...लेकिन चीन है कि अभी भी मानता नहीं

punjabkesari.in Sunday, Aug 14, 2022 - 06:24 AM (IST)

चीन इन दिनों अपने दो फ्रंट खोलने में दिलचस्पी दिखा रहा है, पहले तो चीन ताईवान को अपनी नौसेना और वायुसेना की धौंस दिखाते हुए घुड़की दे रहा है लेकिन चीन का मन इससे नहीं भरा तो उसने अपने दक्षिणतम पड़ोसी भारत के साथ भी यही हरकत करना शुरू कर दिया। लेकिन जब भारत की तरफ से जवाबी कार्रवाई हुई तो चीन डर गया और दोनों देशों की वायुसेना के बीच तनाव कम करने के लिए हॉटलाइन सर्विस शुरू करने पर बातचीत शुरू कर दी। 

ताईवान की तर्ज पर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाकर भारत को उकसाने की कार्रवाई कर रहा है। इस वजह से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। चीन ने जब से शिनच्यांग में खोतान और तिब्बत में लुहान्त्से के अलावा वायुसेना के लिए नए रन-वे, हैलीपैड्स, एयरपोर्ट और ब्रिज बनाना शुरू किया है तभी से चीन की हवाई गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तेज हो गई हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार कोई भी देश सीमा के 10 किलोमीटर की दूरी में अपने जे-11बी लड़ाकू विमानों को नहीं उड़ा सकता क्योंकि इसे उकसावे की कार्रवाई माना जाता है। लेकिन चीन नहीं मान रहा है, 10 किलोमीटर की इस लाइन को कांफीडैंस बिल्डिंग लाइन भी बोलते हैं लेकिन चीन खुल्लमखुल्ला इसका उल्लंघन कर रहा है। इस क्षेत्र में दोनों देशों का विमानों, ड्रोन्स और हैलीकॉप्टरों का लाना एकदम वर्जित है, क्योंकि यह प्रोटोकॉल के खिलाफ है, अभी तक भारत और चीन दोनों देश इस प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे और अपने वायुयानों को कभी भी इन पोस्ट पर नहीं लाते थे। भारत ने शुरूआत में चीन की इस हरकत पर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बाद में भारत ने भी बफर जोन में अपने मिग-29 और मिराज 2000 विमान उड़ाने शुरू कर दिए।

भारतीय वायु सेना इससे अपने प्रतिक्रिया करने के समय को जांच रही है कि दुश्मन की गतिविधि के कितने समय में वो भी आसमान में उड़ान भरते हुए उसे मुंह तोड़ जवाब देते हैं।लेकिन इससे दोनों देशों में तनाव बढऩे की आशंका बहुत अधिक बढ़ गई थी जिससे चीन बुरी तरह डर गया। क्योंकि चीन को भारत से ऐसे जवाब की उम्मीद कतई नहीं थी। इस डर के कारण चीन ने भारत के सामने दोनों देशों की वायुसेना के बीच सीधी हॉटलाइन फोन सेवा को जल्दी शुरू करने का प्रस्ताव रखा है जिससे चीन के उकसावे को भारत सही मानते हुए कहीं पहले ही भीषण प्रहार न कर दे। जिससे दोनों देशों में युद्ध शुरू हो जाए। हालांकि चीन इस समय ताईवान के साथ उलझा हुआ है और ताईवान के पीछे अमरीका मजबूती के साथ खड़ा है। ताईवान की रक्षा के लिए अमरीका इसलिए भी खड़ा है क्योंकि ताईवान विश्व का सबसे बड़ा माइक्रोचिप और सैमीकंडक्टर का निर्माता और निर्यातक भी है। इसलिए किसी भी हाल में अमरीका ताईवान का साथ नहीं छोड़ सकता है। 

जानकारों की राय में ऐसे में चीन की ये बेवकूफाना हरकत होगी जो वह भारत के मोर्चे पर दूसरा फ्रंट भी खोल दे। जानकारों की राय में चीन भारत का रिस्पांस टाइम देख रहा है और उसकी सेना आंकड़े तैयार कर अपने युद्ध रणनीतिकारों को सौंपती है जो ये आंकलन करते हैं कि क्या भारत इस बार तेज जवाबी कार्रवाई करेगा या धीमी। उस आधार पर एल.ए.सी. पर चीन आगे की रणनीति बनाएगा, क्योंकि उसकी नियति भारत की जमीन हथियाने की है। अगर कोई देश जरा-सा भी कमजोर पड़ता है तो चीन उसकी धरती को अपने कब्जे में ले लेता है और दुनिया को बताता है कि यह जमीन, द्वीप तो अमुक साम्राज्य में उसकी सीमा में था। 

हॉटलाइन सेवा शुरू करने का यही उद्देश्य है कि अगर किसी देश को दूसरे देश की किसी हवाई गतिविधि से परेशानी है, या फिर अपना विरोध दर्ज कराना है तो वो देश दूसरे देश को हॉटलाइन पर संपर्क कर ऐसा कर सकता है। इसके बाद अगर चीन के लड़ाकू विमान एल.ए.सी. के पास आते हैं तो भारत इसका विरोध दर्ज कराएगा, अगर चीन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो भारत इसके आगे कदम उठाएगा। 

हॉटलाइन स्थापित करने का चीन का उद्देश्य यह है कि दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध शुरू न हो जाए,हालांकि भारत भी युद्ध नहीं चाहता है लेकिन किसी देश द्वारा उकसावे की कार्रवाई का भरपूर जवाब देने को हमेशा तैयार है। दोनों देश इस मामले को पूर्ण युद्ध तक नहीं पहुंचाना चाहते हैं। अब आगे ये देखना है कि हॉटलाइन सेवा कब शुरु होती है और क्या वाकई इससे एल.ए.सी. पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी?


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