ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने विश्वास मत जीता, लेकिन प्रतिष्ठा घटी

punjabkesari.in Wednesday, Jun 08, 2022 - 05:44 AM (IST)

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने विरुद्ध अपनी ही टोरी पार्टी द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव तो जीत लिया है, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा आहत हुई है। उन्हें पद से हटाने के लिए पार्टी सांसदों के एक प्रभावशाली ग्रुप ने उनके नेतृत्व की गर्दन पर  जो तलवार पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से लटका रखी थी, वह अभी तो हट गई  है, लेकिन उनके विरोधियों ने कहा है कि वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे क्योंकि ‘जनता के दिलों में बोरिस अपनी प्रतिष्ठा गंवा चुके हैं’। 

अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार 6 जून को संसद भवन के विशाल  सभा भवन में वोट पड़े, जिसमें टोरी पार्टी के सभी 359 सदस्यों ने भाग लिया। बोरिस जॉनसन के पक्ष में 211 और विरोध में 148 वोट पड़े। यह प्रस्ताव उन्हें टोरी पार्टी के संसदीय नेता की पदवी से हटाने के लिए पेश किया गया था। प्रचलित प्रथा के अनुसार ब्रिटेन की सत्ताधारी पार्टी का संसदीय नेता ही देश का प्रधानमंत्री होता है। इस तरह इस वक्त देश की सत्ताधारी टोरी पार्टी के संसदीय मुखिया चूंकि बोरिस जॉनसन हैं, इस पद पर बने रहने का प्रस्ताव मत यदि वह हार जाते तो उन्हें प्रधानमंत्री पद भी छोडऩा पड़ता। 

अभी कुछ समय के लिए तो वह सुख का सांस ले सकते हैं, लेकिन उन्हें पद से हटाने के लिए स्वयं उनकी अपनी ही पार्टी के एक बड़ेे ग्रुप के साथ-साथ विरोधी दलों, लेबर और लिबरल पार्टी ने जिस मुद्दे को लेकर पिछले लगभग 18 माह से जो जोरदार अभियान चला रखा था, उसे उन्होंने एक नैतिक रूप दे दिया है, जिससे साधारण दिलों में वे यह प्रभाव बिठाने में काफी हद तक सफल हो गए हैं कि संक्रामक कोविड-19 के दिनों में जनसाधारण के आपस में मिलने की सख्त पाबंदियों का कानून और नियम बनाने वाले नेता और अधिकारी ही जब उन पाबंदियों का उल्लंघन करें, तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं। 

बोरिस जॉनसन कोविड-19 के दौरान आपस में मिलने पर लगाई गई पाबंदियों का उल्लघन करते पकड़े गए थे। पहले तो वह इससे इंकार करते रहे, लेकिन जब उनके विरुद्ध पुख्ता सबूत पेश किए गए तो भी वह इन आरोपों को झुठलाते रहे। प्रधानमंत्री  निवास 10 डाऊनिंग स्ट्रीट पर पार्टियां और जश्न होते रहे, लेकिन बोरिस जॉनसन का इंकारी रवैया जारी रहा। सच क्या और झूठ क्या, यह पता लगाने के लिए उच्च-स्तरीय जांच कमीशन बिठाए गए, जिन्होंने बोरिस जॉनसन को दोषी ठहराया। कानून का उल्लंघन करने पर उन्हें जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया। 

सच छुपाने की बहुतेरी कोशिश की गई, लेकिन यह एक नैतिक मुद्दा बन चुका था। जो लोग 10 डाऊनिंग स्ट्रीट पर आयोजित पार्टियों में शामिल हुए थे, उन्होंने ही सच बताना शुरू किया और वे फोटो पेश किए, जिनमें बोरिस जॉनसन इन पार्टियों में शराब के जाम थामे हुए थे। ब्रिटिश समाज में मदिरापान कोई अपवाद नहीं, लेकिन झूठ को सार्वजनिक गले से जबरदस्ती नीचे उतारने की कोशिश इस देश की जनता ने कभी सहन नहीं की। नैतिक दबाव बढ़ने लगा। आखिर बोरिस ने गलती स्वीकार की। फिर भी पीछा नहीं छूटा। 

सार्वजानिक क्षमा याचना की, जनता के सम्मुख और संसद में भी, परन्तु उनके विरुद्ध क्षोभ इतना बढ़ चुका था कि उन्हीं की अपनी टोरी पार्टी के सांसदों ने उन्हें पार्टी के संसदीय नेता के पद से हटाने के लिए अविश्वास मत पेश किया। यह इस देश की शक्तिवान लोकतांत्रिक परम्पराओं का एक सराहनीय फरमान है, कि चाहे कोई कितने ही ऊंचे पद पर क्यों न हो, उसके अनैतिक आचरण को सहन नहीं किया जाता। ब्रिटेन के इतिहास में बोरिस जॉनसन पहले प्रधामंत्री हैं, जिन्हें कानून तोडऩे पर जुर्माना चुकाना पड़ा है। 

अविश्वास प्रस्ताव के परिणाम पर बोरिस जॉनसन ने संतोष प्रकट किया है। वह प्रधानमंत्री बने रहेंगे और टोरी पार्टी के नियमों के अनुसार अगले 12 महीने तक उनके खिलाफ कोई नया अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकेगा। यह संकट अभी तो टल गया, लेकिन आलोचकों ने बोरिस के खिलाफ अपना अभियान जारी रखने की घोषणा और उनके त्यागपत्र की मांग की है।-कृष्ण भाटिया


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