चीन का मध्यम वर्ग खत्म होने की कगार पर

punjabkesari.in Tuesday, Jun 06, 2023 - 04:18 AM (IST)

चीन में विश्लेषकों का मानना है कि चीन के दो वर्ग, विद्यार्थी और मध्यम वर्ग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के दो मजबूत स्तंभ हैं लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति, वैश्विक अर्थव्यवस्था की मंद चाल और कोरोना महामारी के बाद हुए बदलाव ने यह दिखा दिया है कि चीन में बाकी सारे वर्गों के साथ मध्यम वर्ग और विद्यार्थी वर्ग न सिर्फ परेशान हैं बल्कि मध्यम वर्ग तो खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। एक सामाजिक सर्वे में यह खुलासा किया गया है कि समाज के इन दोनों ही वर्गों का समर्थन शी जिनपिंग खोने जा रहे हैं। 

इसका मतलब यह है कि सी.पी.सी. को भी इन दो वर्गों से खतरा है। चीन की ग्लेशियर थिंकटैंक-एक स्वयंभू मीडिया संस्था ने 25 मई को सामाजिक मुद्दे पर एक आलेख छापा जिसका विषय था ‘मध्यम वर्ग चीनियों का चीन से पलायन जारी’, उस लेख में आगे ऐसा लिखा था कि अच्छा समय गुजर चुका है। अगर चीन के मध्यम वर्ग ने जल्दी ही अपना रास्ता नहीं बदला तो बहुत देर हो चुकी होगी, बाद में कुछ नहीं हो सकेगा। इस आलेख में यह साफ तौर पर लिखा था कि जो लोग समझते हैं उन्हें वर्तमान आर्थिक दशा के बारे में मालूम है और जो समझना नहीं चाहते वे इसी स्थिति में यहां रहें, लेकिन जब इनकी नींद खुलेगी उस समय तक देर हो चुकी होगी। 

चीन की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि वर्तमान में कुछ अच्छा नहीं होने वाला। यह बात तो हर चीनी नागरिक जानता है लेकिन स्थिति खराब इसलिए भी बताई जा रही है क्योंकि भविष्य में भी कुछ अच्छा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। इस स्थिति पर चीन में एक बात व्यंग्य के तौर पर इन दिनों बहुत कही जा रही है। चीन में ऊंचे स्तर की नौकरी करने वाले मध्यम वर्गीय लोगों जो सालाना 10 लाख युआन कमा रहे थे, की नौकरियां छीनी जा चुकी हैं और उन्हें वे नौकरियां दोबारा नहीं मिलने वाली। इसलिए उन्हें अब 5 लाख युआन सालाना वाली नौकरियों से ही गुजारा करना पड़ेगा, इसका संकट उन लोगों पर आएगा जो अभी 5 लाख युआन वाली नौकरियां कर रहे हैं। जब इनकी नौकरियां छीनी जाएंगी तब ये कहां जाएंगे। 

इस कटाक्ष का संदेश जो भी कह रहा है लेकिन असल में चीन के हालात इससे कहीं ज्यादा बदतर हो चले हैं। इनके लिए मनोवैज्ञानिक तौर पर खुद को संभालना एक बहुत छोटा-सा मुद्दा है, बड़ी बात यह है कि मध्यम वर्गीय लोगों ने बड़े-बड़े मकान भी अपनी 10 लाख सालाना आय के हिसाब से खरीदे थे, अब ये लोग उन मकानों की ई.एम.आई. कहां से चुकाएंगे?


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