भाजपा को 2022-23 में कुल कॉर्पोरेट राजनीतिक चंदे का 90 प्रतिशत मिला

Saturday, Feb 17, 2024 - 04:24 AM (IST)

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वित्तीय वर्ष 2022-23 में सारे कॉर्पोरेट चंदे का लगभग 90 प्रतिशत प्राप्त हुआ, एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ए.डी.आर.) की एक रिपोर्ट में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले खुलासा हुआ है। इलैक्शन वॉचडॉग की रिपोर्ट के अनुसार, जहां अन्य राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने लगभग 70 करोड़ रुपए का संयुक्त कॉर्पोरेट चंदा प्राप्त किया, वहीं भाजपा को इस क्षेत्र से 610.491 करोड़ रुपए मिले।

ए.डी.आर. की रिपोर्ट में 2022-23 के लिए राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा घोषित कुल 850.438 करोड़ रुपए के चंदे पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें से 719.858 करोड़ रुपए अकेले भाजपा को मिले।रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा द्वारा घोषित कुल चंदा इसी अवधि के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी या सी.पी.आई. (एम) और नैशनल पीपुल्स पार्टी (एन.पी.पी.) द्वारा घोषित कुल दान से 5 गुना अधिक है। पार्टियों द्वारा भारत के चुनाव आयोग (ई.सी.) को प्रस्तुत विवरण के अनुसार, ए.डी.आर. रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त 20,000 रुपए से अधिक के चंदे पर आधारित है।

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने 79.92 करोड़ रुपए, ‘आप’ ने 37 करोड़ रुपए, एन.पी.पी. ने 7.4 करोड़ रुपए, सी.पी.आई. (एम) ने 6 करोड़ रुपए, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस अवधि के दौरान 20,000 रुपए से अधिक का कोई चंदा नहीं मिलने की घोषणा की। 2022-23 के दौरान राष्ट्रीय दलों को प्राप्त कुल चंदे में 91.701 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 से 12.09 प्रतिशत की वृद्धि है।

भाजपा को 2021-22 के दौरान चंदा 614.626 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 719.858 करोड़ रुपए हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी ओर कांग्रेस का चंदा 2021-22 के दौरान 95.459 करोड़ रुपए से घटकर 2022-23 के दौरान 79.924 करोड़ रुपए हो गया। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र क्रमश: 276.202 करोड़ रुपए, 160.509 करोड़ रुपए और 96.273 करोड़ रुपए के साथ राष्ट्रीय पार्टी के चंदे में शीर्ष योगदानकर्ता थे।

कॉर्पोरेट और व्यावसायिक क्षेत्र के चंदे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो 680.495 करोड़ रुपए या कुल चंदे का 80.017 प्रतिशत था। राजनीतिक दलों की फंडिग में पारदर्शिता की कमी चुनावी बांड योजना की शुरुआत के साथ और बढ़ गई है, जो विपक्षी दलों, कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में योजना की संवैधानिक वैधता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अदालत ने अब अपने फैसले में इस योजना को रद्द और असंवैधानिक घोषित कर दिया। इसमें कहा गया कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।गौरतलब है कि इसने भारतीय स्टेट बैंक से भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड के माध्यम से दान का विवरण, जिसमें संभवत: दानकर्ता शामिल होंगे और योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा। कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह ब्यौरा 13 मार्च, 2024 तक वैबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि चुनावी बांड जारी करना बंद करना होगा।

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