भाजपा का चौंकाने वाला मध्य प्रदेश मॉडल

punjabkesari.in Saturday, Sep 30, 2023 - 05:30 AM (IST)

क्या देश के अगले आम चुनाव के लिए दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में नया प्रयोग करने जा रही है? क्या यही प्रयोग राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी होगा? मध्य प्रदेश विधानसभा उम्मीदवारों की हालिया सूचियों में बड़े-बड़े नाम यहां तक कि केंद्रीय मंत्री, सांसद और संगठन के छत्रपों के जारी हुए हैं। इससे न केवल दूसरे प्रतिद्वंद्वी दलों की सांसें अटकी हुई हैं बल्कि खुद भाजपा के संभावित दावेदार भी हक्का-बक्का हैं। निश्चित रूप से भाजपा जो दांव खेल रही है वह भारत की राजनीति में कइयों को अटपटा या नया भले लगे लेकिन हवा का रुख भांपने वालों का मानना है कि राजनीतिक बैरोमीटर पर संभावित आंधी-तूफान के संकेत भांपते हुए ही ऐसा बड़ा कदम उठाया होगा? 

फिलहाल टिकट वितरण को लेकर मध्यप्रदेश मॉडल की पूरे देश में चर्चा है। इसके राजनीतिक मायने भी बहुत गहरे हैं। भाजपा यहां कांग्रेस की 15 महीने पुरानी सरकार गिराकर फिर सत्ता में आई थी। अब भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते सहित प्रभावशाली सांसद राकेश सिंह (जबलपुर), गणेश सिंह (सतना), उदय प्रताप सिंह (होशंगाबाद), रीति पाठक (सीधी) को सीधी विधानसभा चुनाव के रण में उतारना बताता है कि प्रदेश के किसी भी क्षेत्र को अछूता नहीं रख जहां-तहां ऐसे प्रत्याशी उतारेगी जो पूरे क्षेत्र में तो प्रभावी हों और कम से कम उस पूरे अंचल या संभाग में भी असर डालें। 

भाजपा ने शुरूआती सूची में मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल, महाकौशल-विन्ध्य, भोपाल-नर्मदापुरम पर जबरदस्त फोकस किया है। अब कयास है कि अगली सूची में शेष निमाड़, बुंदेलखण्ड, उत्तर पश्चिम मालवा, नर्मदा उद्गम संभाग (शहडोल) सहित बाकी सीटों पर कई चौंकाने वाले प्रत्याशी देगी। अभी 320 सीटों में केवल 79 सीटों की घोषणा ने ही राजनीति में नई लहर पैदा कर दी है। इसमें भाजपा ने केवल वर्तमान 3 विधायकों की टिकट काटी है। सबसे चर्चित नाम मैहर से नारायण त्रिपाठी का है जिन्होंने हमेशा अपना बगावती सुर दिखाया। उनकी जगह श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दिया जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। वहीं सीधी से केदारनाथ शुक्ला की जगह सीधी सांसद रीति पाठक को टिकट देना अचंभित करने वाला है। 

सीधी के चर्चित पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला को केदारनाथ शुक्ला का करीबी बताकर विपक्ष ने देश-प्रदेश में काफी हंगामा किया था। लगता है कि यह कहीं न कहीं डैमेज कंट्रोल है। इसी तरह नरसिंहपुर विधायक जालिम सिंह की टिकट उनके छोटे भाई केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (दमोह सांसद)को देकर भोपाल-नर्मदापुरम अंचल की सभी सीटों को साधने की कोशिश हुई है। अभी महज 79 घोषित प्रत्याशियों के जरिए भाजपा ने मध्यप्रदेश में अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। आगे 241 सीटों पर प्रत्याशी तय होने बाकी हैं जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र की सीमा से जुड़े तमाम क्षेत्र भी हैं। 

क्षेत्रीयता के हिसाब से महाकौशल में सबसे ज्यादा 38 में से 22 सीटों पर, मालवा-निमाड़ में 66 में से 21, ग्वालियर-चंबल की 34 में से 15,भोपाल-नर्मदापुरम की 36 में से 7, विंध्य की 30 में 7 तो बुंदेलखंड की 26 में से 7 सीटों पर प्रत्याशियों का चयन हो चुका है। निश्चित रूप से चंद दिनों में मध्यप्रदेश सहित सभी 5 राज्यों में चुनावी अखाड़ा सजते ही एक से एक और ऐसी राजनीतिक तस्वीरें आएंगी जिनमें कई पहली बार दिखेंगी तो कई उम्मीदों से इतर भी होंगी। बावजूद इसके मध्यप्रदेश में मुकाबला भाजपा बनाम जनता दिख रहा है। कांग्रेस कमलनाथ के उदारवादी हिन्दू चेहरे पर दंगल में उतरने के बावजूद संगठन के लिहाज से भाजपा से 19 क्या 15 भी नहीं है। यहां विज्ञप्तिवीरों को छोड़ दें तो कांग्रेस धरातल पर सिवाय कुछ इलाकों के वर्षों से कहीं दिखी नहीं। 

राजस्थान में भी चुनावी सरगर्मी चरम पर है। गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ हुई महज15 मिनट की बैठक चर्चाओं में है। यहां भाजपा की 200 सीटों पर निकली 4 परिवर्तन यात्राओं में जुटी भीड़, उसमें भी ज्यादातर में वसुंधरा का गायब रहना और इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की ताजा तस्वीरें सामने आने के गहरे मायने हैं। यहां प्रैशर पॉलिटिक्स की पक रही नई खिचड़ी कौन खाएगा यही बड़ा सवाल है? संकेतों को समझें तो मध्यप्रदेश मॉडल के तहत केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा कुछ अन्य सांसद मैदान में दिखेंगे। छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों में से 80 की सूची तैयार है। भाजपा ने 21 प्रत्याशियों की पहली सूची अगस्त में ही जारी कर दी थी। अब 3 अक्तूबर को प्रधानमंत्री के बस्तर आने से पहले दूसरी सूची जारी हो जाएगी? मध्यप्रदेश मॉडल यहां भी चर्चाओं में है। 

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह 17 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं तो छत्तीसगढ़ में रमन सिंह 15 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे। दोनों के नाम पहली सूची में नहीं हैं। वहीं राजस्थान में 5 बार सांसद, 4 बार विधायक और 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे अलग ही चर्चाओं में हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठनात्मक रूप से राजस्थान मध्यप्रदेश के मुकाबले मजबूत है। राजस्थान की नई राजनीतिक खिचड़ी कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए चुनौती से कम नहीं है। मिजोरम और तेलंगाना का मिजाज तीनों राज्यों से अलग है। इसीलिए निश्चित रूप से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों के चुनाव आम चुनावों की दिशा तय करने वाले साबित होंगे।-ऋतुपर्ण दवे
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए