प्रवासियों द्वारा सम्पत्तियां बेचने व खरीदने के बदलते रुझान

punjabkesari.in Monday, May 09, 2022 - 06:27 AM (IST)

आदिकाल से प्रवास मानव जाति की एक स्थापित क्रिया है। अपने अच्छे तथा सुरक्षित भविष्य के लिए मनुष्य हमेशा प्रवास का सहारा लेता रहा है। प्रवास के इस रुझान में देश तथा विदेश दोनों शामिल हैं। भारत का उदाहरण लें तो यह एक विशाल देश है जो जनसंख्या के पक्ष से चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है जो अर्थव्यवस्था के तौर पर अमरीका तथा चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के तौर पर तेजी से उभर रहा है। 

इस देश में हर वर्ष करोड़ों कर्मचारी दूसरे राज्यों, मैट्रो शहरों तथा औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार के लिए प्रवास करते हैं। अधिकतर उन क्षेत्रों में स्थायी तौर पर बस जाते हैं जबकि बड़े स्तर पर मिट्टी के मोह तथा अपने भाईचारे में बुढ़ापा गुजारने के लिए वापसी भी करते हैं। जहां तक उद्योगपतियों तथा व्यवसायियों का संबंध है, जहां उनका काम जम जाए वे वहीं बस जाते हैं। वैसे वे कई बार अपने रैन-बसेरे देश-विदेश में कई जगह बनाए रखते हैं। 

रोजगार तथा अच्छे भविष्य के लिए 20वीं शताब्दी में पंजाब, केरल, गुजरात आदि राज्यों से बहुत से अच्छे परिवारों के बच्चों या नए शादीशुदा जोड़ों द्वारा इंगलैंड, अमरीका, कनाडा, सिंगापुर, मलाया की ओर जाने का रुझान देखने को मिला। फिर अरब देशों की विकसित अर्थव्यवस्थाएं, जैसे दुबई, कतर, अरब अमीरात आदि की ओर जाने का रुझान भी देखने को मिला। मगर इन लोगों का मुख्य उद्देश्य विदेशों में धन कमाकर अपने देशों में बढिय़ा मकान बनाना, जमीन-जायदाद खरीदना, जरूरतमंदों की सेवा-सहायता करना, गुरुधामों अथवा धार्मिक स्थलों के निर्माण में योगदान डालना आदि देखने को मिलता रहा है। ये प्रवासी देश में खेल स्पर्धाओं में भी रुचि लेते दिखाई देते हैं। 

फिर अपने देश तथा प्रांतों में वित्तीय, सामाजिक, धार्मिक स्तरों पर होती दुखदायी घटनाओं के कारण उन्होंने अपनी जमीन-जायदादें बेच कर विदेशों में स्थायी तौर पर रहने को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी। पंजाब, केरल, गुजरात आदि राज्यों के प्रवासियों में बड़े स्तर पर ऐसा रुझान देखने को मिला। इसलिए ब्रिटेन, कनाडा, अमरीका आदि देशों में जमीन-जायदादें और विशेषकर घरों तथा किराए के घरों, फ्लैटों, बेसमैंट के रेट आसमान छूने लगे हैं। 

9/11 को अमरीका में आतंकवादी हमलों, 2008 की आॢथक मंदी, कोविड-19 महामारी के बावजूद कनाडा, जो भारतीय तथा विशेषकर पंजाब से प्रवास का मुख्य केंद्र है, में घरों की कीमतों, फ्लैटों, बेसमैंटों के किरायों में निरंतर उछाल देखने को मिला जो आज भी जारी है। मुख्य कारण यह है कि सालाना उतने घर नहीं बनाए जा रहे जितनी मांग होती है। वर्ष 2020 में प्रमुख कनाडाई शहरी क्षेत्रों में घरों की कीमतों में 9.36 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली। 

एक परिवार के लिए, एक मंजिला घर की कीमत 2020 में 15.9 प्रतिशत, 2 मंजिला एक परिवार के घर की 16.5, टाऊन हाऊस की 10.9, फ्लैट की 4.2 प्रतिशत बढ़ती देखी गई। राजधानी ओटावा में घरों की कीमतों में 2020 में वृद्धि 19.69 प्रतिशत, हैलीफैक्स में 16.32, हैमिल्टन में 15.06, टोरंटो में 10.27, विक्टोरिया में 4.56, वेंकूवर में 7.06, विनीपैग में 5.73, क्यूबेक में 4.51 जबकि एडमन्टन में 1.26 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली। कीमतों में उछाल रोकने के लिए दिसम्बर 2020 में विदेशी लोगों द्वारा घर खरीदने पर एक नया कर भी लगाया गया लेकिन इसका कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिला। 

जनवरी 2022 में कनाडा में घरों की कीमतों में उछाल ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए। कनाडा में घर की औसत कीमत 7,48,439 डालर है, पिछले साल से 20 प्रतिशत अधिक एम.एल.एस. बैंच मार्क कीमत जनवरी 2022 में घर के लिए 8,25,800 डालर अर्थात साल दर साल की कीमत में सबसे बड़ा उछाल 23 प्रतिशत दर्ज किया गया। ब्रंजविक प्रांत में 32 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2,75,000, नोवा स्कोशिया में 23 प्रतिशत वृद्धि के साथ 3,92,828 डालर, पिं्रस एडवर्ड द्वीप में 18 प्रतिशत वृद्धि के साथ 3,51,890 जबकि न्यू फाऊंडलैंड लैब्राडार में 22 प्रतिशत वृद्धि के साथ 3,24,800 डालर दर्ज की गई। 

हैरानी की बात यह है कि भारत से जितने प्रवासी सालाना कनाडा जाते हैं उनमें से 40 प्रतिशत टोरंटो गे्रटर क्षेत्र में बस जाते हैं। गत 25 वर्षों में इस क्षेत्र में घरों की कीमतों में अथाह वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 1996 में जिस घर की कीमत 1981.50 डालर थी आज 10,95,475 डालर है। री/मैक्स कनाडा रिपोर्ट के अनुसार 1996 से आज तक यह वृद्धि 453 प्रतिशत दर्ज की गई है। 1996 से 2021 तक 20 लाख घर बेचे गए। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में 1.1 ट्रिलियन डालर उछाल दर्ज किया गया। 

कोविड-19 के बावजूद कनाडा सरकार ने 2021 में 4 लाख प्रवासियों को स्थायी आवास उपलब्ध करवाने की घोषणा की। 2022 में यह आंकड़ा 2.20 लाख, जबकि 2023 में 4.30 लाख होगा। फोब्र्स के अनुसार इनमें से 40 प्रतिशत जी.टी.ए. में बस जाएंगे अर्थात 1,60,000 से 1,70,000 लोग। इनके लिए 50-60 हजार नए घरों के निर्माण की जरूरत होगी। गत 10 वर्षों में हर साल 40,000 नए घर बनाए जाते रहे हैं। अगले 25 सालों में घरों की कीमतों में कमी का कोई प्रश्र नहीं। इनकी कीमत महंगाई दर से भी ऊपर रहेगी। अत: प्रवासियों के लिए अपना घर खरीदना सपना बन कर रह जाएगा। 

दूसरी ओर एक अलग तस्वीर भारत में उभर रही है। पंजाब जैसा राज्य जो कभी प्रति व्यक्ति आय के पक्ष से देश का नंबर एक प्रांत था, आज 17वें स्थान पर खिसक चुका है। 1980 के बाद इसकी एक पीढ़ी आतंकवाद, दूसरी नशों तथा आज तीसरी पीढ़ी अत्यंत बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अंधकारमय भविष्य के कारण विदेशों की ओर दौड़ रही है। मगर इस समय विश्व में बढ़ती महंगाई, कम रोजगार, महंगे घरों, महंगे किराए के मकानों, नस्ली भेदभाव के कारण प्रवासियों का जीना मुहाल हो रहा है। कई देशों के लोग इसीलिए प्रवासियों से नफरत करते हैं कि वे उनकी भविष्य की पीढिय़ों के रोजगार चुरा रहे हैं। महंगाई में कमर तोड़ वृद्धि के कारण स्टोरों, घरों, गाडिय़ों में चोरियां, लूटमार, धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हो रही है। हथियारों तथा नशीले पदार्थों की तस्करी संबंधी अंतर्राष्ट्रीय शक्तिशाली गैंग रोज कत्लेआम में शामिल रहते हैं। सरकारी या प्राइवेट क्षेत्रों में सम्मानजनक नौकरियों से प्रवासी वंचित रखे जाते हैं। 

अत: बहुत से प्रवासी अब भारत लौट रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों एक बातचीत में कहा था कि विदेशों में भारत से अधिक महंगाई है। यह 100 प्रतिशत सच है। सामान्य प्रवासी का विदेश में रहना मुश्किल हो रहा है। महंगाई, बेरोजगारी या कम वेतन तथा रोजगार, टैक्सों की भरमार, देश तथा मिट्टी का मोह, बुढ़ापे तथा अकेलेपन की बजाय अपने भाईचारे या देश में जीवन गुजारने की ललक के कारण अब वे वापस लौट रहे हैं। वापस लौटने वालों में अमरीका, इंगलैंड, कनाडा, साऊथ अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, मध्य-पूर्व में बसते भारतीय शामिल हैं। 

इन में से 78 प्रतिशत अपने गृहनगर, 58 प्रतिशत बेंगलूर, अहमदाबाद, पुणे, गाजियाबाद, फरीदाबाद, मुम्बई, तिरुवनंतपुरम, चंडीगढ़ आदि में बसने को प्राथमिकता देते हैं। कुछ जमीनों, उद्योगों अथवा कारोबार में धन निवेश करना चाहते हैं। यदि भारत में अच्छे कानून या शासन, भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन स्थापित हो जाए, रोजगार के अवसर बढ़ जाएं, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं यकीनी बनाई जाएं तो विदेशों से बड़े स्तर पर प्रवासी भारतीय वतन लौट सकते हैं।-दरबारा सिंह काहलों
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News