‘बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप प्रदान किया’

Wednesday, Feb 03, 2021 - 01:48 AM (IST)

स्वास्थ्य देखभाल बजट में 137 प्रतिशत की वृद्धि; बुनियादी ढांचा व्यय में 32 प्रतिशत की वृद्धि, जिसमें राज्यों और स्वायत्त निकायों के लिए 2 लाख करोड़ रुपए का आबंटन शामिल नहीं है; दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक बीमा कंपनी का निजीकरण; बैंकों की बैलेंस शीट को व्यवस्थित करने के लिए निजी क्षेत्र में एक बैड  बैंक;  कर प्रणाली व्यवस्थित करने के साथ करों में कोई वृद्धि नहीं। 

मध्यम अवधि की राजकोषीय मजबूती के लिए रूपरेखा प्रदान करते हुए आर्थिक रिकवरी को आगे बढ़ाते हुए राजकोषीय खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि, जिसमें संपत्ति के मुद्रीकरण की योजना शामिल है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज 1-3 द्वारा पुजारा जैसी बल्लेबाजी के बाद, जिसने यह सुनिश्चित किया कि महामारी के दौरान भारत को कम से कम नुक्सान हो तथा आर्थिक प्रगति वी-आकार की हो, वित्त मंत्री ने सोमवार को ऋषभ पंत की भूमिका निभाई और उन्होंने एक ऐसा बजट पेश किया, जिसे इतिहास याद रखेगा। 

एक अर्थव्यवस्था में, इनपुट के घटक के रूप में नर्म और कठोर बुनियादी ढांचा तथा श्रम और पूंजी शामिल होते हैं। परंपरागत रूप से, श्रम और पूंजी को प्रमुख इनपुट माना जाता है। चूंकि नरम और कठोर बुनियादी ढांचा, श्रम और पूंजी की उत्पादकता को बढ़ाते हैं, इसलिए बजट के विश्लेषण में, हम इन्हें इनपुट भी मान सकते हैं। नर्म बुनियादी ढांचा मानव विकास से संबंधित है, जबकि कठोर बुनियादी ढांचे में भौतिक संपत्ति शामिल होती है। महामारी ने स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है, इसलिए यह नरम बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है। इसी तरह, कठोर बुनियादी ढांचा निजी निवेश को सक्षम बनाता है और निवेश, विकास और उपभोग के चक्र को तेज करता है। इस वर्ष के बजट को ऐतिहासिक माना जाएगा, क्योंकि यह, इनपुट के इन सभी घटकों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। 

एन.आई.पी.एफ.पी. अध्ययन से पता चलता है कि भारत में भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश का वित्तीय गुणक बहुत अधिक रहा है-यह निवेश किए जाने वाले वर्ष में 2.5 और अगले कुछ वर्षों के लिए 4.5 रहता है। इसलिए, यदि हम सिर्फ राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के कार्यान्वयन के लिए आबंटित 5.54 लाख करोड़ रुपए के प्रभाव पर विचार करते हैं, तो यह जी.डी.पी. का 2.5 प्रतिशत है। 2.5 के गुणक को लेने पर यह, 2.5 प्रतिशत &2.5=6.25 प्रतिशत होता है। इस प्रकार, बुनियादी ढांचे पर खर्च से सकल घरेलू उत्पाद में 6.25 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, अक्तूबर के महीने के बाद से सरकार के पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इसके लिए संशोधित अनुमान वित्त वर्ष 20 के बजट में निर्धारित 4.2 लाख करोड़ रुपए की बजाय 4.39 लाख करोड़ रुपए होगा। 

लॉकडाऊन के दौरान पूंजीगत व्यय में अत्यधिक कमी के बावजूद बजट अनुमान की तुलना में यह 4.5 प्रतिशत की वृद्धि स्पष्ट रूप से दिखाई पडऩे की उम्मीद है। सड़कों और रेलवे के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय आबंटन खासतौर पर देश में लॉजिस्टिक्स संबंधी बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण को संभव बनाएंगे और इस क्रम में भारतीय कंपनियों के व्यापार करने की लागत को कम करेंगे। ये आबंटन श्रम सुधार, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के क्षेत्र में एक निश्चित बदलाव और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं समेत आत्मनिर्भर भारत 1-3 में शुरू किए गए कई सुधारों को आगे ले जाएंगे और देश में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम और उन्नत बनाएंगे। 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जाने वाले खर्च में भारी बढ़ौतरी का असर निश्चित रूप से समय के साथ सामने आएगा। लेकिन, इस वर्ष स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यक धनराशि प्रदान करने के साथ टीकाकरण के लिए 35000 करोड़  रुपए का प्रावधान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक टीके के रूप में कार्य करेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, स्वास्थ्य क्षेत्र को दिए गए महत्व को इंगित करती है और यह कदम मध्यम से लेकर दीर्घावधि तक आम आदमी को लाभान्वित करेगा। मानव विकास के मामले में संभावित सुधार श्रम की उच्च उत्पादकता के रूप में प्रकट होगी और इस तरह समग्र उत्पादकता में सुधार होगा। 

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बदलाव के संकेत के अलावा, इस वर्ष का बजट भारत के वित्तीय क्षेत्र में परिवर्तन की शुरूआत कर सकता है। इस संबंध में तीन प्रमुख पहलें हुई हैं। पहला कदम एक बैड बैंक की स्थापना है, जिसका क्रियान्वयन कमजोर या मुसीबत से गुजरने वाली परिसंपत्तियों में मूल्य सृजन की दृष्टि से जरूरी निर्णय लेने की प्रक्रिया को निजी क्षेत्र के ढांचे के जरिए सक्षम बनाया जाएगा।

दूसरा कदम, आवश्यक विधायी परिवर्तन के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी को सक्षम बनाने के उद्देश्य से उनका प्रस्तावित निजीकरण है। और आखिरी कदम, आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक करना है। कुल मिलाकर, इस दशक के पहले बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप प्रदान किया है, जो न केवल कोविड-पूर्व काल के विकास पथ पर वापस लौटेगा, बल्कि इस दशक में विकास को गति प्रदान करेगा। वित्तमंत्री ने  अपने वादे के मुताबिक एक ऐतिहासिक और यादगार बजट दिया है!-डा. के.वी. सुब्रमण्यन मुख्य आर्थिक सलाहकार

Advertising