बिन्नी बांसल : एक ‘सितारे’ को लगा ग्रहण

Tuesday, Dec 04, 2018 - 04:14 AM (IST)

‘निजी दुव्र्यवहार की एक अपुष्ट शिकायत’ के आधार पर बिन्नी बांसल के इस्तीफे के साथ ही स्टार्टअप ईको सिस्टम के पोस्टर ब्वायज में से एक का अंत हो गया। गत एक दशक में फ्लिपकार्ट तथा इसके प्रोमोटर से जुड़ी प्रत्येक छोटी-बड़ी कार्रवाई समाचार पत्रों की सुर्खी बनती रही। कोई भी अन्य कम्पनी अथवा प्रोमोटर नहीं था जिसने इतने लम्बे समय तक समाचार पत्रों में नियमित तौर पर अपना स्थान आरक्षित रखा। 

ऐसा बिना कारण के नहीं था। बांसल जोड़ी की इस बात को साबित करने के लिए प्रशंसा की जाती थी कि 20 लोगों का एक समूह मात्र 7 लाख रुपए की पूंजी से एक उद्यम खड़ा करके 11 वर्षों के दौरान उसे 20 अरब डालर के उद्यम तक ले जा सकता है। इसके लिए एक अलग तरह की आग की जरूरत थी। बिन्नी बांसल तथा उनके मित्र सचिन बांसल ने दिखाया कि बड़े सपनों से लैस 2 युवा, जिनके पास कोई उद्यमिता अनुभव भी नहीं था, किसी व्यावसायिक घराने के समर्थन के बिना दुनिया को व्यापार करने के कौशल सिखला सकते हैं। 

बिन्नी अभी-अभी आई.आई.टी. से बाहर निकले थे और सचिन के साथ काम शुरू करने से पूर्व बहुत कम समय के लिए सार्नोफ तथा एमेजोन में काम किया है। अन्य आई.आई.टियन्स की तरह वह भी कार्पोरेट सीढ़ी पर ऊपर तक जा सकते थे लेकिन वह सार्नोफ के साथ काम करके ‘ऊब’ गए थे और समझ गए थे कि यह कम्पनी इससे आगे कहीं और नहीं जाने वाली। उन्होंने अपना खुद का उद्यम शुरू करने के मुकाबले एमेजोन में काम करना ‘जोखिमपूर्ण’ समझा। सम्भवत: इसी बात ने उन्हें उन हजारों स्नातकों से अलग बनाया जो प्रतिवर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों से ग्रैजुएशन करके बाहर निकलते हैं। हां, सचिन के साथ उनकी मित्रता भी काम आई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि दोनों बांसलों ने खुद को सही समय पर सही स्थान पर पाया जब चीन में मौका चूक जाने के बाद उद्यम पूंजी निवेशकों ने भारत में नए रचनात्मक विचारों के लिए अपनी खोज शुरू की थी। 

ताजा विचारों के साथ आए 
जब वे आए उनके पास कोई सामान नहीं था लेकिन ताजा विचार, मजबूत तकनीकी कौशल तथा उद्यम के लिए एक तीव्र मानसिकता थी। वे उस समय के कुछ ई-कामर्स स्टार्टअप्स के संस्थापकों से कहीं युवा थे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उन्होंने कभी भी कड़ी मेहनत करने से संकोच नहीं किया। बाजार की मांग को समझने के लिए बांसल्स ने ग्राहकों के दरवाजे पर खुद पैकेट डिलीवर करने का कष्ट उठाया। उन्होंने कदम-दर- कदम अपने उद्यम को खड़ा किया और कई शानदार विचारों के साथ आगे आए जिनमें पेमैंट प्रणालियां तथा कैश ऑन डिलीवरी शामिल थे, जिन्होंने ई-कामर्स उद्योग को कई अवरोध तोडऩे में मदद की। सी.ओ.ओ. के तौर पर बिन्नी ने खुद को अपेक्षाकृत पृष्ठभूमि में रखा और सचिन को बातचीत के लिए आगे बढ़ाया। फिर भी दोनों मीडिया के प्रति शर्मीले बने रहे और नकारात्मक विचार को लेकर अत्यंत डरते थे। 

एक बढिय़ा टीम 
एक स्टार्टअप के तौर पर काम करने के लिए फ्लिपकार्ट एक बहुत बढिय़ा स्थान था। कई पूर्व कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ऐसी टीम के साथ काम करके बहुत मजा आया जो गतिशील, चुस्त, जीवंत तथा अनौपचारिक लेकिन अनुशासित थी। कर्मचारियों को स्वतंत्रतापूर्वक सोचने तथा गलतियां करके उनसे सीखने की आजादी थी। फ्लिपकार्ट अपने स्टाफ को किसी हथकड़ी में नहीं बांधना चाहता था। फिर संगठन ने खुद को एक कार्पोरेट में बदलना शुरू कर दिया और निवेशकों ने उसके रोजमर्रा के कार्यों के साथ खड़े रहना शुरू किया। प्रोमोटर्स के उन प्रोफैशनल्स के साथ मतभेद भी थे जिन्होंने उन्हें अपने व्यवसाय का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त किया था। 

बांसल्स ने स्टाफ को आश्वासन दिया था कि सबके साथ एक जैसा व्यवहार किया जाएगा लेकिन फ्लिपकार्ट से सैंकड़ों लोगों को निकाला गया। ‘सहज ज्ञानी’ सचिन को समझ आ गया था कि स्थितियां ‘तार्किक’ बिन्नी  के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से बदल रही हैं। 2016 में, जब सचिन को सी.ई.ओ. के पद से हटा दिया गया और उनकी जगह बिन्नी को लगाया गया तो सचिन ने दार्शनिक अंदाज में कहा था कि कम्पनी में कोई भी अनिवार्य नहीं है। जब वालमार्ट सौदा सिरे चढ़ गया तो सचिन ने इसमें जाने का निर्णय किया लेकिन बिन्नी ने फ्लिपकार्ट के साथ जुड़े रहना चुना।

सचिन को हटाने के बाद बिन्नी ने सी.ई.ओ. का पद हासिल किया तथा वालमार्ट के आने के बाद उन्हें ग्रुप सी.ई.ओ. का पद भी मिल गया लेकिन सचिन के जाने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें भी अचानक कम्पनी छोडऩी पड़ी। उन सभी चीजों के कारण, जिन्होंने बिन्नी को स्टार्टअप ईको सिस्टम में महत्वपूर्ण बनाया, वह बेहतर के हकदार थे। हालांकि उनके इस्तीफे के बाद कम्पनी ने उनके बाहर होने के कारणों का हवाला दिए बिना केवल यही स्पष्टीकरण दिया कि उनके ‘निर्णयों में कोताही’ बरती गई तथा ‘पारदर्शिता का अभाव’ था। इस वक्तव्य ने उत्तरों से अधिक प्रश्र खड़े कर दिए। मीडिया के लिए खोद कर जानकारियां इकठी करने के लिए इतना ही काफी था। 

अतीत पर नजर 
जैसे-जैसे कहानी खुलती गई, यह रिपोर्ट सामने आई कि बिन्नी के 2016 में एक महिला के साथ सहमतिपूर्ण संबंध थे, जो 4 वर्ष पहले संगठन को छोड़ चुकी थी। निजी संबंधों का कंकाल उन्हें डराने के लिए वापस लौट आया, जो खुद उनके लिए हैरानीजनक था। यहां तक कि कर्मचारियों ने भी ‘गम्भीर दुव्र्यवहार’ के आरोपों को अत्यंत अविश्वास के साथ सुना। ऐसा दिखाई देता है कि जांच सुनियोजित थी क्योंकि सूत्रों का कहना है कि बिन्नी खुद इस बारे में नहीं जानते थे। परंतु वह कुछ समय से ग्रुप सी.ई.ओ. के तौर पर पद छोडऩे की योजना बना रहे थे और उन्होंने नए प्रबंधन के अंतर्गत कम्पनी के कार्य संचालन को लेकर अपनी नाखुशी  के संकेत दिए थे। इससे उन युवा उद्यमियों के लिए एक गलत संदेश पहले ही पहुंच गया जो सचिन तथा बिन्नी को प्रेरणास्रोत के तौर पर देखते थे और वैंचर कैपिटल तथा निजी इक्विटी फर्मों की मदद से कुछ बड़ा कर दिखाने के सपने देखते थे।36 वर्षीय सचिन तथा 35 वर्षीय बिन्नी के लिए यह महज एक पारी का अंत हो सकता है। एक प्रारम्भिक सफर में उनके द्वारा दिखाए गए भरोसे विश्व में उनके लिए बेहतरीन का कारण बन सकते हैं।-संगीता

Pardeep

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