चीन का रक्षा बजट : युद्ध की तैयारी के संकेत

Sunday, Mar 12, 2023 - 06:12 AM (IST)

चीन ने 5 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए रक्षा बजट को 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर करीब 225 अरब डालर यानी कि 1550 अरब युआन खर्च करना तय किया है, जोकि बीजिंग के सैन्य बजट में निरंतर 8वीं बढ़ौतरी है। चीन की संसद नैशनल पीपल्स कांग्रेस के प्रधानमंत्री ली केकियांग की ओर से बजट पेश करते समय हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को युद्ध की तैयारियों की ओर अग्रसर होने का आमंत्रण दिया।

संसद के उद्घाटनी सत्र में पेश की गई कार्य रिपोर्ट में सुरक्षाबलों की उपलब्धियों को गिनाए बगैर अनसुलझे बार्डर तथा उत्तरी लद्दाख में तनावपूर्वक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘सेना ने बार्डर डिफैंस के मुख्य उद्देश्य के साथ बड़ी दृढ़ता तथा परिवर्तन योग्य ढंग से निर्धारित मिशन में कामयाबी हासिल की है तथा अब हथियारबंद सेनाओं को युद्ध संबंधी सामथ्र्य बढ़ाना चाहिए ताकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से सौंपा हुआ कार्य सम्पूर्ण हो सके।’’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘‘हमारी सशस्त्र सेनाओं का केंद्र बिंदू पी.एल.ए. (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की 2027 में प्रथम शताब्दी के समय तक युद्ध सिखलाई में महारत हासिल कर सैन्य आप्रेशन हेतु तैयार-बर-तैयार रहना होगा।’’ चीन का लक्ष्य अपनी सेना को दुनिया की सर्वोत्तम सेना बनाने का है। इस समय अमरीका की सेना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है तथा उसका 2023 का बजट 816 बिलियन डालर है। चीन का 2025 बिलियन डालर का बजट भारत के 5.9 लाख करोड़ से 3 गुणा अधिक है।

चीन का रक्षा बजट बेशक अमरीका के बाद दूसरे स्थान पर आता है मगर उसकी 20 लाख की पी.एल.ए. सबसे अधिक है। चीन के प्रधानमंत्री की ओर से रक्षा बजट के बारे में चर्चा करते समय बार-बार युद्ध तैयारी पर जोर देने के आखिर मायने क्या हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि पी.एल.ए. की ओर से पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में आक्रमण शक्ति वाला संदेश छिपा हुआ तो नहीं?

चीन का लक्ष्य तथा भौगोलिक स्थिति : बीजिंग विस्तारवादी नीति के चलते आने वाले समय में आर्थिक, औद्योगिक, तकनीक, स्पेस तथा विशेष तौर पर सेना तथा परमाणु शक्ति के तौर पर अमरीका को पछाड़ते हुए विश्व गुरु बनने का ख्याल रखता है। जिस तरीके से चीन के जासूसी गुब्बारे अमरीका से लेकर कनाडा तक देखने को मिले तथा अमरीका की ओर से मिसाइल के प्रयोग से उन गुब्बारों को निशाना बनाया गया उससे यह सिद्ध होता है कि चीन के इरादे नेक नहीं हैं।

जिक्रयोग्य यह भी है कि विश्व व्यापी रणनीतिक पक्ष से दक्षिणी चीन सागर बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसी क्षेत्र में पी.एल.ए. का फाइटर जैट अमरीका के सर्वेक्षण वाले विमान से टकराते हुए बचा है। इससे पहले भी वर्ष 2001 में पी.एल.ए. का विमान अमरीका के विमान से टकराया जिसमें चीन के पायलट की मौत हो गई पर अमरीका के पायलट को पी.एल.ए. की एक टुकड़ी ने उस समय दबोच लिया जबकि उसे आपात स्थिति में लैंडिंग करनी पड़ी। यह घटना ‘हेनान घटना’ के तौर पर जानी जाती है। नि:संदेह दक्षिण चीन सागर विश्व भर की ऊर्जा से लेकर सैमीकंडक्टर चिप्स जैसी नाजुक जरूरतों को पूरा करता है।

इसके लिए समुद्री आवाजाही बेहद महत्वपूर्ण है। चीन के विदेश मंत्री ने अमरीका की ङ्क्षहद प्रशांत नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अमरीका, भारत, जापान तथा आस्ट्रेलिया को मिलाकर बना ‘क्वाड’ हो या आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमरीका को शामिल कर ‘ए., यू.के., यू.एस.’ जैसे संगठनों का उद्देश्य चीन को बिखेरने का है। बीजिंग ने अमरीका को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपना नजरिया बदले नहीं तो संघर्ष के लिए तैयार रहे। इसका प्रभाव भारत पर भी पडऩा स्वाभाविक है। इसी तरीके से ताईवान मुद्दे पर अमरीका-चीन के दरम्यान कशमकश भारत की विदेश नीति को भी प्रभावित करेगी।

बाज वाली नजर : भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने आर्मी दिवस परेड से पहले 12 जनवरी को प्रैस कांफ्रैंस को संबोधित करते हुए कहा कि चीन से लगती सीमा पर हालात स्थिर तथा नियंत्रित जरूर हैं मगर यह आशानुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम पूर्वी लद्दाख में एल.ए.सी. के झगड़े वाले 7 स्थानों में से 5 का निपटारा कर चुके हैं।’’ मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जब पी.एल.ए. की टुकडिय़ां 5-6 मई 2020 को एल.ए.सी. को पार कर पेंगोंग त्सो झील के उत्तर-पूर्व की ओर भारतीय क्षेत्र में दाखिल होकर घिनौनी हरकतों पर उतर आईं, फिर सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई बैठकों के दौरान चीनियों को भगाया न जा सका तो हमारी सेना ने फिंगर चार के दक्षिण की ओर पड़ते 15000 फुट वाले कैलाश रेंज की रणनीतिक महत्ता वाली 6-7 चोटियों के ऊपर अगस्त 2021 में कब्जा कर लिया।

तब जाकर गोगरा-हॉट सिंप्रग, पैट्रोलिंग प्वाइंट से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटीं जोकि बड़ा मसला नहीं था। चीन के 225 अरब डालर के रक्षा बजट के अलावा कुछ ऐसे पहलू हैं जोकि भारत की सुरक्षा नीति तथा युद्ध तैयारी को प्रभावित करते हैं। मिसाल के तौर पर ड्रैगन की चीन-पाकिस्तान का आर्थिक गलियारा, ब्रह्मपुत्र दरिया के ऊपर बांधों की उसारी, हमारे पड़ोसी मुल्कों को आर्थिक तथा सैन्य सहायता से भारत की घेराबंदी करने की योजना है। हाल ही में अमरीकी सरकार की खुफिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत-चीन तथा भारत-पाकिस्तान के दरम्यान संघर्ष का माहौल बनने से युद्ध का अंदेशा है। -ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.)

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