‘अलविदा कादर खान’

Wednesday, Jan 02, 2019 - 04:32 AM (IST)

बॉलीवुड के बेहतरीन अदाकार और जबरदस्त डायलॉग राइटर कादर खान 81 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। सिने प्रेमी उन्हें भुला नहीं पाएंगे। आखिरी बार साल 2015 में फिल्म ‘दिमाग का दही’ में वह नजर आए थे। 

एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कादर खान ने अपने बचपन के संघर्ष के दिनों को याद किया था। कादर खान के मां-बाप अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से थोड़ी दूर रहते थे। जब कादर खान का जन्म हुआ तो उनकी मां ने भारत आने का फैसला किया। उनके माता-पिता मुम्बई में बस गए। उनका बचपन मुम्बई के स्लम एरिया में बीता। कादर खान के मुताबिक वहां शराब, जुआखाने तो थे ही, इसके साथ-साथ वहां कत्ल भी होते थे। इस दौरान उनके माता-पिता की लड़ाई भी होने लगी और एक दिन उनका तलाक हो गया। इसके बाद पाकिस्तान से कादर खान के नाना और मामा आए। उन्होंने कादर खान की मां की जबरन दूसरी शादी करवा दी। 

कादर खान के सौतेले पिता भी कुछ काम नहीं करते थे। वह कादर खान को पहले पिता के पास पैसे लेने भेजते थे। कादर खान ने इंटरव्यू में बताया था कि वह एक रुपए का दाल-आटा, घासलेट लाते थे और हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खाना खाते थे। बाकी दिन उन्हें भूखा रहना पड़ता था। गरीबी देख कादर खान ने बचपन में मजदूरी करने का फैसला किया लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक कर पढऩे-लिखने की सलाह दी। उनको उनकी मां ने ‘पढ़’ शब्द कुछ इस अंदाज में कहा कि उनकी जिंदगी ही बदल गई। कादर खान को दूसरों की नकल करने का शौक था। वह दिनभर जिसे देखते उसकी नकल घर के पास बने कब्रिस्तान में करते थे। 

एक दिन कादर खान कब्रिस्तान में प्रैक्टिस कर रहे थे तो एक टार्च की लाइट उनके चेहरे पर चमकी। टार्च वाले शख्स ने पूछा कि तुम क्या करते हो, इस पर कादर खान ने कहा कि जो भी कोई अच्छी बात बोलता या लिखता है मैं उसकी नकल करता हूं। उस शख्स ने कादर खान को कहा कि ड्रामे में काम करोगे? इस तरह कादर खान को ड्रामे में काम मिला। उनके पहले ड्रामे का नाम ‘मामक अजरा’ था। उसमें कादर खान का एक रजवाड़े के बेटे का किरदार था। इस किरदार को कादर खान ने कुछ इस अंदाज में निभाया कि एक अमीर शख्स ने उन्हें 100-100 के दो नोट ईनाम में दिए थे। 

दमदार अभिनय के दम पर 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले और लोगों को हंसने पर मजबूर करने वाले कादर खान कभी भी बॉलीवुड में आना नहीं चाहते थे। उनको बॉलीवुड में लाने का श्रेय दिलीप कुमार को जाता है। फिल्मों में कभी अनपढ़, कभी डॉन तो कभी गांव वाले के रोल में नजर आए कादर खान के पास इंजीनियरिंग की डिग्री थी। सिविल इंजीनियरिंग में स्पैशलाइजेशन करने वाले कादर खान साल 1970 से 1975 के बीच एक इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ाया करते थे। कालेज के एक वाॢषक कार्यक्रम में एक नाटक में एकिं्टग के दौरान मशहूर एक्टर दिलीप कुमार ने उन्हें देखा और उनका हुनर समझ गए। इसके बाद दिलीप कुमार ने उन्हें अपनी अगली फिल्म ‘बैराग’ के लिए साइन कर लिया। 

बेहतरीन अदाकार और अपनी शानदार कॉमेडी टाइमिंग से पर्दे पर हीरो से ज्यादा तालियां और सीटियां पाने वाले कादर खान इमोशन्स के भी उतने ही पक्के थे। जिस तरह वह कॉमेडी से भरे डायलॉग्स को एकदम मक्खन की तरह परोस देते थे उसी तरह इमोशनल सीन में भी वह कुछ इस तरह रंग भरते थे कि देखने वालों की आंखों में आंसू भर आएं। कभी वह मजबूर बाप बनकर रुला गए तो कभी अपने किसी दूसरे किरदार से दिल छू लिया।-वरिन्द्र भाटिया

Pardeep

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