भाजपा पहुंची विदेशों में रह रहे भारतीयों तक

Saturday, Jun 25, 2022 - 06:42 AM (IST)

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। अनेकों चुनौतियों का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र जीवंत और समावेशी बना हुआ है। 

भाजपा भारत के लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रतिनिधियों में से एक है। कई दशकों से पार्टी ने विदेशी और घरेलू घटकों के साथ अपनी पहुंच निरंतर बनाई है। हाल ही में तकनीक एक गुणक के रूप में उभरी है। दुनिया लम्बे समय से भारत में लोकतांत्रिक विकास को देख रही है। विदेशी टीकाकारों ने भारत में लोकतंत्र की आवाज की अलग-अलग तरह से व्याख्या की है। हालांकि कुछ लोग कुछ कमियों सहित कई कारणों से भारतीय लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं से वास्तव में अंजान रहे हैं। 

पूर्वाग्रह और पूर्वकल्पित धारणाएं प्रमुख चुनौतियां हैं जिन्हें भाजपा ने विविध लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। विदेशी राजनयिकों को पार्टी के कामकाज के बारे में जानकारी देने के लिए भाजपा ने एक पहल की है। विदेशी कूटनीतिज्ञों के संग भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तथा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने तीन बार बातचीत की। इस बातचीत में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजूद रहे। 

तीसरी बैठक में नड्डा ने रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्की और लाओस सहित 6 देशों के दूतों को भाजपा की नीतियों तथा कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। ‘भाजपा को जानो’ अभ्यास का दूसरा भाग रायसीना डायलॉग पर हुआ जिसमें 16 देशों के विदेश मंत्रियों, कूटनीतिज्ञों, विदेशी मामलों के टीकाकारों तथा अन्य हितधारकों ने भाग लिया, जिनमें अमरीका, आस्ट्रेलिया और इसराईल के लोग शामिल थे। दोनों घटनाएं एक-दूसरे से स्वतंत्र थीं लेकिन राष्ट्रीय हित को आगे बढ़ाने में एक-दूसरे की पूरक थीं। 

प्रत्यक्ष संचार का नवीनतम चरण मध्य एशियाई देशों के राजनयिक समुदाय के साथ आयोजित किया गया था जिनके साथ भारत के सदियों पुराने रिश्ते सम्राट अशोक के समय से चले आ रहे हैं। अशोक के स्तंभ इन देशों में स्थापित किए गए थे। रायसीना डायलॉग के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी बात में भारत का वैश्विक दृष्टिकोण दोहराया। इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी गौर किया गया। दुनिया को दक्षिण एशियाई उप महाद्वीप में की गई गलतियों पर ध्यान दिलाने के लिए भारत ने विस्तारवादी चीन के बारे में बताया।  चीन दशकों से भारत के पूर्वी मोर्चे पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समस्याएं पैदा कर रहा है, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात करता है। 

अबाधित संवाद पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा। जसवंत सिंह-स्ट्रोब टैलबोट संवाद जोकि कई वर्षों तक चला, ने अमरीका के लिए एशिया में भारतीय धुरी की नींव रखी तथा इसके तहत भारत ने अपनी वैश्विक पहुंच को बढ़ाया। विशेष रूप से भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवानी ने भाजपा के विदेशी मित्रों के साथ भारत की पहुंच बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पिछले एक दशक में भाजपा ने मीडिया प्लेटफार्म की पूरी क्षमता का दोहन करके विदेशी पहुंच के लिए प्रोद्यौगिकी की तैनाती की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रीय हित के लिए सही आवाज मिली। मोदी ने एक ऐसे भारत का निर्माण करके इसे दुनिया के हरेक कोने से जोड़ा है। उन्होंने एक भरोसेमंद दोस्त होने के नाते अच्छे संबंध बनाने के लिए अपने पूरे संसाधन लगा दिए। 

कई लोगों के लिए भाजपा एक अपेक्षाकृत नई राजनीतिक पार्टी है क्योंकि उन्हें दशकों से कांग्रेस को सत्ता में देखने की आदत पड़ी हुई है। 2014 में नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में पूर्ण बहुमत मिला। 2019 के आम चुनावों में फिर ऐसा ही हुआ। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और मुसलमानों के बीच 3 तलाक की पुरातन प्रथा को त्यागने जैसी बातों ने दुनिया में कई लोगों का ध्यान खींचा। कठोर सुधारों को अंजाम देने की ऐसी राजनीतिक इच्छाशक्ति दुनिया के अनेकों नेताओं में मिलना मुश्किल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में विदेशी टिप्पणीकारों की उत्सुकता बढ़ी है। 

कोविड-19 के प्रकोप ने कई देशों के राष्ट्रीय नेताओं के चरित्र की परीक्षा ली। एक अरब से अधिक आबादी वाले भारत के कई लोगों ने घातक महामारी को देखा। भारत ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लाखों लोगों की रक्षा की। पड़ोसी देश भी पूरी तरह से भारत पर निर्भर रहे। संवाद और प्रसार भाजपा और उसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक  संघ (आर.एस.एस.) के डी.एन.ए. में है। आर.एस.एस. के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कुछ साल पहले विज्ञान भवन में विदेशी मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ व्यापक बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए। उन्होंने संगठन के वैश्विक दृष्टिकोण और कामकाज के बारे में समझाया।(लेखक भाजपा के प्रमुख थिंक टैंक पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सैंटर के निदेशक हैं)-सुमीत भसीन

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