‘बेहतर भारत के निर्माण के लिए बजट’
punjabkesari.in Friday, Feb 05, 2021 - 04:56 AM (IST)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत नए दशक का पहला बजट राष्ट्र के लिए कोविड के बाद आगे बढऩे का विजन दस्तावेज है। बजट के तहत जिन छह स्तंभों की परिकल्पना की गई है, वे ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ (रिफार्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म) के मंत्र के जरिए विकास यात्रा को आगे बढ़ाने के स्पष्ट संकेत हैं। इस व्यावहारिक बजट में, महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को तेजी से पुनर्जीवित करने और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में आगे बढऩे के लिए महत्वाकांक्षी सुधार को व्यक्त किया गया है।
पूरी दुनिया कोविड के बाद के युग में प्रवेश कर रही है। भारत ‘साझा करना, देखभाल करने जैसा है’ (शेयरिंग इज केयरिंग) के दर्शन में विश्वास करने वाला देश है और महामारी से डटकर मुकाबला कर रहा है। वैक्सीन निर्माण में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की उनकी अदम्य दृढ़ता के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए। स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है और इसके लिए 2.2 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय का प्रस्ताव किया गया है। बजट में प्रस्तावित उपाय भारत की ‘विश्व के कारखाने’ और ‘दुनिया की ‘फार्मेसी’ की भूमिका के लिए उपयुक्त हैं।’
सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए किए गए उपायों के आशावादी परिणाम दिखाई दे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) के आकलन के अनुसार वित्त वर्ष 22 में दोहरे अंकों की अनुमानित वृद्धि होगी, विकास दर 11.5 प्रतिशत तक रह सकती है और अर्थव्यवस्था की मजबूत वापसी होगी। आॢथक समीक्षा में भी इसी तरह के तेज विकास का अनुमान लगाया गया है, जिसे कोविड संकट के बाद आॢथक गतिविधियों के सामान्य होने और सक्रिय सुधार उपायों के कार्यान्वयन से बल मिलता है।
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अब तक का सबसे अधिक आबंटन किया गया है। सड़क और राजमार्ग निर्माण मैट्रो गैस वितरण नैटवर्क, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण के लिए प्रावधान ‘2030 तक भविष्य की रेल प्रणाली का निर्माण’ जल आपूर्ति और स्वच्छता कार्यों तथा सार्वजनिक परिवहन के लिए अधिक आबंटन आदि ऐसे उपाय हैं, जो राष्ट्र के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बेहतर बनाएंगे। बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधि से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उच्च शिक्षा आयोग के गठन और राष्ट्रीय प्रशिक्षण (अप्रैंटिसशिप) योजना में किए गए बदलाव से कौशल विकास क्षेत्र पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
लगभग 1.97 लाख करोड़ के आबंटन के साथ 13 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से वैश्विक विनिर्माण में देश को अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नई गति मिलेगी। बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं, यानी पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये सभी उपाय अधिक रोजगार, उत्पादन के विस्तार, अतिरिक्त निवेश और नौकरी के अवसरों में वृद्धि आदि में सहायता प्रदान करेंगे। संशोधित सीमा शुल्क ढांचा घरेलू उद्योग की रक्षा करेगा, उत्पादन में स्थानीयकरण को बढ़ावा देगा, स्थानीय उत्पादकों को मजबूती देगा और अंतत: देश में विनिर्माण संबंधी संभावनाओं को बेहतर करेगा। इससे आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिहाज से वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी और निर्यात बेहतर होगा। पिछले 44 श्रम कानूनों को महज चार श्रम संहिताओं में समाहित करना, श्रम सुधार के नए युग की शुरूआत का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
प्रस्तावित एकल प्रतिभूति बाजार कोड के लिए संबंधित कानूनों को सुदृढ़ करना, डी.आई.सी.जी.सी. अधिनियम 1961 में संशोधन करके जमाकत्र्ताओं को अपनी जमा रकम तक आसान एवं समयबद्ध पहुंच सुनिश्चित करना, बीमा अधिनियम 1938 में संशोधन करके एफ.डी.आई.सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करना और सुरक्षा के साथ विदेशी स्वामित्व एवं नियंत्रण को अनुमति देना वित्तीय क्षेत्र के प्रमुख सुधार हैं। किसान समुदाय के कल्याण के लिए कई सुधार उपाय किए गए हैं जिनमें किसान क्रैडिट कार्ड के दायरे में विस्तार, पी.एम. फसल बीमा योजना, पी.एम.-किसान से लेकर हाल ही में अधिसूचित कृषि कानून 2020 शामिल हैं। पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन के लिए ऋण प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करते हुए बजट में कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है।
स्वामित्व योजना के दायरे को सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ाना, ए.पी.एम.सी. को मजबूत करना और ई-एन.ए.एम. के दायरे में कई अन्य मंडियों को लाना, सूक्ष्म सिंचाई निधि को दोगुना करते हुए 10,000 करोड़ तक बढ़ाना, ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निधि को बढ़ाना और बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के लिए जल्द खराब होने वाले 22 उत्पादों के लिए ऑपरेशन ग्रीन योजना का विस्तार आदि किसानों को सशक्त बनाने के लिए बजट की अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं। कमजोर वर्ग को सशक्त बनाने के स्टैंड अप इंडिया के लिए आवश्यक माॢजन रकम को 15 प्रतिशत तक घटा दिया गया है और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित ऋण को भी उसमें शामिल किया गया है। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति में सुधार किया गया है और 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना के लिए बजट में वृद्धि की गई है। इन उपायों से समाज के दलित वर्ग के उत्थान में मदद मिलेगी।
यह बजट पूरी तरह आर्थिक विकास को पटरी पर लाने और भारत को वैश्विक स्तर पर ज्ञान एवं आर्थिक महाशक्ति के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने ईमानदारी से प्रत्येक हितधारक के सुझाव पर विचार किया है और एक मजबूत बहुमुखी तथा विकास एवं कल्याण पर केंद्रित बजट पेश किया है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से इस दशक के अंत तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में हमारे प्रयासों को गति मिलेगी। सरकार सर्वप्रथम देश के दृष्टिकोण के साथ बड़े पैमाने पर व्यक्तियों, समुदायों और समाजों को सशक्त बनाकर ‘सबका साथ, सबका विश्वास एवं सबका विकास’ के जरिए बेहतर भारत के निर्माण के लिए अप्रत्याशित रूप से प्रतिबद्ध है।-अर्जुन राम मेघवाल(भारी उद्योग एवं संसदीय कार्य मंत्री)