बीरेन सिंह ने धर्म को एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया
punjabkesari.in Friday, Jul 28, 2023 - 04:17 AM (IST)

कुकी महिलाओं के साथ बलात्कार इसी साल 4 मई को किया गया था। राज्य में अशांति मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति घोषित करने के निर्देश के बाद पहले ही शुरू हो गई थी। 4 मई को मेरे मित्र और पूर्व सहकर्मी गुरबचन जगत ने मुझे चंडीगढ़ से फोन किया। वे अभी इम्फाल से लौटे थे जहां उन्हें एक समारोह की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया गया था। गुरबचन उस राज्य के पूर्व राज्यपाल थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मणिपुर में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति ‘बेहद खराब’ है। जब उन्होंने इसका वर्णन इस प्रकार किया तो मैंने कल्पना की कि अधिकारी किस बात का विरोध कर रहे थे क्योंकि गुरबचन कभी भी बढ़ा-चढ़ा कर बात करने वालों में से नहीं थे।
अदालत का फैसला, जिसके कारण दंगे भड़के केवल हत्या और अपंगता का बहाना था। कुकी और मैतेई लोगों के बीच दुश्मनी उतनी ही पुरानी है जितनी उन पहाडिय़ों की जिनमें कुकी रहते हैं। राज्य की 90 प्रतिशत भूमि पर उनका कब्जा है। मैतेई, जोकि मैदानी लोग हैं, शेष 10 पर कब्जा करते हैं। लेकिन राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से राजनीतिक सत्ता उनके हाथों में होने के कारण मैतेई अधिक संख्या में हैं और आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं।
फिर भी मैतेई और अधिक चाहते हैं। इसलिए एक जनजाति के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की गई ताकि मैतेई आदिवासी भूमि के लिए पात्र हो जाएं जिस पर वर्तमान में आदिवासी के अलावा किसी और का स्वामित्व नहीं हो सकता। कोर्ट ने मैतेई लोगों के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन क्या यह कहना अदालत का काम है कि आदिवासी कौन है? इसे चुनी हुई सरकार पर छोड़ देना चाहिए। यदि किसी मुद्दे पर निर्णय लेते समय सरकार इस विषय पर नियमों की अनदेखी करती है तो तभी न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना चाहिए। मैं नहीं जानता कि क्या यह स्थिति आ गई थी।
दिखने में मैतेई लोग नागा, मिजो, खासी और मेघालय के गारो तथा असम के बोडो जैसे इंडो-बर्मन समुदाय के प्रतीत होते हैं। लेकिन वे सदियों से ङ्क्षहदू वैष्णव रहे हैं। मुझे पता चला है कि कुकी मूल रूप से हिंदू धर्म में शामिल होना चाहते थे लेकिन उनका स्वागत नहीं किया गया क्योंकि वे जन्म-जात हिंदू नहीं थे। हिंदू धर्म में किसी जाति का निर्धारण केवल जन्म के संयोग से ही किया जा सकता है। यदि उस परीक्षण को लागू किया जाता है तो मैतेई लोग आदिवासी दर्जे का दावा नहीं कर सकते हैं।
जनजातीय समुदाय मूल रूप से जीववादी थे। अधिकांश कुकी दो शताब्दी पहले औपनिवेशक काल में ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे। कुछ मैतेई ईसाई हैं जो बहुत बाद में ङ्क्षहदू धर्म में परिवर्तित हुए। मुझे उनके अस्तित्व के बारे में तभी पता चला जब मेरे चर्च के उपासकों ने उनके लिए और शांति कायम करने के लिए प्रार्थना करनी शुरू की। ऐसा कहा गया था कि घाटी में लगभग 300 चर्च जला दिए गए या नष्ट कर दिए गए! मैंने सोचा कि यह सचमुच आश्चर्यजनक है कि इतने सारे चर्च तब बनाए गए जब विश्वासियों की संख्या केवल एक लाख से अधिक थी। मैं मानता हूं कि कुकियों के मैदानी इलाकों में रहने से उस संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
जब अनुभवहीन बीरेन सिंह को मणिपुर का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था तो रजत कुमार सेठी को उनका मार्गदर्शन करने के लिए नियुक्त किया गया था। उससे क्या हो गया है? पिछले कुछ समय से हमने न तो उनके बारे में सुना है और न ही मीडिया में उनके बारे में पढ़ा है। बीरेन सिंह के खिलाफ शिकायत यह है कि सबसे पहले वह अक्षम हैं और यह साबित हो चुका है। दूसरी बात यह है कि उन्होंने धर्म को एक औजार के रूप में इस्तेमाल करके मैतेई और कुकी के बीच मतभेद और अविश्वास को बढ़ा दिया है। क्या यह उचित लगता है।
हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हुआ जब विदेश यात्रा के दौरान उनसे भारत में मुसलमानों के साथ दुव्र्यवहार के बारे में पूछा गया। उन्होंने अपनी शॄमदगी के लिए अपनी सरकार के आलोचकों को जिम्मेदार ठहराया। मैं यह मानने के लिए इंकार करता हूं कि वह पिछले दशक में हमारी धरती पर जड़ें जमा चुकी विभाजनकारी, नफरत की राजनीति के बाद भारतीय मुसलमानों के मन में पैदा हुए डर के बारे में नहीं जानते हैं। चुनावी लाभ के लिए हिंदू वोटों को एकजुट करने में उनकी रुचि और समांतर तौर पर आर.एस.एस. के लिए हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू वोटों को एकजुट करने के एजैंडे में अल्पसंख्यकों को अपमानित करना जरूरी हो गया है।
4 मई को कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र करने और उनके साथ बलात्कार करने की घटना में मैतेई पुरुषों की भीड़ शामिल थी जिसे उनकी महिलाओं ने उकसाया था। दोनों महिलाओं में से बड़ी महिला के पति ने 28 साल तक भारतीय सेना में सेवा की थी। वह इस बात से बहुत निराश था कि उसके अपने लोगों ने उसकी पत्नी का अपमान किया था और वह उसकी रक्षा के लिए वहां उपस्थित नहीं था। उन्होंने श्रीलंका और सियाचिन में कार्रवाई देखी थी और बदले में उन्हें यही मिला। सवाल है कि बीरेन सिंह मुख्यमंत्री और डी.जी. मणिपुर पुलिस को जवाब देना होगा।
1. घटना 4 मई को पुलिस की मौजूदगी में हुई। पुलिस दल ने अपनी रिपोर्ट कब दी? और पार्टी ने क्या कहा?
2. यदि इसने 2 महिलाओं को निर्वस्त्र करने की भयानक घटना और उसके बाद छोटी महिला के साथ बलात्कार की रिपोर्ट नहीं की तो पुलिस कर्मी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, खासकर अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि यह पुलिस ही थी जिसने महिलाओं को भीड़ को सौंप दिया था।
3. जीरो नंबर की एफ.आई.आर. और घटना की रिपोर्ट 18 मई को पास के पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। क्या कम से कम तथ्यों को उच्च पुलिस अधिकारियों के ध्यान में लाया गया था? यदि नहीं तो कौन सूचित करने में असफल रहा।
4. जीरो नंबर की एफ.आई.आर. को आखिरकार एक महीने के बाद उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराध हुआ था। इतना समय क्यों लगा?
5. पुलिस ने दोषियों को पहले क्यों गिरफ्तार नहीं किया? उन्होंने तभी कार्रवाई की जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को अपराधियों की निंदा करने के लिए बयान जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
यह संभव नहीं है कि पिछले सप्ताह लोकसभा की बैठक शुरू होने से ठीक पहले घटना का वीडियो जारी होने तक मुख्यमंत्री और डी.जी.पी. को इस जघन्य अपराध के बारे में पता नहीं था? इससे पता चलता है कि अधिकांश भाजपा के मानस में पितृसत्ता गहराई से समाई हुई है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)