विपक्षी एकता पर भारी बिहार का भ्रष्टाचार

punjabkesari.in Friday, Jun 09, 2023 - 06:07 AM (IST)

विपक्षी एकता के प्रयासों में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पुल ढहने की घटना ने अच्छी-खासी किरकिरी करा दी। भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी दलों को  निशाना बनाने से भाजपा नहीं चूकती। भाजपा पूर्व में भी विपक्षी एकता के प्रयासों पर ऐसे प्रहार करती रही है। विपक्षी एकता के प्रयासों को भ्रष्टाचारियों को बचाने का गठजोड़ बताती रही है। 

दरअसल, भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित अगुवानी घाट गंगा नदी पर 1710 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे निर्माणाधीन फोरलेन पुल का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को शिलान्यास किया था, यह पुल ढह गया। पुल की लंबाई 3,160 किलोमीटर थी। इसका निर्माण 80 प्रतिशत पूरा हो चुका था। 

इससे पहले भी यह पुल 27 अप्रैल 2022 को तेज आंधी और बारिश के चलते ढह गया था। इस पुल का कम से कम 100 फीट हिस्सा गिर गया था। बिहार में घटिया निर्माण के कारण पुलों के ध्वस्त होने की यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते एक साल में राज्य में 7 बार पुल गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नीतीश सरकार फिर भी नहीं जागी। 

विपक्षी एकता के सपने के बूते केंद्र में सत्ता पाने के प्रयास में जुटे नीतीश कुमार बिहार को नहीं संभाल पा रहे हैं। बिहार भ्रष्टाचार और अराजकता के लिए ही नहीं बल्कि अजीबो-गरीब घटनाओं के लिए सुर्खियों में रहा है। यह बिहार में ही संभव है कि पुल जैसा मजबूत ढांचा महज आंधी से ढह जाए। इसके अलावा भी बिहार में भ्रष्टाचार और अराजकता की ऐसी हास्यास्पद घटनाएं हुई हैं। इनसे नीतीश सरकार के तौर-तरीकों पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। 

किसी भी राज्य में भारी-भरकम रेल के इंजन की चोरी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बिहार में चोर ट्रेन के इंजन को चोरी कर ले जाएं। बरौनी (बेगूसराय जिला) के गरहारा यार्ड में मुरम्मत के लिए लाए गए ट्रेन के डीजल इंजन को एक गिरोह ने चुरा लिया। चोर एक सुरंग माध्यम से आते थे और इंजन के पुर्जों को चुरा लेते थे। बिहार के बांका जिले से एक लोहे का पुल गायब हो गया। चोरों ने इस पुल का दो-तिहाई हिस्सा गैस कटर से काटकर चुरा लिया। भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर में वैद्यनाथ धाम जाने वाले तीर्थयात्रियों (कांवडिय़ों) की सुविधा के लिए इस पुल को बनाया गया था। इससे पहले भी बिहार के रोहतास जिले में लोहे के पुल की चोरी हुई थी। यहां चोरों ने 60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे के पुल को गायब कर दिया था।

बिहार दशकों से भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ को लेकर सुर्खियों में रहा है। बिहार हाईकोर्ट ने लालू यादव के शासन के दौरान बिहार में शासन को जंगल राज बताया था। इसकी झलक नीतीश सरकार में बाकी है। बाहुबली आनंद सिंह की जेल से रिहाई के मुद्दे पर नीतीश सरकार की छवि प्रभावित हुई है। बिहार सरकार ने जेल कानूनों में संशोधन करके जिला कलैक्टर की हत्या के आरोप में सजा काट रहे आनंद सिंह के रिहा करने का मार्ग प्रशस्त किया। राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध का बिहार का पुराना इतिहास रहा है। बिहार की गुलाटी मारती गठबंधन वाली राजनीति में नीतीश ने कई बार गुलाटी खाई है। 

वर्ष 2017 जुलाई में कलह की वजह को नीतीश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ असहिष्णुता बताया था। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को वजह बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन तोड़ते हुए कहा था कि उन्हें ‘घुटन’ महसूस होती है। 6 साल बाद उन्होंने राजद से फिर हाथ मिला लिया। तेजस्वी डिप्टी सी.एम. बने और तेज प्रताप यादव को मंत्री बनाया गया। 

नीतीश कुमार विपक्षी एकता के प्रयासों के जरिए भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बिहार में लालू के शासन में हुए भारी भ्रष्टाचार और अराजकता की छाप अभी तक बनी हुई है। लालू यादव की पार्टी से सत्ता के लिए किए गए गठबंधन के बाद प्रदेश की छवि बदलने के प्रयासों को झटका लगा है। उस पर भ्रष्टाचार और आपराधिक घटनाएं कोढ़ में खाज साबित हो रही हैं। 

भाजपा नीतीश सहित अन्य विपक्षी दलों पर सार्वजनिक तौर पर भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाती रही है। निश्चित तौर पर आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए यह बड़ा मुद्दा होगा। नीतीश सहित विपक्षी दल भाजपा पर ई.डी. और सी.बी.आई. की द्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगा रहे हैं किन्तु जब तक इन दलों के दामन पर लगे दाग नहीं हटेंगे तब तक न सिर्फ एकता के प्रयासों को झटका लगता रहेगा बल्कि भाजपा को भी इनके खिलाफ बोलने का मौका मिलता रहेगा।-योगेन्द्र योगी


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