कोविड-काल में पुलिस के लिए चुनौतियां

Saturday, May 01, 2021 - 04:27 AM (IST)

पुलिस कर्मियों ने अभी अपना टीकाकरण पूरा किया भी नहीं था कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने देश को इतने गंभीर रूप से घेर लिया, जिसकी किसी को कोई उ मीद नहीं थी। पिछली लहर के विपरीत, संक्रमण इतनी तेजी से और गुच्छों में बढ़ रहा है कि पीड़ित परिवारों को समय रहते संभलना बहुत मुश्किल हो रहा है। कोविड की इस नई शृंखला को तोडऩे के लिए कई शहरों में फिर से लॉकडाऊन लगाया गया है, लेकिन इस बार पुलिस के समक्ष चुनौतियां अधिक विविध और गंभीर हैं। 

पिछले साल, अधिकांश समस्या प्रवासी श्रमिकों तक सीमित थी-उनके राशन, परिवहन और अंतर्राज्यीय पास की व्यवस्था तक। नियम-निर्देशों  के उल्लंघन की सजा को हल्का रखा गया था। जनता द्वारा स्वास्थ्य सेवाकर्मियों पर हमला करने से रोकने के लिए 1897 के बने कानून ‘महामारी रोग अधिनियम’ में कई संशोधन किए गए। ‘होम क्वारंटीन’ शब्द केवल उन लोगों के लिए था जिनको शून्य या हल्के लक्षण थे। ‘इंटरपोल’ द्वारा कानून प्रवर्तन एजैंसियों के लिए जारी दिशा-निर्देशों के बावजूद, साइबर धोखाधड़ी के मामलों, विशेष रूप से ऑन लाइन खरीद और फिशिंग  में तेजी देखी गई। 

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के अनुसरण में उच्च न्यायालयों को कोविड -19 के प्रकोप  के चलते दोष सिद्ध कैदियों को पैरोल और (सात साल तक की अधिकतम सजा के अपराधों के) अंडर-ट्रायल कैदी जो 3 माह या अधिक अवधि से जेल में थे, उन्हें सशर्त रिहा  करने के निर्देश दिए। मौजूदा पीढ़ी के लिए महामारी से निपटने का यह पहला अनुभव था, इसलिए पुलिस को लॉकडाऊन लागू करने में कठिन समय का सामना करना पड़ा। हालांकि, इधर-उधर आलोचना के कुछ उदाहरणों को छोड़कर, पुलिस को अपनी दृढ़ता और दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए बहुत सराहना मिली। 

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मौजूदा स्थिति अधिक भयभीत और गंभीर प्रतीत  होती है। महज एक पखवाड़े की अवधि में मामलों में तेज वृद्धि के साथ, अस्पताल के बैड, आईसीयू बैड, मैडीकल ऑक्सीजन और कुछ दवाओं की उपलब्ध सं या कथित रूप से बढ़ती मांग से कम हो गई है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने बार-बार अपील की है कि रेमडेसिविर मृत्यु दर को कम नहीं करता, लेकिन बावजूद इसके मांग कम नहीं हुई है। हालांकि, प्रशासन  विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित कर स्थिति को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन भय कम होता नजर  नहीं आ रहा। कुछ मीडियाकर्मी और सामाजिक कार्यकत्र्ताओं की भूमिका का यहां विशेष उल्लेख करना उचित होगा, जिन्होंने समय पर मदद के हाथ बढ़ाकर कई हताश लोगों को जीवन दान दिया है। 

कोरोना प्रोटोकॉल  के अनुसार चिंता का एक अन्य क्षेत्र, राज्य के अधिकारियों द्वारा शवों का उचित निपटारा है। श्मशान की सीमित क्षमता के कारण दाह संस्कार में कभी-कभी देरी हो रही है। कुछ परिजन अपने परिजनों  को अलविदा नहीं कह पा रहे या विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। उनकी पीड़ा मोचन से परे है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हर ऐसी परिस्थिति का सामना सबसे पहले पुलिस को करना पड़ता है, चाहे वह मैडीकल उत्पादों की जमाखोरी हो या अस्पतालों व अन्य चिकित्सा सुविधाओं के सामने उत्पन्न कानून-व्यवस्था की स्थिति। 

लॉकडाऊन को लागू करने के अलावा, पुलिस द्वारा अपने नियमित कत्र्तव्यों का पालन भी करना जरूरी है। यदि गिर तार अपराधी कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से पहले क्वारंटीन करना जरूरी है। हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में, गिर तारी को स्थगित भी नहीं रखा जा सकता है। प्रचलित जेल प्रोटोकॉल के अनुसार, अपराधियों को केवल तभी प्रवेश  की अनुमति है, जब उनका कोरोना परीक्षण नैगेटिव हो। इसके अलावा, गिर तारी करने वाले पुलिसकर्मियों के संक्रमित होने की संभावना भी दूसरों की तुलना में अधिक है। 

अत्यधिक संक्रामक वायरस के बीच एक पुलिसकर्मी द्वारा खुद को सुरक्षित रखना धीरे-धीरे मुश्किल होता जा रहा है। कई पुलिसकर्मियों ने कोविड-19 के कारण अपने प्राणों की आहूति दी है और कई पुलिसकर्मी दूसरों की मदद करते हुए संक्रमित हुए हैं। ‘इंडियन पुलिस फाऊंडेशन’ संस्था के 16 मार्च 2021 के एक ट्वीट के अनुसार तब तक लगभग 1,207 सुरक्षाकर्मियों (राज्य पुलिस और सी.ए.पी.एफ. सहित) ने अपने जीवन का बलिदान किया है और दो लाख से अधिक संक्रमित हुए हैं। पुलिस कर्मियों के परिवार भी संक्रमण के अधिक जोखिम में रहते हैं। 

‘विशेष बीमा योजना’ जिसके तहत चिकित्सा बिरादरी के लिए पिछले साल, तीन महीने की सीमित अवधि के लिए 50 लाख रु. का बीमा किया गया था, उस योजना को न केवल पुनर्जीवित किया जाए बल्कि (पुलिसकर्मियों सहित) सभी कोरोना वालंटियर्स  को उसका लाभ दिया जाए। कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान चुनौतियां कई गुना बढ़ गई हैं। विभिन्न कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम पुलिसकर्मी, भाग्यशाली हैं कि कठिन समय में जरूरतमंदों और गरीबों की सेवा करने का पवित्र मौका मिला है।-आर के विज
 

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