चीन का खाद्य पदार्थों का आयात बढ़ा

Saturday, Apr 01, 2023 - 05:41 AM (IST)

चीन में वैसे तो खाद्य वस्तुओं के आयात में वर्ष 2001 के बाद से बढ़ौतरी देखी जा रही है, यह वो साल था जब चीन विश्व व्यापार संघ का सदस्य बना था। लेकिन जबसे चीन की जनता की आमदनी बढ़ी उस समय से वहां पर विदेशों से फल, सब्जियां, अनाज, दलहन, तिलहन, मीट और डेयरी उत्पादों के आयात में जरूरत से ज्यादा बढ़ौतरी हुई है। 

चीन के पास जितनी जमीन है उस पर अनाज, सब्जियां और फल उगाकर वो अपनी जनता का पेट नहीं भर सकता, इसलिए चीन को कई देशों से खाद्य वस्तुओं का आयात करना पड़ता है। कोविड-19 महामारी के बाद चीन में होने वाले आयात में कमी देखी गई है। उदाहरण के लिए वर्ष 2019 में चीन में 160 अरब डॉलर मूल्य की खाद्य वस्तुओं का आयात हुआ था जो वर्ष 2021 में घटकर सिर्फ 93 अरब डॉलर पर सिमट गया। इसके पीछे कारण था चीन में लॉकडाऊन का लगना, लोगों की नौकरियां चली जाना, बेरोजगारी का बढऩा और लोगों के पास तरल मुद्रा का अभाव होना। 

चीन में तेज गति से औद्योगिकीकरण की वजह से वहां पर प्रदूषण कई गुना अधिक बढ़ा है, जिसमें जल, वायु और भूमि प्रदूषण भी शामिल हैं। इसकी वजह से चीन की 20 प्रतिशत कृषि भूमि जहरीली हो गई है जहां पर बहुत सारा औद्योगिक रसायन फैंका गया था और इसी तरह कई जगहों पर भूमि के अंदर का पानी भी जहरीला  हो गया है, वो पानी न तो पीने योग्य है और न ही खेती के लायक बचा है। ऐसे में बढ़ती आबादी को अपनी खेती के दम पर खिला पाना चीन के बस की बात नहीं है। 

हाल के वर्षों में जिस तरह से चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों की आय बढ़ी है उसके चलते चीन के कृषि उत्पादों के उपभोग और उत्पादन में अंतर आ रहा है। भविष्य में यह कैसे सही होगा यह अभी तक अनिश्चित है। चीन सबसे ज्यादा 10 करोड़ टन सोयाबीन अमरीका से आयात करता है जिसे वो प्रोटीन के तौर पर अपने जानवरों को खिलाते हैं। उससे तोफू तैयार करते हैं और सोयाबीन का दूध बनाते हैं।  

चीन इस बात का दावा भी करता है कि वो अमरीका, नीदरलैंड्स, ब्राजील, जर्मनी के बाद विश्व का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक भी है। हालांकि ये आंकड़े भ्रामक हो सकते हैं क्योंकि एक तरफ चीन खुद को खाद्य पदार्थों का सबसे बड़ा आयातक दिखाता है तो वहीं दूसरी तरफ निर्यात की बात भी करता है? अगर वाकई में ऐसा है तो फिर अपनी विशाल आबादी के लिए वो खाद्य पदार्थों का आयात क्यों करता है। 

चीन के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी होने के साथ-साथ चीन के पास खेती योग्य सिर्फ 8 प्रतिशत भूमि है। वहीं पानी की बात करें तो वैश्विक औसत पानी की खपत की तुलना में चीन में प्रति व्यक्ति अनुपात मात्र एक चौथाई है। हालांकि ढेर सारे कृषि अनुसंधान, वैज्ञानिक और तकनीकी बढ़त के बाद चीन ने पिछले 40 वर्षों में अपने कृषि उत्पादन में 5 प्रतिशत की बढ़त पाई है। लेकिन जिस अनुपात में चीन की आबादी बढ़ी है और उस विशाल आबादी के पास जितनी तेजी से पैसा आने के बाद उसकी खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ी है वो मांग और आपूर्ति के बीच पनपती इस खाई को कभी पाट नहीं सकता। 

चीन में वर्ष 2020 में लागू खाद्य सुरक्षा कानून और वर्ष 2021 में लागू खाद्य अपशिष्ट विरोधी कानून के लागू होने के बाद चीन ने खाद्य पदार्थों के आयात को कम करने के लिए रणनीति बनाना तय किया है। लेकिन वास्तविकता में इसका कोई असर नहीं पडऩे वाला क्योंकि चीन घरेलू स्तर पर बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर सकता इसके लिए चीन को खाद्य पदार्थों का आयात करना ही होगा। अब चीन की खाद्य सुरक्षा मुक्त व्यापार की दया पर निर्भर है।

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