मुसीबत में भारत को चीन ने  दिया धोखा, साथ निभा रहा ताइवान

punjabkesari.in Tuesday, May 18, 2021 - 04:21 AM (IST)

कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद जब कई देशों में इसकी वैक्सीन बनने लगी थी उस समय भारत ने कई देशों को वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, उस समय देश के अलग-अलग कोने से यह आवाज उठ रही थी कि भारत को सबसे पहले अपने नागरिकों को वैक्सीन लगानी चाहिए, इसके बाद दुनिया के दूसरे देशों को वैक्सीन भेजनी चाहिए, लेकिन आज जब हालात एकदम उलट हैं और भारत में रोजाना अनेकों लोगों की मौत कोरोना से हो रही है और लाखों की संख्या में रोजाना नए कोरोना केस सामने आ रहे हैं, ऐसे में भारत की मदद के लिए 40 देश सामने आए हैं। 

एक तरफ जहां दुनिया भर के देश भारत की मदद कर रहे हैं वहीं पड़ोसी देश चीन एक तरफ तो भारत को मदद देने की बात कहता है वहीं दूसरी तरफ चीन की वैक्सीन, रसायन और दवा क पनियों ने अपने उन उत्पादों की कीमत में 50 प्रतिशत की बढ़ौतरी कर दी और कार्गो क पनियों ने अपने माल भाड़े में 40 प्रतिशत का इजाफा कर दिया।  इससे चीन की मंशा साफ हो जाती है कि वह मानवीय मुसीबत की इस त्रासदी के समय भी मदद के नाम पर पैसे कमाना चाह रहा है। खैर, भारत ने चीन के इस रुख को देखते हुए अभी तक चीन की मदद की पेशकश का कोई जवाब नहीं दिया है। 

वहीं बाकी देश इस समय भारत को हर तरह की राहत सामग्री भेज रहे हैं, इन देशों को अब यह आभास हो चला है कि कोरोना महामारी से कोई देश अकेला नहीं लड़ सकता और इसके लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। जिस तरह से कोरोना वायरस किसी भी देश में जाकर एक नया रूप ले रहा है उसे देखते हुए सभी देशों को एक- दूसरे की मदद करनी पड़ेगी। यह भारत सरकार की विदेश नीति की सफलता है कि भारत की मदद को आज पूरी दुनिया एक साथ खड़ी है। इस समय हर छोटा-बड़ा देश भारत की मदद कर रहा है जहां एक तरफ अमरीका, इंगलैंड, फ्रांस, रूस भारत की मदद कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर मॉरिशस जैसा छोटा देश भी भारत को राहत सामग्री भेज रहा है। 

अब इसी सूची में ताईवान भी शामिल हो गया है। चीन के साथ गलवान घाटी में भारत के संघर्ष के बाद ताईवान से भारत के संबंध दिनों-दिन प्रगाढ़ होते जा रहे हैं। ताईवान ने भी 2 मई को भारत को राहत सामग्री की एक खेप भेजी जिस पर एक भावनात्मक संदेश भी लिखा था ‘लव फ्रॉम ताईवान’ यानी ताईवान की तरफ से सप्रेम। इसमें मैडीकल उपकरण और दवाएं दिल्ली में पहुंचाई गईं। मदद के तौर पर ताईवान ने भारत को 150 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और 500 ऑक्सीजन सिलैंडर भेजे हैं। 

इसके साथ ही दिल्ली में स्थित द ताईपेई इकोनॉमिक एंड कल्चरल सैंटर की तरफ से एक वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि कोरोना महामारी से संघर्ष में भारत के साथ मज़बूत दोस्ती को दर्शाने के लिए ताईवान ये मैडीकल उपकरण भारत को भेज रहा है। इसके साथ ही सैंटर की तरफ से इस वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि भारत को 500 ऑक्सीजन सिलैंडर और 150 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की मदद की पहली खेप दिल्ली पहुंच चुकी है।

आगे भी ताईवान कई और समूहों में इस तरह की मदद भारत को भेजता रहेगा। इसका मतलब यह हुआ कि ताईवान भारत की आगे भी मदद करता रहेगा। द ताईपेई इकोनॉमिक एंड कल्चरल सैंटर की तरफ से यह भी कहा गया है कि भारत को ताईवान की तरफ से दी जा रही यह मदद बहुत छोटी है और हम आशा करते हैं कि यह मदद मुसीबत में फंसे भारतीयों के लिए मदद और राहत साबित होगी और भारत में कोरोना महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के ऊपर से बोझ थोड़ा कम जरूर होगा। 

ताईवान की तरफ से ये संदेश बहुत ही भावुक है, आज के समय में दुनिया के कई और देश भी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं और मदद के तौर पर वे मैडीकल उपकरण और दवाएं जो भारत को भेज रहे हैं वे यहां की कोरोना महामारी में फंसी आबादी के लिए बहुत कम हैं लेकिन ताईवान की तरफ से भेजे गए 500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और 150 सिलैंडर दो से तीन हजार गंभीर कोरोना मरीजों को जीवन देने के लिए काफी हंै। इस मुसीबत के समय हर छोटी-बड़ी विदेशी मदद भारत के लिए मायने रखती है। ताईवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने मुसीबत की इस घड़ी में भारत के साथ खड़े होने की बात भी कही और कहा कि ताईवान भारत की मदद के लिए तत्पर है। 

वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ने चीन सरकार से अभी तक कोई मदद नहीं ली है, इसके साथ ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी की एक चि_ी और फोन कॉल के साथ शी जिनपिंग का संदेश भी भारत में आ चुका है लेकिन भारत ने चीन की कोई भी मदद स्वीकार भी नहीं की है। गलवान घाटी में जिस तरह चीन ने घात लगाकर भारतीय सैनिकों की हत्या की थी उसे देखते हुए भारत सरकार चीन से अब कोई संबंध नहीं रखना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ताईवान के साथ पूरा सहयोग कर रही है और ताईवान भी मुसीबत की इस घड़ी में भारत की पूरी मदद कर रहा है। 


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