। सियोन गाजटि और यूपी साचर, ये दोनों सुरक्षा परामर्श कंपनी के मालिक हैं। यह कंपनी इसराईल में विदेशी निवेश और इसराईल की टैक कंपनियों के बीच मध्यस्थता करती है। इसराईल की इस कंपनी ने न सिर्फ तस्करी के जरिए चीन को क्रूज मिसाइल बेचे, बल्कि इसका गुप्त तरीके से इसराईल में परीक्षण भी किया, जिसकी भनक इसराईल की सरकार को नहीं लगी। सरकार की छापेमारी में इनके पास से कुछ और क्रूज मिसाइल भी निकलीं। 

यह बात भारत के लिए भी चिंता का सबब है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इसराईल से बहुत सारे हथियार खरीदे हैं, जिनकी पहुंच चीन तक नहीं है, लेकिन अब चीन के पास इसराईली हथियारों के पहुंचने से चीन का मक्कारी भरा चेहरा सामने आता है, जिसके तहत वह पश्चिमी तकनीक व हथियार हासिल करने के लिए कोई भी तरीका अपनाने से बाज नहीं आता और उस तकनीक को चीन की तकनीक भी बताता है। पूछताछ में यह बात भी सामने आई  है कि चीन पैसे और दूसरी सुविधाओं के जोर पर इनसे ये हथियार खरीद रहा था। 

लेकिन जैसे ही ये बातें इसराईल सरकार के संज्ञान में आईं, उसने तुरंत एक्शन लिया और धर-पकड़ शुरू कर दी। इन लोगों के बयानों और छानबीन में जो बातें सामने आई हैं वे चौंकाने वाली हैं। पता चला है कि चीन इन लोगों को हथियारों के ऑर्डर दिया करता था, जिसकी ये लोग आपूर्ति करते थे और उससे पहले उन हथियारों का सटीकता के साथ परीक्षण किया जाता था। इसराईल में हथियार निर्माण में 1600 लाइसैंस वाले हथियारों के निर्यातक हैं और इस पूरे महकमे में करीब 2 लाख लोग काम करते हैं। इसके अलावा इनके बीच सब-कांट्रैक्टरों की भी एक बड़ी तादाद शामिल है। इसमें आपूर्ति, हथियार उत्पाद, सॉ टवेयर डिवैल्पर, कच्चे माल सहित बाकी सामान के आपूर्तिकत्र्ताओं की एक लंबी फेहरिस्त है। 

इसराईल में हथियारों के उत्पादन और निर्यात पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था डी.ई.सी.ए. को भी इस गोरखधंधे की खबर नहीं थी और सब कुछ सरकार की नाक के नीचे बड़ी सफाई के साथ किया जा रहा था। इन सबके पीछे चीन की मक्कारी और धूर्तता शामिल है। 

वैश्विक शक्तियों को चीन पर और सख्ती करनी चाहिए ताकि वह किसी भी देश से तस्करी के जरिए हथियारों की आपूर्ति न कर पाए। अभी जो हथियार चीन बना रहा है, वे उस स्तर के नहीं हैं कि पश्चिम की ताकतों से मुकाबला कर सकें। इसीलिए चीन धोखे और चालबाजी से पश्चिम के हथियारों को चीन मंगवा कर उसकी नकल बना कर अपने रक्षा तंत्र में इस्तेमाल करना चाहता है और उस तकनीक को हथियारों के दूसरे खरीदार देशों को बेचना चाहता है, जिससे वह खासा मुनाफा कमा सके। चीन की इस हरकत पर विशेष तौर पर पश्चिमी शक्तियों को नजर रखनी होगी और अपने हथियारों और उनकी तकनीक की चोरी को रोकना होगा, नहीं तो चीन अपनी खतरनाक चाल में बहुत आगे निकल जाएगा, जो पूरी दुनिया में शांति व स्थिरता के लिए बड़ा खतरा होगी।
 

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