‘बजट कागजों का एक बेकार ढेर है’

punjabkesari.in Sunday, Feb 21, 2021 - 03:05 AM (IST)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पर 12 फरवरी को राज्यसभा में और 13 फरवरी को लोकसभा में जुझारू भाषण दिया। लोकसभा में आपत्तिजनक हुए बिना उन्होंने एक दर्जन बार पिछले दिन को लेकर मेरे हस्तक्षेप का हवाला दिया। मैं इन संदर्भों को संसदीय बहस के हिस्से के रूप में लेता हूं। हालांकि मैं संख्याओं के साथ स्वतंत्रता लेने के लिए अपवाद लेता हूं। बजट सभी संख्याओं के बारे में है और प्रत्येक संख्या को उचित ठहराया जाना चाहिए। यदि केवल 3 नंबर गलत हैं तो बजट जोकि एक राजस्व और व्यय का वार्षिक विवरण है, कागजों का एक बेकार ढेर है। तीन नंबर जो हैं उनमें कुल प्राप्तियां, कुल व्यय तथा उधार (राजकोषीय घाटा) के अनुमान हैं। 

तीन प्रमुख नंबर
2020-21 के लिए जब बजट को 1 फरवरी को पेश किया गया था तो मैंने 3 प्रमुख नंबरों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था। मैंने कहा था कि तीन नंबर संदिग्ध थे जिसका अर्थ है कि उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध थी।  मैंने अपनी आलोचना इस तथ्य पर की थी कि जी.डी.पी. की वृद्धि लगातार 7 तिमाहियों (2018-19 की 4 तिमाहियां और 2019-20 की तीन तिमाहियां) तक धीमी हो गई थी और 2019-20 की चौथी तिमाही में आगे बढऩे के लिए तैयार थी। इसलिए मैंने तर्क दिया था कि 2020-21 के लिए अनुमान आशावादी और महत्वाकांक्षी थे। निर्मला ने गुस्से में मेरी आलोचना का खंडन किया था। 

एक माह बाद महामारी ने भारत पर धावा बोलना शुरू कर दिया और 2020-21 एक अशुभ वर्ष शुरू हुआ। धीमी गति मंदी में बदल गई। वित्त मंत्री द्वारा सभी संख्याएं ऊपर को चली गईं। यहां तक कि महामारी के बिना वह निराशाजनक रूप से गलत साबित हुई थीं। बस देखें कि हमने कहां शुरू किया (बजट अनुमान) तथा 31 मार्च 2021 तक (संशोधित अनुमान) कहां समाप्त करेंगे। 

कुल प्राप्तियां             बजट अनुमान                 संशोधित अनुमान
कम उधार लेना            22,45,893                    16,01,650
जिसमें कर राजस्व       16,35,909                    13,44,501
(केंद्र के लिए कुल)        
जिसमें से विनिवेश       2,10,000                      32,000
कुल खर्च                    30,42,230                    34,50,305
जिसमें से पूंजी खर्च       4,12,085                    4,39,163
उधार (वित्तीय घाटा)     7,96,337                   18,48,655
जिसमें से राजस्व घाटा   6,09,219                   14,55,989
(सभी आंकड़े करोड़ों में)

2021-22 के लिए बजट अनुमान की यही कहानी निरंतर जारी है जो सवालों को बढ़ाती है। मैंने कुछ सवालों को संसद में पूछा और मुझे कोई जवाब न मिला जिसको मैं यहां पर प्रस्तुत कर रहा हूं।

1. 2021-22 में कर राजस्व (केंद्र से कुल) कर के आशावाद के आधार क्या हैं? जब पिछले वर्ष की तुलना में 2020-21 में यह एक प्रतिशत घट गया। यहां तक कि यह मानते हुए कि मंदी 2021-22 की पहली तिमाही में समाप्त हो जाएगी, क्या जी.डी.पी. 14.9 प्रतिशत कर राजस्व की वृद्धि करने के लिए पर्याप्त रूप से बढ़ेगी? 
2. जब विनिवेश से प्राप्तियां पिछले वर्ष में 1,78,000 करोड़ रुपए कम हो गईं तो 2021-22 में 1,75,000 करोड़ रुपए के अनुमान का आधार क्या है? 
3. क्या यह सही है कि 2020-21 में कुल खर्च के राजस्व व्यय में ऋण के लिए एफ.सी.आई. को  2,65,095 करोड़ रुपए का पुन: भुगतान शामिल है जो एफ.सी.आई. ने सरकार के तौर पर लिया था? यदि हां तो इसेे सरकारी खर्च के तौर पर कैसे गिना जा सकता है जो अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा। 

4. इसी तरह 2021-22 में कुल खर्च के बजट अनुमान में एफ.सी.आई. को पर्याप्त राशि का पुन: भुगतान शामिल है?
5. रक्षा के तहत 3,266  करोड़ रुपए की तुच्छ वृद्धि प्रदान की है तथा स्वास्थ्य के तहत 7,843 करोड़ रुपए की कमी (बजट एक नजर में के पन्ने 10 पर) का वित्त मंत्री ने 2021-22 के कुल व्यय का अनुमान नहीं लगाया। क्या रक्षा तथा स्वास्थ्य को अधिक धनराशि की आवश्यकता नहीं होगी?
6. क्या शिक्षा और ऊर्जा जैसे विभिन्न विभागों और मनरेगा और पोषण जैसी योजनाओं के लिए बजट के तहत प्रावधान नहीं किया गया है?
7. यदि कुल राजस्व को अधिक अनुमानित किया गया है और कुल व्यय को सकल अनुमानित रूप से कम कर दिया गया है तो क्या 2021-22 में उधार का अनुमान (15,06,812 करोड़) भ्रामक और जोखिम भरा नहीं है? 

8. क्या वित्त मंत्री आर.बी.आई. और अन्य विशेषज्ञों के अनुमानों के बिल्कुल विपरीत है कि 2021-22 में औसत मुद्रास्फीति केवल 3.0 प्रतिशत होगी? यदि हां तो उस धारणा का आधार क्या है? 
9. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक आकर्षक रास्ता क्यों बनाया है जिससे 2025-26 में राजकोषीय घाटा (एफ.डी.) 4.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। क्या सरकार ने राजकोषीय घाटे को घटा कर 3 प्रतिशत या उससे कम करने का लक्ष्य छोड़ दिया है? क्या इसका मतलब यह नहीं है कि एफ.आर.बी.एम. एक्ट को केवल निलंबित नहीं किया गया है बल्कि इसे गहराइयों तक दफना दिया गया। 
10. 2021-22 में अनुमानित जी.डी.पी. (स्थिर कीमतों में) के मद्देनजर क्या सरकार ने 2024-25 तक 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करना छोड़ दिया है? 

अयोग्य प्रशासन 
2013-14 के बाद जब यू.पी.ए. ने अपना शासन छोड़ा तब इसने 105 लाख करोड़ (स्थिर कीमतों पर) रुपए की जी.डी.पी. अपने पीछे छोड़ी जो 2003-04 से 3 गुना ज्यादा थी। उसके बाद जी.डी.पी. 2017-18 में 131 लाख करोड़ तक रेंगती नजर आई और 2018-19 में 139 लाख करोड़ तथा 2019-20 में 145 लाख करोड़ नजर आई। ऐसा अनुमान  है कि 2020-21 में यह 130 लाख करोड़ तक गिर जाएगी जो 2017-18 के बराबर होगी अत: अयोग्य प्रबंधन के कारण अर्थव्यवस्था उसी स्तर पर है जो 3 वर्ष पूर्व थी। 

बजट के आंकड़े वास्तव में अनुमान हैं और अनुमान परिकल्पनाओं के बावजूद गलत साबित हो सकते हैं। फिर भी मुझे यह बात उठानी होगी कि आंकड़ों को ठगने के लिए एक गलत सलाह दी गई और ‘वृद्धि के लिए बजट’ जो प्रस्तुत किया, वह माफी योग्य नहीं है। ये  लोग हैं जो इसका भारी मूल्य चुकाएंगे।-पी. चिदम्बरम 


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