आर्थिक मंदी के बीच चीनी सेना पर एक ‘नजर’

Wednesday, Jun 10, 2020 - 11:47 AM (IST)

बड़े और मध्यम आकार के शहरों में पीपल्ज लिब्रेशन आर्मी (पी.एल.ए.) के कई सैनिक  वर्तमान में अर्थव्यवस्था के धीमा होने के कारण बेरोजगारी से गुजर रहे हैं। उनमें से अधिकांश 2015 और 2018 के बीच सेना छोड़ चुके थे। उनकी संख्या 3 लाख के करीब बताई जाती है। 2016 के फैसले की वजह से, उनमें से ज्यादातर को केवल एकमुश्त भुगतान दिया गया था। अब ये लोग डिलीवरी ब्वॉय के रूप में काम कर रहे हैं। ये शॉपिंग मॉल, दुकानों, होटलों, रेस्तरांओं में सेल्ज पर्सन के रूप में काम कर रहे हैं। तकनीकी रूप से योग्य लोग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में शामिल हो गए हैं। विभिन्न शहरों में इन पूर्व सैनिकों द्वारा सरकार से विशेष मदद मांगने के लिए छोटे-छोटे प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हालांकि ये अभी सरकार के लिए चिंताजनक नहीं है। मगर फिर भी स्थानीय अधिकारी ऐसे प्रदर्शनों को सरकार के खिलाफ एक नकारात्मक भावनाओं को देख रहे हैं। ऐसे प्रदर्शन भविष्य की संभावित भॢतयों को भी हतोत्साहित करेंगे। वरिष्ठ अधिकारी जिनमें से लगभग 300 वरिष्ठ कर्नल (हमारे सिस्टम में ब्रिगेडियर के समकक्ष) के पद से ऊपर  थे 2015 और 2018 के बीच भ्रष्टाचार के चलते बर्खास्त कर दिया गया था। उनमें से कइयों को गिरफ्तार किए बिना छोड़ दिया गया। यह संदेह है कि इनमें से कुछ अधिकारी भी इन प्रदर्शनों को उकसा रहे हैं। 

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पी.एल.ए. प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और उनकी टिप्पणी के कारण भारत में बहुत चर्चा हुई। इसके बारे में टी.वी. पर बहस शुरू हुई। शी ने सेना को आदेश दिया कि वे सबसे खराब स्थिति, प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारियों के बारे में सोचे और देश तुरंत और प्रभावी ढंग से सभी तरह की जटिल परिस्थितियों से निपटे। इसके साथ-साथ चीनी सम्प्रभुता और सुरक्षा की रक्षा की जाए।  इसके साथ-साथ शी ने अगली पंचवर्षीय योजना पर अच्छी योजना बनाने की मांग भी की। शी ने कहा कि हर पैसे का इस्तेमाल अच्छी किस्म के उत्पादन करने के लिए खर्च किया जाना चाहिए।  अंत में और शायद सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने यह की कि चीनी नेतृत्व  वर्ष के लिए नियत शताब्दी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ता दिखाई देता है। भारत के खिलाफ चीन ग्लोबल टाइम्स (जिसके भारत में अच्छे पाठक हैं) का इस्तेमाल करता है, जो जानबूझ कर कहानियों की रिपोर्टें और संदेश भेजता है। 2017 में भारत के साथ डोकलाम गतिरोध के बाद से चीनी सेना ने टाइप-15 टैंक, जैड-20 हैलीकॉप्टर और  जी.जे.-2 ड्रोन जैसे हथियारों के साथ अपने शस्त्रागार का विस्तार किया है जिससे चीन को ऊंचाई वाले संघर्षों में फायदा मिलेगा। इस बात का खुलासा चीनी विश्लेषकों ने किया। 

चीन के टाइप-15 टैंकों ने पिछले साल नैशनल-डे मिलिट्री परेड पर 1 अक्तूबर को पहली शुरूआत की थी। एक शक्तिशाली इंजन के साथ टाइप-15 लाइटवेट मुख्य युद्धक टैंक भारी टैंकों के लिए मुश्किल से पठारी क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं। इसमें एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम भी लगा हुआ है और साथ ही 105 मिलीमीटर की कैलिबर आर्मर मुख्य गन भी लगी हुई है। यह किसी भी हल्के आयुध वाहनों को उड़ा सकता है। चीन के सबसे उन्नत वाहन होवित्जर पी.सी.एल.-181 ने भी परेड में  भाग लिया। ये सब चलित रूप से एक बटन के दबाने पर अपनी गन को डिजीटल रूप से तैनात कर सकता है। विचार यह है कि पी.एल.ए. को भारतीय सेना के लिए सैन्य रूप से बहुत बेहतर माना जाता है और यह भारतीयों के मन में संदेह पैदा करता है। अर्थव्यवस्था हालांकि कोविड-19 के बाद विनिर्माण गतिविधि धीमी हो गई है और सेवा क्षेत्र धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग धीमी हो गई है मगर खाने का व्यवसाय तथा डिलीवरी जोर पकड़ रही है। 

विनिर्माण क्षेत्र तेजी का सामना कर रहा है। अमरीका तथा यूरोपियन बाजार से चीन को कोई फ्रैश आर्डर नहीं मिल पा रहे। भारतीय और आस्ट्रेलियाई भावना भी नकारात्मक है और भारत तथा आस्ट्रेलिया द्वारा हाल ही में लिए गए कानूनी उपाय चीन और उसकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को परेशान कर रहे हैं। चीन विशेष रूप से ङ्क्षचतित है कि न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देश विनिर्माण हिस्से को उससे छीन लेंगे। वास्तव में एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला है कि विदेशी बहुराष्ट्रीय अब चीन प्लस वन माडल पर योजना बना रहे हैं जिसका मतलब यह है कि वे चीन में कुछ बुनियादी फैक्टरियां रखेंगे मगर अपना ज्यादा जोर साथ देशों में देंगे। नैशनल पीपुल्ज कांग्रेस में घबराहट देखी जा सकती है। इसने वर्ष के लिए कोई विशेष जी.डी.पी. टार्गेट तय नहीं किया जबकि वित्तीय घाटा टार्गेट 3.6 प्रतिशत निर्धारित किया गया था। स्थानीय सरकारों के लिए लगभग 2 ट्रिलियन युआन के हस्तांतरण की मंजूरी दी गई थी। यह घोषणा की गई कि एक विशेष हस्तांतरण भुगतान तंत्र स्थापित किया जाएगा कि धन सीधे  काऊंटी सरकारों के पास आ जाए। 

इन फंडों का उपयोग गैर नामित उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा। दूसरे शब्दों में 2022 में शीर्ष अनुशासन निरीक्षण और भ्रष्टाचार विरोधी कदमों को कसने की उम्मीद की जा रही है। वहीं चीन के प्रीमियर ली केकिं्वग ने बैल्टों को कसने की आवश्यकता के बारे में बात की जिसमें चीनी सरकार ने गैर-आवश्यक और गैर-अनिवार्य वस्तुओं पर 50 प्रतिशत कटौती की घोषणा की। इस बीच चीनी कानून निर्माताओं का कहना है कि चीन में औसत प्रति व्यक्ति वाॢषक आय 30,000  (4193 डॉलर) युआन है, लेकिन 600 मिलियन से अधिक लोग हैं जिनकी मासिक आय मुश्किल से 1000  (140 डॉलर) युआन है जोकि चीनी शहरों में एक कमरे को किराए पर लेने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है। ये घोषणाएं इस तर्क के साथ वजन को जोड़ती हैं कि चीन एक अपेक्षाकृत गरीब देश है, क्योंकि इसके 1.4 बिलियन लोगों में से 40 प्रतिशत लोग अभी भी 5 डालर से कम की दैनिक आय पर जी रहे हैं।  सी.सी.पी. की आंतरिक रिपोर्टों के अनुसार भविष्य की प्रोद्यौगिकियों में आई.टी. निवेश जैसे 5-जी, नए ऊर्जा वाहन और चाॄजग स्टेशन में चीन के साथ अमरीका की प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें देश की सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने और पुराने आवासीय परिसरों का नवीनीकरण भी शामिल है। 


यह महत्वपूर्ण है कि 2008 के वित्तीय संकट के बाद विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सरकारों ने खर्च को कम करके समाप्त कर दिया, जिनमें से ज्यादातर या तो बिल्कुल बेकार थीं या बहुत कम उत्पादकता थी। भुतहा कस्बों की कहानियों और स्टील तथा कोयला की अतिरिक्त क्षमताओं के बारे में रिपोर्टों को याद करें तो ली का प्रयास उस दृष्टिकोण को दोहराने का नहीं है। हालांकि वह जी.डी.पी. लक्ष्य के दबाव का सामना नहीं कर सकते।     (ए.एन.आई.)

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