चीन को लगा पाक पोषित आतंक का झटका

Tuesday, May 28, 2019 - 03:24 AM (IST)

पिछले 6 महीने में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी.पी.ई.सी.) में नियुक्त कामगारों और संसाधनों पर कम से कम 4 बार हमले हुए हैं। पिछले महीने चीन के इंजीनियरों को ले जा रहे 22 वाहनों के काफिले पर बलोच लिबरेशन आर्मी ने हमला कर दिया, जबकि पिछले हफ्ते ग्वादर बंदरगाह पर एक लग्जरी होटल पर गोलीबारी और बम फैंके गए। सरकारी अधिकारियों ने इन घटनाओं में जान और माल के नुक्सान को कम दिखाने की कोशिश की है, लेकिन ग्वादर में फाइव स्टार होटल पर जिस तरह से योजनाबद्ध तरीके से हमला किया गया वह बलोच लिबरेशन आर्मी की क्षमता को दर्शाता है। 

इससे पहले पिछले साल कराची में चीनी दूतावास पर भी हमला किया गया था जिससे पता चलता है कि चीनी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। बलोच अलगाववादी ब्लूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद करवाने के हिमायती रहे हैं और अब वे चीनियों को इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के नए लुटेरों  के तौर पर देखते हैं। हालांकि यह आसान क्षेत्र ब्लोच विद्रोहियों के अलावा तालिबान समूहों, इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों तथा अन्य संगठनों से भरा हुआ है और यह क्षेत्र पाकिस्तानी सरकार के नियंत्रण से पूरी तरह बाहर है। पाकिस्तानी-अफगान पहलू के अलावा चीनियों को उईगर जेहादी ताकतों से भी खतरा बना हुआ है जो पाकिस्तान में चीनी ठिकानों पर हमले कर सकते हैं। 

रणनीतिक महत्व का प्रोजैक्ट
इस क्षेत्र में चीन का 62 बिलियन डालर का विशाल सी.पी.ई.सी. प्रोजैक्ट दाव पर है जिससे न केवल  पाकिस्तान को काफी आॢथक लाभ मिलने की संभावना है बल्कि इससे चीन का रणनीतिक महत्व वाला ‘वन बैल्ट, वन रोड’ भी पूरा होगा। चीन के लिए इस प्रोजैक्ट का काफी महत्व है क्योंकि इस 3000 किलोमीटर लम्बे गलियारे से चीन की सप्लाई चेन मजबूत होगी। इसके अलावा आपात स्थिति में समुद्री रास्तों के बंद होने पर चीन को वैकल्पिक मार्ग भी इस प्रोजैक्ट से उपलब्ध होगा। इससे स्पष्ट है कि यह प्रोजैक्ट दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यह चीन-पाकिस्तान की दोस्ती का भी एक बड़ा प्रमाण बनने जा रहा है। सी.पी.ई.सी. के निर्माण के लिए पाकिस्तानियों ने अपने पुराने दोस्त अमरीका की नाराजगी का खतरा भी मोल लिया है। 

अमरीका और चीन के बीच वैश्विक प्रभाव के लिए लड़ाई के बीच पाकिस्तान ने चीन पर भरोसा जताया है। सी.पी.ई.सी. के लिए न केवल क्लीयरैंस देने को फास्ट ट्रैक किया गया है बल्कि पाकिस्तान सरकार ने 15,000 विदेशियों (अधिकतर चीनी) की सुरक्षा के लिए एक विशेष सैन्य डिवीजन समॢपत किया है। मेजर जनरल की अध्यक्षता वाले इस डिवीजन को स्पैशल सिक्योरिटी डिवीजन का नाम दिया गया है। इसके अलावा पाकिस्तानी नेवी की तरफ से इनकी रक्षा के लिए ‘टास्क फोर्स-88’ का गठन किया गया है। इसके लिए चीन की ओर से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। आतंकी हमलों से बचाव के लिए फास्ट अटैक क्राफ्ट्स, एयरक्राफ्ट्स और ड्रोन्स का प्रबंध किया गया है।

लोगों में नाराजगी
पाकिस्तान की ओर से तमाम सुरक्षा बंदोबस्त के बावजूद सी.पी.ई.सी. प्रोजैक्ट में चीनी हितों का खतरा टला नहीं है क्योंकि यहां लगातार हमले और अपहरण की घटनाएं हुई हैं। पाकिस्तान में, विशेष तौर पर ब्लूचिस्तान में सुरक्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसके अलावा  सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से सी.पी.ई.सी. के बारे में सवाल और चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। कुछ सांसद पहले ही सी.पी.ई.सी. को ‘दूसरी ईस्ट इंडिया कम्पनी’ कह चुके हैं जो पाकिस्तान को एक मातहत देश बना सकती है। ग्वादर बंदरगाह के आसपास के मछुआरे चीनी लोगों द्वारा उन पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों और भेदभाव से गुस्से में हैं क्योंकि बंदरगाह की सुविधाओं पर अब चीनियों का कब्जा है। 

पिछले कुछ समय से चीन के जिंगयांग प्रांत में उईगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कार्रवाई तथा चीन में मुसलमानों को नास्तिक बनने के लिए मजबूर करने की घटनाओं से भी पाकिस्तान के लोगों को गहरी नाराजगी है। इसके अलावा हाल ही में मसूद अजहर को ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकी’ घोषित करते समय चीन द्वारा वीटो का प्रयोग न करने के कारण भी यहां असंतोष की भावना है। इन सब बातों का असर चीन और पाकिस्तान की दोस्ती पर पड़ा है तथा इससे यह स्पष्ट हुआ है कि चीन-पाकिस्तान का रिश्ता प्राकृतिक नहीं है। 

चीन की सहायता से पूरे किए जा रहे सी.पी.ई.सी. प्रोजैक्ट को ‘अगली दुबई’ का नाम दिया जा रहा है और यही कारण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा है कि यह पाकिस्तान की आर्थिक खुशहाली में बाधा डालने की कोशिश है। हालांकि चीनियों को दरपेश सुरक्षा खतरों से बचने के लिए केवल नेताओं की प्रतिबद्धता काफी नहीं है क्योंकि इन हमलों में अराजक तत्वों का हाथ है जिनसे निपटना मुश्किल होगा। ग्वादर भौगोलिक तौर पर ब्लूचिस्तान में आता है जिसके इस्लामाबाद से अच्छे रिश्ते नहीं हैं और चीनी इस गड़बड़ में फंस गए हैं। 

सी.पी.ई.सी. से ज्यादा लाभ चीन को ही होगा (जैसा कि दुनिया भर में चीनी निवेश के मामले में होता है)। चीन और पाकिस्तान में सभ्यता, संस्कृति अथवा धार्मिक मामलों में समानता न होने के कारण चीनियों को पाकिस्तान में पैदा हुए आतंक के प्रहार सहने के लिए तैयार रहना होगा।-भूपिंद्र सिंह

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