वैसे, यह जमीन किसकी है

punjabkesari.in Monday, Feb 13, 2023 - 05:18 AM (IST)

जालंधर में टेबल टैनिस स्टेडियम परिसर में जमीन के एक छोटे से टुकड़े ने पंजाब के एक वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी को 2015 बैच के एक अन्य आई.एस. अधिकारी के खिलाफ खड़ा कर दिया है। विवादित भूमि स्टेडियम का हिस्सा है लेकिन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पंजाब सशस्त्र पुलिस-सह-पंजाब वक्फ बोर्ड के प्रशासक एम.एफ. फारूकी ने दावा किया है कि यह वक्फ भूमि है और परिधि को चिन्हित करने के लिए एक दीवार का निर्माण किया गया। हालांकि उसी दिन नगर-निगम के कर्मचारी पहुंचे और अतिक्रमण होने का दावा करते हुए उन्होंने दीवार को तोड़ दिया। नगर निगम के कमिश्रर अभिजीत कपलिश ने हालांकि कार्रवाई का बचाव किया और दावा किया कि तहसीलदार या एस.डी.एम. का कोई आदेश नहीं था कि वक्फ बोर्ड को जमीन का अधिगृहण करने की अनुमति दी जाए। हालांकि इस मसले को लेकर अगली कार्रवाई जारी है। वैसे, यह जमीन किसकी है? 

महाराष्ट्र में वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी अधर में लटके : महाराष्ट्र में वरिष्ठ बाबू राज्य सरकार द्वारा पोस्टिंग में हो रही देरी से परेशान हैं। सबसे संभावित कारण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के बीच लगातार चल रही खींचातानी है। 

हालांकि उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए एक ‘अप्राकृतिक’ राजनीतिक गठजोड़ किया था लेकिन दोनों व्यक्ति अभी तक अपनी-अपनी भूमिकाओं में नहीं बसे हैं। फड़णवीस उप-मुख्यमंत्री की कमान को संभाले हुए हैं लेकिन स्पष्ट रूप से वही हैं जो निर्णय लेते हैं। विलंबित नियुक्तियां इस निरंतर श्रेष्ठता का केवल एक परिणाम हैं। 

सूत्रों के अनुसार आई.ए.एस. अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव, फड़णवीस और शिंदे के साथ क्रमिक रूप से मुलाकात की। इससे पूर्व 1992 बैच के 6 आई.ए.एस. अधिकारियों को पिछले सप्ताह अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक में पदोन्नत किया गया था। प्रतिनिधिमंडल को इन अधिकारियों को तत्काल पदोन्नत करने के लिए नेताओं पर दबाव डालना पड़ा क्योंकि अन्य राज्यों में उनके बैचमेट पहले से ही पदोन्नत हो चुके हैं। इस बीच राज्य के 5 वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों की तलाश अभी बाकी है जिनके पास पिछले वर्ष दिसम्बर के मध्य से ही कोई पद नहीं है क्योंकि उन्हें तबादले के दौरान  कोई पद नहीं दिया गया था। वे सभी सुस्ती से इंतजार कर रहे हैं जब सरकार उनकी अगली पोस्टिंग पर मन बना लेगी। सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी बजट सत्र और संभावित राज्य मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में अफवाहें फैलने के बाद इन नियुक्तियों में और अधिक देरी हो सकती है। 

डिजिटल डिवाइड ने दक्षता के लिए ए.पी. सरकार के जोर को खत्म कर दिया : ऐप आधारित उपस्थिति को लोकप्रिय बनाना सरकारों के लिए एक कठिन कार्य साबित हो रहा है। मनरेगा मजदूरों की अनिवार्य हाजिरी शुरू करने के बाद केंद्र को इसका पता लग रहा है। मोबाइल ऐप को पिछले वर्ष मई में एक स्वैच्छिक सेवा के रूप में लांच किया गया था लेकिन पिछले महीने पंचायती स्तर पर मनरेगा योजनाओं का प्रबंधन करने वाले अधिकारियों के लिए कार्यस्थल पर मजदूरों की फोटो दिन में 2 बार अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया था। इसका उद्देश्य योग्य है ताकि अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने के साथ-साथ  भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सके लेकिन योजना के कार्यान्वयन में गड़बड़ी के अलावा कुछ लोगों को डर है कि इस भुगतान को कम करने की कोशिश में केंद्र लगा है। 

अब आंध्रप्रदेश (ए.पी.) के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रैड्डी कर्मचारियों की उपस्थिति और स्थान को ट्रैक करने के लिए लांच किए गए ऐप के कारण राज्य सरकार के कर्मचारियों का विरोध झेल रहे हैं। वर्तमान में आंध्र प्रदेश में बाबू अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए आधार-सक्षम बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली का उपयोग करते हैं। पिछले वर्ष रैड्डी सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति पर नजर रखने के लिए स्कूलों में चेहरे की पहचान आधारित प्रणाली की शुरूआत की थी। इस योजना के बारे में कुछ चिंताएं व्यावहारिक प्रकृति की लगती हैं क्योंकि बहुत से बाबुओं के पास स्मार्ट फोन नहीं है और वे नहीं जानते कि उनका उपयोग कैसे किया जाए। निजता का खतरा एक और चिंता का विषय है। जाहिर है, सरकार की नीयत और जमीनी हकीकत के बीच एक बड़ी खाई है। डिजिटल डिवाइड को लागू करना एक ऐसा सवाल है जिसे सरकार को सुधारों को शुरू करने से पहले संबोधित करने की जरूरत है।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News