बड़ी बेताबी से अपने विस्तार की कोशिश में भाजपा

punjabkesari.in Sunday, Oct 02, 2022 - 03:20 AM (IST)

मुझे सुश्री कस्तूरी पर गर्व है। उसने खुद को एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित और एक अच्छी छात्रा के  रूप में अपने आप को प्रस्तुत किया है जिसने तमिलनाडु राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम का पालन करने वाले स्कूल में पढ़ाई की थी। फिर उसने यह धमाका किया जिसे वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण को चुप करवाना चाहिए था। निर्मला सीतारमण की नाराजगी का जवाब देते हुए कस्तूरी ने कहा, ‘‘मैंने एक विषय के रूप में हिंदी और बाद में संस्कृत (तमिल नहीं) का अध्ययन किया और मुझे मेधावी स्कूली छात्रों के लिए उपलब्ध हर छात्रवृत्ति मिली।’’ 

जैसे कि मैंने यह लिखा है कि सीतारमण ने कस्तूरी का खंडन नहीं किया है। सीतारमण के इस आरोप से विवाद शुरू हो गया, होंठ फट गए और गुस्से में चेहरा और भी कठोर हो गया। तमिलनाडु के स्कूलों में एक  विषय के रूप में हिंदी का अध्ययन करने वाले बच्चों को योग्यता छात्रवृत्ति से वंचित कर दिया गया और उनके साथ भेदभाव किया गया। सीतारमण ने आरोपों को छोड़ते हुए कहा कि जब वह तमिलनाडु में एक युवा छात्रा थीं तो हिंदी का अध्ययन करने वाले किसी भी व्यक्ति का मजाक उड़ाया जाता था।

स्कूलों और सड़कों पर दुर्व्यवहार किया जाता था और वस्तुत: बहिष्कृत किया जाता था। वित्त मंत्री ने एक साक्षात्कार के दौरान मरिया शकील से कहा कि, ‘‘तमिलनाडु में बहुत कुछ नहीं बदला है।’’ उन्होंने तमिल लोगों को ‘सभ्य’ कहा लेकिन हिंदी के प्रति नफरत दिखाई जिसने लोगों को अपनी पसंद से हिंदी सीखने से रोक दिया वह बात ‘असभ्य’ थी।  उन्होंने कहा कि मैंने हिंदी के प्रति नफरत को खारिज कर दिया। ऐसा इसलिए था क्योंकि राजनीतिक दलों की उत्पत्ति जस्टिस पार्टी से हुई थी या वे लोग ‘द्रविड़ माडल’ में विश्वास करते थे। वास्तव में स्क्रीन पर उन्होंने यह आभास दिया कि वह जानबूझ कर लड़ाई शुरू कर रही हैं।

पक्ष का खंडन : द्रमुक और अन्नाद्रमुक वे पाॢटयां हैं जिन्होंने पिछले 55 वर्षों में तमिलनाडु पर शासन किया है। इन पार्टियों ने वित्त मंत्री पर एक के बाद एक हमले किए। कांग्रेस प्रवक्ता मोहन कुमारमंगलम ने वित्त मंत्री को उनके सबूत पेश करने की चुनौती दे डाली। उन्होंने यह कह कर इसे खारिज कर दिया कि निर्मला सीतारमण एक ऐसी सरकार से संबंध रखती हैं जिसका कोई भी डाटा उपलब्ध नहीं मगर यह कस्तूरी थीं जिन्होंने इस सारे शो को चुरा लिया। तमिलनाडु सरकार की आधिकारिक शिक्षा नीति यह है कि उसने 3 भाषा के फार्मूले को खारिज कर दिया और 2 भाषा के फार्मूले का पालन किया।

सरकारी स्कूलों में तमिल और अंग्रेजी साथ-साथ चली। द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों ही पाॢटयां इस नीति पर अभी भी कायम हैं। हालांकि हजारों सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में ङ्क्षहदी को एक भाषा के रूप में पेश किया जाता है और सरकार उनके निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करती है। इसके अलावा तमिलनाडु में सी.बी.एस.ई. से संबंधित 1417 स्कूल, आई.सी.एस.ई. से संबंधित 76 और आई.बी. से संबंधित 8 स्कूल हैं। इसके अलावा 41 एंग्लो-इंडियन स्कूल हैं। केंद्र सरकार के 51 केंद्रीय विद्यालय भी हैं। ये सभी हिंदी को एक विषय के रूप में पेश करते हैं। हिंदी भाषी राज्यों में राज्य सरकारों की अनौपचारिक नीति सरकारी स्कूलों में एक भाषा का फार्मूला है।

शिक्षा के माध्यम और अध्ययन के विषय दोनों के रूप में एकमात्र भाषा ङ्क्षहदी है। प्रस्तावित दूसरी भाषाओं में संस्कृत, पंजाबी, मराठी और गुजराती है। अंग्रेजी भाषा की पेशकश की जानी चाहिए लेकिन अधिकांश स्कूलों में योग्य अंग्रेजी शिक्षक नहीं हैं और कुछ ही छात्र अंग्रेजी का विकल्प चुनते हैं। दक्षिण भारतीय भाषाओं में से किसी एक को पेश करने का ढोंग भी नहीं है। प्राइवेट स्कूल इस बात को लेकर खुश हैं कि वे सरकारी स्कूलों की मिसाल पर चल रहे हैं। प्रभावी रूप से ङ्क्षहदी बोलने वाले राज्यों में एक भाषा की नीति है। उन राज्यों में दो भाषा नीति है जहां स्थानीय भाषा ङ्क्षहदी नहीं है बल्कि एक सजातीय भाषा है (जैसे गुजराती, मराठी, पंजाबी) और त्रिभाषा नीति पर जोर केवल दक्षिण भारतीय राज्यों में है। 

हिंदी सीखना : फिर भी दक्षिण भारतीय राज्यों में हजारों बच्चे या तो ङ्क्षहदी की पेशकश करने वाले स्कूलों या दक्षिण भारत ङ्क्षहदी प्रचार सभा या भारतीय विद्या भवन जैसे संगठनों के माध्यम से ङ्क्षहदी सीखते हैं। प्रत्येक वर्ष हजारों छात्र ङ्क्षहदी प्रचार सभा (1918 से स्थापित) द्वारा आयोजित पाठ्यक्रमों और परीक्षाओं में भाग लेते हैं। साल 2022 में अकेले तमिलनाडु राज्य में ही 2 लाख 50 हजार उम्मीदवारों ने विभिन्न स्तरों पर परीक्षा दी। इसके अलावा प्रवासन ने लाखों ङ्क्षहदी भाषी लोगों को दक्षिण भारतीय राज्य में ला दिया। अपने कार्यस्थलों पर अंग्रेजी और सार्वजनिक स्थानों पर स्थानीय भाषा (जिसे वह चुनते हैं) में बोलने में प्रसन्नता होती है।

एक शरारती योजना : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा कि ङ्क्षहदी के प्रति नफरत या जो लोग हिंदी सीखते हैं उनका मजाक उड़ाया जाता है या फिर उन्हें गाली दी जाती है, यह बात कभी भी सत्य नहीं थी और अब भी यह सच नहीं है। तमिलनाडु राज्य में वित्त मंत्री द्वारा खोला गया मोर्चा एक ऐसे मुद्दे के निर्माण के लिए एक अच्छी तरह से तैयार की गई रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है जिस पर आसानी से फायदा उठाया जा सकता है।

रणनीति विशाल धन द्वारा समॢथत है। भाजपा अपने विस्तार के लिए बेताब कोशिश कर रही है। भाजपा, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में अपनी मौजूदगी बढ़ाने तथा कर्नाटक और तेलंगाना में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बेताब होकर कोशिश कर रही है। जाहिर तौर पर एफ.एम. को यह कार्य सौंपा गया है। आग लगाने के लिए भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता पहले से ही मुस्लिम समूहों के साथ सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।

केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में भाजपा के नेताओं को आक्रामक और उत्तेजक होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। मैं निर्मला सीतारमण की अग्रिम पंक्ति में रहने की इच्छा से हैरान बिल्कुल नहीं हूं। बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, गिरते रुपए का स्तर, असंवेदनशील टिप्पणियों (हम प्याज नहीं खाते) और जी.एस.टी., डीजल व पैट्रोल की कीमतों और कर राजस्व के बंटवारे पर राज्य सरकारों के साथ लगातार झगड़े के कारण सार्वजनिक सम्मान हासिल करने में विफल रहे हैं।

वह शायद खुद को  ‘नो होल्ड बेस्ड’ राजनेता के तौर पर फिर से आविष्कार करने की कोशिश कर रही हैं जो विवादों में उतरने के लिए तैयार है। मैं उनके अवतार के लिए शुभकामनाएं देता हूं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि हर कोने पर उनका सामना आत्मविश्वास से भरी और साहसी कस्तूरियों की बढ़ती जमात से होगा।-पी. चिदम्बरम


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