बोइंग की कार्यक्षमता पर उठते सवाल!
punjabkesari.in Monday, Jun 16, 2025 - 05:24 AM (IST)

अहमदाबाद में हुई भयानक विमान दुर्घटना के बाद भारत सरकार ने इस दुर्घटना की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की है और विमान निर्माण कंपनी बोइंग ने भी सहयोग की पेशकश की है। अन्य विदेशी जांच एजैंसियां भी इस जांच में जुट गई हैं। हवाई जहाज के निर्माण में बोइंग एक रसूखदार कंपनी है। बावजूद इसके बोइंग की कार्यक्षमता पर सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक फिल्म वायरल हो रही है कि बोइंग कंपनी के ही एक इंजीनियर जॉन बार्नेट, जिसने बोइंग की अंदरुनी क्षमताओं पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए थे, उसे 2024 में रहस्यमय परिस्थितियों में बोइंग कंपनी की ही कार पार्किंग में मृत पाया गया।
जब किसी विमान दुर्घटना में पायलट भी मारे जाते हैं तो एक आम चलन है कि पावरफुल लॉबी सांठ-गांठ करके जांच का रुख इस तरह मोड़ देती है कि दुर्घटना के लिए पायलट को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। क्योंकि वो अपना पक्ष रखने के लिए अब जीवित नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि सभी जांच एजैंसियां इस दुर्घटना की पूरी ईमानदारी से जांच करें। 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुई भयानक विमान दुर्घटना में जीवित बचे विश्वास कुमार रमेश ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। एयर इंडिया की फ्लाइट ए.आई.-171 के इस दुखद हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 241 की मौत हो गई और केवल एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश जीवित बचा। यह घटना विमान दुर्घटनाओं में एकमात्र बचे लोगों की उन असाधारण कहानियों में से एक है,जो न केवल चमत्कार को दर्शाती हैं बल्कि मानव की जीवटता और भाग्य की अनिश्चितता को भी उजागर करती हैं।
विश्वास कुमार रमेश, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक हैं जो भारतीय मूल के हैं। उस दिन सीट नंबर 11 ए पर बैठे थे जो एक आपातकालीन निकास द्वार के पास थी। हादसे के तुरंत बाद विश्वास ने भारतीय मीडिया को बताया कि ‘‘मैं यह नहीं समझ पा रहा कि मैं कैसे बच गया। सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ। मैंने सोचा कि मैं भी मर जाऊंगा लेकिन जब मैंने आंखें खोलीं, तो मैंने खुद को जिंदा पाया।’’ उन्होंने बताया कि उनकी सीट के पास का हिस्सा जमीन पर गिरा और आपातकालीन निकास द्वार टूट गया था जिसके कारण वे बाहर निकल पाए। विमान का दूसरा हिस्सा इमारत की दीवार से टकराया था, जिसके कारण वहां से निकलना असंभव था।
विमान दुर्घटनाओं में एकमात्र बचे लोगों की कहानियां बेहद दुर्लभ हैं,लेकिन ये मानव की जीवटता और कभी-कभी भाग्य के खेल को दर्शाती हैं। इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं दर्ज हैं, जिनमें एकमात्र व्यक्ति ही जीवित बचा। जूलियन कोएपके 17 साल की एक जर्मन लड़की थी जो 1971 में पेरू के अमेजऩ जंगल में हुई लांसा फ्लाइट 508 की दुर्घटना में एकमात्र जीवित बची थी। विमान 10,000 फीट की ऊंचाई से गिरा और जूलियन अपनी सीट से बंधी हुई जंगल में जा गिरी।
गंभीर चोटों के बावजूद वह 11 दिनों तक जंगल में भटकती रही और अंतत: मदद मिलने पर बच गई। उसकी कहानी साहस और जीवित रहने की इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गई। वेस्ना वुलोविच, एक सर्बियाई फ्लाइट अटैंडैंट थी जो 1972 में जे.ए.टी. फ्लाइट 367 के मध्य हवा में हुए विस्फोट के बाद एकमात्र जिंदा बची थी। वह 33,000 फीट की ऊंचाई से गिरने के बावजूद जीवित रही जो गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। वेस्ना को गंभीर चोटें आई थीं लेकिन वह ठीक हो गई और बाद में अपनी कहानी सांझा की।
विमान दुर्घटनाओं के अलावा, अन्य दुखद हादसों में भी एकमात्र बचे लोगों की कहानियां सामने आई हैं। 1912 में टाइटैनिक के डूबने में कई लोगों की जान गई। लेकिन कुछ लोग, जैसे कि मिल्विना डीन, जो उस समय केवल दो महीने की थी, जीवित बची। वह उन अंतिम लोगों में से थी जो इस त्रासदी से बची थीं। 2004, हिंद महासागर सुनामी की प्राकृतिक आपदा में लाखों लोग मारे गए, लेकिन कुछ लोग जैसे कि एक इंडोनेशियाई व्यक्ति जिसे लहरों ने समुद्र में बहा दिया था, चमत्कारिक रूप से जीवित बच गए।
विश्वास कुमार रमेश का जीवित रहना कई कारकों का परिणाम हो सकता है। प्रोफैसर जॉन हंसमैन, एम. आई. टी. के वैमानिकी विशेषज्ञ, के अनुसार विमान दुर्घटना में जीवित रहने की संभावना सीट की स्थिति, दुर्घटना का प्रकार और त्वरित निर्णय लेने पर निर्भर करती है। विश्वास की सीट आपातकालीन निकास के पास थी जो कि बिना किसी बड़े नुकसान के जमीन पर जा गिरी और उन्हें बाहर निकलने का मौका मिला। इसके अलावा, उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और भाग्य ने भी उनकी जान बचाई। विश्वास कुमार रमेश की कहानी, अन्य एकमात्र बचे लोगों की तरह, हमें जीवन की नाजुकता और चमत्कारों की संभावना की याद दिलाती है। ये कहानियां न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि विमानन सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती हैं।-विनीत नारायण