‘36 बिरादरियों’ के महान राजनीतिज्ञ थे चौधरी भजन लाल
punjabkesari.in Monday, Jun 03, 2024 - 05:13 AM (IST)
हरियाणा के सबसे लम्बी अवधि लगभग 11 वर्ष 9 माह तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने वाले चौधरी भजन लाल हरदिल अजीज राजनेता थे। वह हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की राजनीति के ऐसे चाणक्य थे, जिन्होंने सन् 1989 से फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। सन् 1998 में चौधरी भजन लाल करनाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए और सन् 2009 में हिसार लोकसभा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत कर भारत की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्था ‘संसद’ के सदस्य निर्वाचित हुए।
चौधरी भजन लाल का जन्म 6 अक्तूबर 1930 को गांव कोड़ावाली (बहावलपुर, अब पाकिस्तान में) हुआ। भारत के बंटवारे के दौरान उनका परिवार शरणार्थी बनकर जिला हिसार में बस गया। उस समय उनकी आयु केवल 17 वर्ष थी। भजनलाल ने युवा अवस्था में ही जिला हिसार में मंडी आदमपुर को अपना कार्यस्थल बनाया जिन्होंने आदमपुर के छोटे से गांव से अपने जीवन का संघर्ष शुरू कर, राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक एवं सामाजिक पहचान बनाई। सन् 1960 में भजन लाल आदमपुर के पंच चुने गए। सन् 1961 में जिला परिषद के हिसार ब्लाक-II में निर्वाचित हुए और पहली बार सन् 1968 में कांग्रेस टिकट पर आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। उन्होंने 9 बार सन् 1968, 1972, 1977, 1982, 1991, 1996, 2000, 2005 तथा सन् 2008 में आदमपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। सन् 1970 से 1975 तक चौधरी भजन लाल हरियाणा की बंसीलाल सरकार में कृषि मंत्री रहे। सन् 1978 में वह देवीलाल सरकार में सहकारिता मंत्री बने।
चौधरी भजन लाल 28 जून 1979 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सिविल सचिवालय में पहुंचे तथा इस कार्यकाल में भी 23 मई 1982 से 4 जून 1986 तक मुख्यमंत्री रहे। 21 अक्तूबर 1986 को इन्हें भारत का पहला केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री बना दिया गया। उसके पश्चात सन् 1988 में चौधरी भजन लाल भारत के कृषि मंत्री पद पर भी सुशोभित हुए। चौधरी भजनलाल तीसरी बार 23 जून, 1991 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 10 मई, 1996 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। उनका रिकार्ड अभी सन् 2024 तक हरियाणा का कोई नेता या मुख्यमंत्री तोड़ नहीं सका। यही, चौधरी भजन लाल का हरियाणा की 36 बिरादरियों का ‘मसीहा’ होने का प्रामाणिक सत्य है। चौधरी भजन लाल ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से भारत के सन् 1991 में बने कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव की अल्पमत सरकार को भी बहुमत में बदल दिया और अप्रैल 1992 में हुए ‘तिरुपति’ कांग्रेस महाधिवेशन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। लेखक भी उन दिनों मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल के पी.आर.ओ. थे और तिरुपति महाधिवेशन में पांच दिन उनके साथ ही रहे।
चौधरी भजन लाल ने राजनीतिक ऊंचाइयों को तो छुआ ही, सामाजिक कार्यों एवं विशेषकर ‘वृक्ष बचाओ, पर्यावरण बचाओ’ जैसे कार्यों में भी उनकी दिलचस्पी अनुकरणीय थी। वह लम्बी अवधि तक 22 अप्रैल सन् 1936 को लखनऊ में स्थापित अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में भी जीवन पर्यंत संरक्षक रहे। चौधरी भजन लाल की अमूल्य समाज सेवा के दृष्टिगत अखिल भारतीय बिश्रोई महासभा ने उन्हें ‘बिश्रोई रत्न’ की उपाधि से नवाजा। दिल्ली के सिविल लाइंस क्षेत्र में 8 करोड़ रुपए की लागत से बना श्री गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संस्थान भी चौधरी भजन लाल जी की ऊंची एवं सकारात्मक सोच से ही बना, जहां 5 जून 2006 से प्रतिवर्ष निरंतर विश्व पर्यावरण दिवस समारोह आयोजित किया जाता है। यहां खेद से लिखना पड़ता है कि भारत के राजनीतिक चाणक्य स्व. चौधरी भजन लाल जी की 36 बिरादरियों की उच्चकोटि की विरासत को उनके दोनों बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई आज तक संभाल नहीं पाए और इस वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में चौधरी भजन लाल की विरासत को आगे ले जाने वाला उनके परिवार का कोई भी प्रतिनिधि चुनाव मैदान में नहीं उतरा।
चौधरी भजन लाल का 3 जून 2011 को बाद दोपहर हिसार में हृदय गति रुकने से अचानक देहावसान हो गया। चौधरी भजन लाल जी की 50 वर्षों तक कर्मभूमि रही मंडी आदमपुर (गांव खैरमपुर) की पवित्र क्रांतिकारियों की भूमि में चौधरी भजन लाल को समाधि दे दी गई। स्वर्गीय चौधरी भजन लाल जी की13वीं पुण्यतिथि पर आदमपुर (खैरमपुर) में स्थित उनकी समाधि पर 3 जून, 2024 (सोमवार) को एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन करके लाखों लोग अपने मरहूम नेता को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।-अरुण जौहर