‘चीन का नया शगूफा- राडार भेदने वाली मिसाइल बनाई’

Sunday, Dec 06, 2020 - 05:27 AM (IST)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चीन की प्रोपेगंडा मशीन पूरी दुनिया को देखने का काम करती है, लेकिन चीन जिस तरह से अपना प्रोपेगंडा फैला रहा है लगता है कि उसने पूरी दुनिया को नर्सरी की कक्षा समझ रखा है। साइंस फिक्शन में देखे गए शगूफों को वो इतनी गंभीरता से उठाता है कि मानो वो सच हों। लेकिन सच्चाई हम सभी जानते हैं, अगर चीन के पास वो सारे हथियार होते जिनकी वह बात करता है तो क्या आपको लगता है कि वह दुनिया पर अपना शासन न चलाता? चीन ऐसा देश है जो अपनी शातिराना चालों की कभी किसी देश को भनक नहीं लगने देता। 

अब इस खबर को ही लीजिए, चीन ने कहा है कि उसने राडार को भेदने वाली मिसाइल बना ली है। इससे जुड़ा हुआ एक वीडियो भी चीन ने सोशल मीडिया पर जारी किया है। चीन की पी.एल.ए. एयरफोर्स के फेसबुक पेज पर इस वीडियो में दिखाया गया है कि जे- सीरीज के इस लड़ाकू वायुयान में जिसे चीन के शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ने बनाया है, के डैने के नीचे मिसाइल लगी है और जब यह मिसाइल दागी जाती है तो ये जमीन पर लगे एक राडार को अपना निशाना बनाती है जिससे राडार के परखच्चे उड़ जाते हैं। 

यह वीडियो उतना ही वैध है जितना वैध चीन  के रनमिन विश्वविद्यालय के प्रोफैसर का वह बयान था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हमने माइक्रोवेव के विकिरण का इस्तेमाल कर भारत से लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ब्लैक टॉप हिल और हैलमेट हिल पर तैनात भारतीय सैनिकों को वहां से भगाकर कब्जा कर लिया है। लेकिन इस घटना में कोई सच्चाई नहीं है, आज भी इन दोनों रणनीतिक स्थानों पर भारतीय सैनिक काबिज हैं। 

ठीक इसी तरह कुछ समय पहले चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उसमें अपने अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया था और एक युद्धाभ्यास के दौरान भारत को डराने के लिए इस वीडियो का प्रदर्शन किया था, लेकिन उस प्रोपेगंडा वीडियो के कुछ हिस्से किसी फिल्म से लिए गए थे जिसका भंडाफोड़ होते ही चीन ने चुप्पी साध ली। 

इसके अलावा चीन यह दावा करता है कि उनके जे-सीरीज के लड़ाकू वायुयान स्टैल्थ तकनीक से बने हैं, यानि वह कम ऊंचाई पर उडऩे के बाद भी राडार की पकड़ में नहीं आते। इस दावे का खंडन एक भारतीय सैन्य अधिकारी ने टी.वी. पर किया था, भारतीय सैन्य अधिकारी के मुताबिक जब चीन के जे-सीरीज के विमान तिब्बत में उड़ान भरते हैं तो लद्दाख में लगे भारतीय सेना के राडार न सिर्फ विमानों की सही संख्या पकड़ लेते हैं बल्कि उन विमानों की गति और ऊंचाई तक बता देते हैं। इन सारी बातों से यह साबित होता है कि चीन में प्रोपेगंडा ज्यादा चलता है और सच्चाई बहुत कम। 

दरअसल चीन अपने प्राचीन सैन्य विद्वान सुन जू की रणनीति को आज भी मानता है और उसे अमल में लाता है, सुन जू की इसी रणनीति के तहत चीन ने कुछ महीनों पहले डोकलाम में अपने खेमे से पंजाबी गाने की रिकॉॄडग चला कर सिख सैनिकों को बाकी भारतीय सैनिकों से अलग करने की असफल कोशिश की थी, लेकिन यह बात समझ से परे है कि सैन्य मामलों जैसे बड़े स्तर पर नर्सरी के बच्चों की रणनीति कैसे सफल हो सकती है? आज के समय में जिस रणनीति को स्कूल के बच्चे तक आसानी से समझ जाते हैं उस रणनीति को कोई कैसे अपना सकता है? 

हालांकि इस बात में सच्चाई जरूर है कि चीन अपने निकट पड़ोसी रूस से लड़ाकू विमानों से जुड़ी इलैक्ट्रॉनिक तकनीक का तेजी से पीछा कर रहा है और अगर चीन की यही रफ्तार रही तो जानकारों के मुताबिक अगले दस वर्षों में चीन रूस से आगे निकल जाएगा, इसके पीछे चीन की चोरी की आदत भी बड़ी वजह है, चीन जब भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार से कोई नई तकनीकी वस्तु खरीदता है तो वह पेटेंट की धज्जियां उड़ाते हुए अपने देश में उसकी नकल बना लेता है, फिर चाहे बात कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, यात्री विमान की हो या फिर अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले उपग्रह और रॉकेट।

लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के क्षेत्र में रूस का वर्चस्व अब भी कायम है लेकिन लेजर तकनीक में चीन तेजी से दूसरे देशों की तकनीक में सेंधमारी करते हुए अपने देश में उसकी नकल बना रहा है और जिस तरह चीन ने दुनिया की फैक्ट्री बनने के बाद पैसे के दम पर बाहर से तकनीक खरीदने और उसके पेटेंट को ताक पर रख कर अपने देश में नकल बनाना शुरू  किया है तो आने वाले समय में चीन तकनीक के मामले में जरूर दुनिया के दिग्गजों को आंखें दिखाएगा। 

अगर चीन भारत से लगने वाली वास्तविक नियंत्रण सीमा को पार कर भारतीय इलाकों पर कब्जा कर सकता तो अबतक वह ऐसा कर लेता, अगर चीन इस समय भारत के साथ बातचीत की टेबल पर आ रहा है तो इसका साफ मतलब यह है कि चीन इस समय भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन हमें हर तरह से सजग रहना होगा। 

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