चीन का बैल्ट एंड रोड अभियान महज एक और चूहेदानी

punjabkesari.in Thursday, Jul 21, 2022 - 03:35 PM (IST)

बैंकिग नियम और विवेक, जो किसी देश में लोगों और निगमों पर लागू होते हैं, संप्रभु राष्ट्रों पर लागू नहीं होते। आप एक डूबते हुए कर्जदार देश पर कब्जा और इसका पुनर्गठन नहीं कर सकते। आप अर्जेंटीना का परिसमापन नहीं कर सकते या ब्रिटेन को फ्रांस में विलय के लिए बाध्य नहीं कर सकते। सिटीबैंक के दिग्गज चेयरमैन वाल्टर रिस्टन, जिन्होंने दक्षिण अमरीकी और अफ्रीकी देशों को भारी कर्ज देकर बैंक को लगभग डुबो दिया था, को जब नुक्सान के बारे में चेतावनी दी गई तो उन्होंने कहा: च्देश नीचे नहीं जाते, वे लुढ़क जाते हैं!ज् मतलब उच्च लागत के साथ ऋणों को फिर से नवीनीकृत किया जाता है। अब हमारे क्षेत्र में श्रीलंका और पाकिस्तान के मामले पर विचार करें।

चीनियों ने थोड़ा अलग रास्ता अपनाना शुरू कर दिया है। कर्जदारों ने च्तोहफे के घोड़ेज् की ओर फिर से देखना शुरू कर दिया है। मलेशिया ने बहुत कम परिव्यय, कम ब्याज दरों और स्थानीय भागीदारी में वृद्धि के साथ रेल परियोजना की शर्तों पर फिर से बातचीत की है। उल्लेखनीय है कि पूर्व मलेशियाई प्रधानमंत्री नजीब रजाक को एक बड़ी रिश्वत देकर मूल सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। यहां तक कि पाकिस्तान ने भी श्रीलंका के साथ जो कुछ हुआ, उससे सबक लेकर सी.पी.ई.सी. की शर्तों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। चीन ने पहली बार श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह परियोजना के पहले चरण के लिए 2 प्रतिशत से कम की दर पर 307 मिलियन डॉलर का ऋण दिया। जब श्रीलंका 757 मिलियन डॉलर की एक और किस्त के लिए गया, तो चीनियों ने ब्याज दर को 5 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ा दिया और यह नई दर पहले ऋण पर भी लागू हुई।

चूंकि यह इस संयुक्त ऋण को नहीं चुका सका, इसे एक किलेबंद चीनी औद्योगिक शहर बनाने के लिए 15,000 एकड़ जमीन देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां चीनी मुद्रा युआन होगी। हंबनटोटा, जो संयोग से पूर्व राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे के अधिकार क्षेत्र में है और राजपक्षे ने इसे गहरे पानी के बंदरगाह, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और राजधानी के लिए हाई-स्पीड एक्सप्रैस-वे के साथ एक और कोलंबो में बदलने का सपना देखा था। यह ठीक वैसा ही था जैसा मुलायम सिंह यादव का इटावा में सैफई को हर मौसमी हवाई अड्डे के साथ एक औद्योगिक केंद्र में बदलने का सपना देखा था। उस पर नीलगाय चरती हैं, जैसे किसान अब हंबनटोटा के चौड़े रनवे पर धान सुखाते हैं।

पहले बी.आर.आई. (तत्कालीन ओ.बी.ओ.आर.) सम्मेलन में बोलते हुए, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पेइङ्क्षचग इसका समर्थन करने के लिए 380 अरब युआन (55 अरब डॉलर) की अग्रिम राशि देगा। यह 750 बिलियन डॉलर या यहां तक कि 1 ट्रिलियन डॉलर जैसे बड़े आंकड़ों से बहुत दूर था। लॉलीपॉप के आकार को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना चीन की आॢथक कूटनीति का एक अभिन्न पहलू है। बी.आर.आई. को विश्व प्रभुत्व की तलाश में चीन के बड़े खेल के रूप में देखा जाता है। बी.आर.आई. एक ऐसी परियोजना है, जिसका मतलब है कि पश्चिमी बैंकों के निवेश में चीनी रिजव्र्स को निवेश करना, जहां वे उच्च दर की वापसी प्राप्त करेंगे और चीनी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली समस्या से छुटकारा पा लेंगे।

2013 तक चीन ने लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार जमा किया। इसका दावा है कि यह पूंजी इसने एन.डी.बी., ए.आई.आई.बी. और सिल्क रोड फंड की सदस्यता के लिए इक्ट्टी की है, यह पश्चिमी बैंकों में निवेश किए गए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 7 प्रतिशत होगा। चूंकि चीन-प्रोन्नत ये संस्थान अनुदान की बजाय बुनियादी ढांचा ऋण प्रदान करेंगे, इसलिए इन निवेशों से पूंजी पर रिटर्न चीन को अपने विदेशी मुद्रा भंडार से मिलने वाले रिटर्न से काफी अधिक हो सकता है, जो अब कम-उत्पादक अमरीकी सरकारी बॉन्ड में निवेश किया गया है। यह बहुत सरल है। चीन को अपने पैसे का मूल्य प्राप्त करने और अपने मांग के भूखे उद्योगों की मदद करने की आवश्यकता है। 

एक तरीका यह है कि इन फंडों को अफ्रीका और एशिया के निवेश के भूखे देशों में काम करने के लिए लगाया जाए और खुद को आने वाले लंबे समय में रिटन्र्स के लिए आश्वस्त किया जाए। श्रीलंका में भव्य हंबनटोटा बंदरगाह परियोजना, जिसमें कभी भारतीय च्रणनीतिक विचारकोंज का ऐसा ही समूह था, अब जहाजों की मेजबानी नहीं करता और न ही ज्यादा कमाता है। चीन अब श्रीलंका पर अपना कर्ज चुकाने का दबाव बना रहा है और उसके बदले कुछ और निकालने की कोशिश कर रहा है। परियोजना को पूरा करने के लिए आपूर्ति की गई सामग्री और श्रम के माध्यम से चीन द्वारा हंबनटोटा के अधिकांश निवेश की भरपाई पहले ही कर ली गई है। इसलिए एक शीर्ष यूरोपीय टिप्पणीकार ने ओ.बी.ओ.आर. को च्वन बैल्ट, वन रोड एंड वन ट्रैपज कहा है। यह एक चूहेदानी है, जिसमें चारे के रूप में पनीर का एक बड़ा टुकड़ा होता है।


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