आम चुनाव में जातीय जनगणना का दबदबा रहेगा

Friday, Jan 12, 2024 - 06:00 AM (IST)

जाति जनगणना और आरक्षण ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कोई भी राजनीतिक दल छोड़ नहीं सकता क्योंकि वे जानते हैं कि ओ.बी.सी. वोट हासिल करने के लिए यह महत्वपूर्ण हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, जातीय जनगणना पर बहस अब जोर पकड़ने लगी है। अब भाजपा को भी लगता है कि ओ.बी.सी. वोटों पर पकड़ मजबूत करने का यही एकमात्र हथियार है। यही कारण है कि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक विधानसभा रैली में कहा कि भाजपा कभी भी जाति जनगणना के खिलाफ नहीं रही है। 

ऐसा बयान तब आया जब ओ.बी.सी. वोट बेस के उसके सहयोगियों ने खुले तौर पर जाति जनगणना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में ओ.बी.सी. आबादी 63.1 प्रतिशत है। मोदी सरकार चिंतित है कि जाति जनगणना प्रतिस्पर्धी मांगों को जन्म दे सकती है जो उसके नाजुक जाति संतुलन को बिगाड़ सकती है। 

वहीं, भाजपा नेताओं को धीरे-धीरे इस बात का एहसास हो गया है कि पार्टी इस मुद्दे पर ज्यादा दिनों तक चुप्पी साधे नहीं रह सकती। इससे पहले विपक्ष की महिला आरक्षण के अंदर ओ.बी.सी. कोटा की मांग पर भाजपा के कई नेताओं की पैनी नजर है। माना जाता है कि कुछ राज्य भाजपा नेताओं, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं ने, भाजपा के ओ.बी.सी. वोट आधार में दरार पैदा करने के विपक्ष के प्रयासों के बारे में गंभीरता व्यक्त की है। 

भाजपा नेताओं का दावा है कि मौजूदा लोकसभा में पार्टी के पास 113 ओ.बी.सी., 53 अनुसूचित जाति (एस.सी.) सांसद हैं जो उसके कुल सांसदों का लगभग 70 प्रतिशत है। यह भाजपा की ब्राह्मण-बनिया प्रभुत्व वाली पार्टी होने की लम्बे समय से चली आ रही धारणा से बिल्कुल अलग है। सी.एस.डी.एस.-लोकनीति डाटा विश्लेषण के मुताबिक, ओ.बी.सी. वोटों में भाजपा की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। 2014 में भाजपा को 34 प्रतिशत ओ.बी.सी. वोट मिले थे और फिर 2019 में यह संख्या बढ़कर 44 प्रतिशत हो गई। जबकि कांग्रेस को 1996 में 25 प्रतिशत ओ.बी.सी. वोट मिले थे लेकिन 2019 में केवल 15 प्रतिशत मिले। सी.एस.डी.एस.-लोकनीति विश्लेषण में यह भी पाया गया कि 2014 और 2019 के बीच गरीबों के बीच भाजपा का वोट शेयर 12  प्रतिशत बढ़ गया। 

निम्र वर्ग में 5 प्रतिशत, मध्यम वर्ग में 6 प्रतिशत और उच्च मध्यम वर्ग में 6 प्रतिशत वोट शेयर में बढ़ौतरी मुख्य रूप से केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के कारण हुई और लाभाॢथयों तक पहुंचने के लिए सरकारी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया। हालांकि, अब महंगाई से मोह भंग और बढ़ती बेरोजगारी के कारण कुछ हिस्सा घट भी सकता है। इस संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव वाले राज्य छत्तीसगढ़ में कहा, ‘‘भाजपा ने कभी भी जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया है लेकिन इस पर गहन विचार के बाद ही फैसला लेना होगा।’’ 

भाजपा ने ओ.बी.सी. नेता नायब सिंह सैनी को हरियाणा का अध्यक्ष नियुक्त किया। सैनी ने ओम प्रकाश धनखड़ की जगह ली है जो प्रभावशाली जाट समुदाय से हैं। अमित शाह ने तेलंगाना में ऐलान किया था कि अगर भाजपा राज्य में सत्ता में आई तो पिछड़े वर्ग से किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाएगी। भाजपा चिंतित है कि जाति जनगणना राज्यों में प्रतिस्पर्र्धी मांगों को जन्म दे सकती है और कोटा की अन्य भूली हुई मांगों को भड़का सकती है जिससे उसका नाजुक जाति संतुलन बिगड़ सकता है। उन्हें एहसास हो गया है कि पार्टी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे नहीं रह सकती। भाजपा की नजर इस पर है वहीं कांग्रेस अपनी भारत जोड़ो  यात्रा के जरिए राहुल गांधी को हाशिए पर पड़े लोगों के हितैषी नेता के तौर पर स्थापित करने में काफी सफल रही है। 

बसपा अध्यक्ष मायावती ने लोगों को याद दिलाया कि आजादी के बाद कांग्रेस शासन के तहत काका कालेलकर योग और मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी लेकिन कांग्रेस ने उन पर अमल नहीं किया। कमोबेश जाति जनगणना और आरक्षण इतने आकर्षक हैं कि इन्हें भुलाया नहीं जा सकता।-राजेश कुमार सिंह

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